एमिटी विश्वविद्यालय में साप्ताहिक वन महोत्सव 

एमिटी विश्वविद्यालय
एमिटी में आयोजित वन महोत्सव कार्यक्रम
हरित पर्यावरण
हरित पर्यावरण

एमिटी में आयोजित वन महोत्सव कार्यक्रम के अंर्तगत आज ‘‘ हरित पर्यावरण, सतत आजीविका और ग्लोबल वार्मिंग के प्रति जागरूकता पैदा करने में वन महोत्सव का महत्व’’ विषय पर वेबिनार

Vision Live/ Noida

पेड़ व वन पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने और ग्रह पर जीवन के लिए ऑक्सीजन प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। छात्रों को वन संरक्षण के संर्दभ में जागरूकता फैलाने और पर्यावरण बचाने के लिए एमिटी विश्वविद्यालय के नैचुरल रिर्सोसेस एंड एनवांयरमेंटल सांइसेस डोमेन द्वारा साप्ताहिक वन महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है जिसके अंर्तगत पौधारोपण अभियान, वेबिनार, निंबध लेखन प्रतियोगिता, विक्ज और स्लोगन प्रतियोगिता, पोस्टर प्रतियोगिताओं और कार्यशाला का आयोजन किया जायेगा। एमिटी में आयोजित वन महोत्सव कार्यक्रम के अंर्तगत आज ‘‘ हरित पर्यावरण, सतत आजीविका और ग्लोबल वार्मिंग के प्रति जागरूकता पैदा करने में वन महोत्सव का महत्व’’ विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया।

वनों व वृक्षो ंके संरक्षण के लिए काफी प्रयास किये
वनों व वृक्षो ंके संरक्षण के लिए काफी प्रयास किये

इस वेबिनार में हिमाचल प्रदेश के पूर्व प्रिसिंपल चीफ कन्सर्वटर ऑफ फॉरेस्ट डा जी एस गोराया, दिल्ली के चीफ कन्सर्वटर ऑफ फॉरेस्ट वी कानन, लखनऊ के इंटीग्रेटेड रिजनल ऑफिस के डिप्टी डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेस्ट डा विवेक सक्सेना, पंजाब के पूर्व प्रिसिंपल चीफ कन्सर्वटर ऑफ फॉरेस्ट डा विद्या भूषण कुमार, और एमिटी स्कूल ऑफ नैचुरल रिर्सोस एंड संस्टेनेबल डेवलपमेंट के निदेशक डा एस पी सिंह ने अपने विचार रखे। हिमाचल प्रदेश के पूर्व प्रिसिंपल चीफ कन्सर्वटर ऑफ फॉरेस्ट डा जी एस गोराया ने कहा कि पौधारोपण या वनों का संरक्षण हमारी संस्कृती का हिस्सा रही है, एक पीढ़ी द्वारा लगाये जाने वाले वृ़क्षों का लाभ आने वाली पीढ़ी को प्राप्त होता है यह कहावत समाजिक वृक्षारोपण को दर्शाती है। आजादी के समय देश में आज से अधिक वन थें लेकिन कही किसी समस्या के कारण वन कम होते गये। डा गोराया ने कहा कि इस वन महोत्सव जैसे अभियानों की सहायता से हम आमलोगों को वृक्षों से जोड़ पाये है और जिसके परिणाम स्वरूप देश में वनों का संरक्षण व संख्या बढ़ रही है। लोगो को जागरूक करना बेहद आवश्यक है जिसमें केवल पौधारोपण के लिए ही नही बल्कि उनका पोषण व देखभाल करने के लिए भी। स्थानीय नेताओं, प्रभावी व्यक्तियों और आम जनता को इस महोत्सव से जोड़ना होगा। दिल्ली के चीफ कन्सर्वटर ऑफ फॉरेस्ट श्री वी कानन ने कहा कि दिल्ली में हमने वनों व वृक्षो ंके संरक्षण के लिए काफी प्रयास किये है और लोगों को जागरूक करने के लिए कई अभियानों का संचालन भी किया जा रहा है। लखनऊ के इंटीग्रेटेड रिजनल ऑफिस के डिप्टी डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेस्ट डा विवेक सक्सेना ने कहा कि एमिटी द्वारा इस प्रकार के वन महोत्सव कार्यक्रमों के जरीये आने वाली पीढ़ी को जागरूक किया जा रहा है। वन महोत्सव अभियान को सफल बनाने के लिए समाज के सभी वर्गो को इसमें शामिल करना होगा।

हरित पर्यावरण, सतत आजीविका और ग्लोबल वार्मिंग के प्रति जागरूकता पैदा करने में वन महोत्सव का महत्व’’
हरित पर्यावरण, सतत आजीविका और ग्लोबल वार्मिंग के प्रति जागरूकता पैदा करने में वन महोत्सव का महत्व’’

मृदा का क्षरण, माइनिंग गतीविधी आदि ने वनो को प्रभावित किया है और वन महोत्सव अभियान और जागरूकता इस समस्या समाधान है। पौधारोपण करने के उपरांत उसको वृक्ष बनने तक पोषण की जिम्मेदार भी लेनी चाहिए तभी यह अभियान सफल होगा। पंजाब के पूर्व प्रिसिंपल चीफ कन्सर्वटर ऑफ फॉरेस्ट डा विद्या भूषण कुमार ने कहा कि आज गुरू पूर्णिमा के शुभ दिन पर इस वन महोत्सव को प्रारंभ किया जा रहा है। प्राचीन समय से वृक्ष और प्रकृति हमारे गुरू रहे है। आज हमें हरित पर्यावरण, स्थायी आजीविका और ग्लोबल वार्मिंग पर ध्यान केन्द्रीत करना है। अब समय आ गया है वर्चुअल गतिविधी या ऑनलाइन ज्ञान को वास्तविक कार्रवाई में तब्दील किया जाये। आज राष्ट्रीय और अंर्तराष्ट्रीय वनों के विकास में वन महोत्सव महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होनें सलाह देते हुए कहा कि एमिटी पांरपरिक वृक्षों के विकास को बढ़ावा देने के लिए वृक्ष मित्र, अवार्ड आदि का आयोजन किया जाना चाहिए। एमिटी स्कूल ऑफ नैचुरल रिर्सोस एंड संस्टेनेबल डेवलपमेंट के निदेशक डा एस पी सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि एमिटी मे ंहम छात्रों को जागरूक करने के लिए और वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के लिए इस प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन करते है। डा सिंह ने कहा कि वृक्ष हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। इस वेबिनार में एमिटी स्कूल ऑफ नैचुरल रिर्सोस एंड संस्टेनेबल डेवलपमेंट के सलाहकार श्री जे सी काला ने अपने विचार रखें और असिस्टेंट प्रोफेसर डा लोलिता प्रधान ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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