दिव्यांग ने सरकारी दुकानांं को लेकर प्रधानमंत्री का दरवाजा खटखटाया
पत्र में दिव्यांग आवेदन कर्ता ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि गौतमबुद्धनगर कलेक्ट्रेट, जिला पंचायत कार्यालय या फिर तहसील मुख्यालय दादरी में सरकारी कोटे की दुकान आवंटित कराई जावे ताकि वह फोटो स्टेट और जनसुविधा केंद्र आदि खोल कर परिवार का गुजर बसर कर पावे
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/ग्रेटर नोएडा
गौतमबुद्धनगर कलेक्ट्रेट, जिला पंचायत कार्यालय या फिर तहसील मुख्यालय दादरी में दुकान आवंटित किए जाने की मांग एक दिव्यांग ने की है।
दिव्यांग आवेदन कर्ता का कहना है कि यदि उन्हे गौतमबुद्धनगर कलेक्ट्रेट, जिला पंचायत कार्यालय या फिर तहसील मुख्यालय दादरी में सरकारी कोटे की दुकान आवंटित कर दी जाए तो फोटो स्टेट और जनसुविधा केंद्र आदि खोल कर परिवार का गुजर बसर किया जा सकेगा। नरेश कुमार पुत्र बिशंबर सिंह निवासी गुर्जर कालौनी दादरी ने जिलाधिकारी गौतमबुद्धनगर को इस संबंध में एक आवेदन पत्र भी सौंपा है। जिलाधिकारी गौतमबुद्धनगर को सौंपे गए दिनांक 22-05-2023 को आवेदन पत्र में अवगत कराया था कि वह 100 फीसदी दिव्यांग है और गौतमबुद्धनगर कलेक्ट्रेट, जिला पंचायत कार्यालय या फिर तहसील मुख्यालय दादरी में दुकान आवंटित किए जाने की बावत पहले भी कई बार अनुरोध किया जाता रहा है।
पत्र में दिव्यांग नरेश कुमार ने मांग की है कि यदि उसे दिव्यांग होने के नाते गौतमबुद्धनगर कलेक्ट्रेट, जिला पंचायत कार्यालय या फिर तहसील मुख्यालय दादरी में दुकान आवंटित की जाए, ताकि फोटो स्टेट और जनसुविधा केंद्र आदि खोल कर परिवार का गुजर बसर किया जा सके। इन सभी आवेदन पत्रों पर कोई कार्यवाही न होने पर अब दिव्यांग नरेश कुमार ने प्रधानमंत्री भारत सरकार का भी दरवाजा खटखटाया है। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में शिकायतकर्ता दिव्यांग नरेश कुमार ने कहा है कि जिला पंचायत कार्यालय, कलेक्ट्रेट में सरकारी कोटे की दुकानों के लिए आवेदन किया जा चुका है और अब पूरे 3 साल बीत गए हैं। इसके अलावा दादरी तहसील में भी दुकानें हैं, जो बंद पडी हुई हैं। इन दुकानों की बावत दादरी विधायक तेजपाल नागर के भी चक्कर लगाए जा चुके हैं, मगर अभी तक कहीं भी दुकान आवंटित नही की गई है। पत्र में दिव्यांग आवेदन कर्ता ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि गौतमबुद्धनगर कलेक्ट्रेट, जिला पंचायत कार्यालय या फिर तहसील मुख्यालय दादरी में सरकारी कोटे की दुकान आवंटित कराई जावे ताकि वह फोटो स्टेट और जनसुविधा केंद्र आदि खोल कर परिवार का गुजर बसर कर पावे।