पढिएः- कैसे बच पाया ट्रिपल इंजन की सरकार में दनकौर का सरकारी हॉस्पिटल

दनकौर में इन सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में ग्रहण
दनकौर में इन सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में ग्रहण लग जाने की खबर से अचानक लोगों में रोष व्याप्त हुआ

पीएचसी यानी ब्लाक स्तरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के रूप में पूरे 30 बेड तक किए जाने के लिए फाईल चली। यूपी में जब कु0 मायावती की सरकार आई तो स्वास्थ्य महकमें ने 30 बेड का हॉस्पिटल बनाने के लिए जमीन मांगी गई

लोकसभा चुनाव सिर पर और तुगलकी फरमान ऐसा कि ब्रिटिश जमाने से चली आ रही सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को बढाने के बजाय इस तरह हटा लिया जाए, यह कौन सी सरकार की उपलब्धि है?

मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/ग्रेटर नोएडा

दनकौर में आजादी के जमाने से ही चल रहे सरकारी हॉस्पिटल की सेवाओं को लेकर लुका छिपी का दौर चल रहा है। डिलवरी सुविधाएं बंद हुई और फिर आकस्मिक सेवाएं और एमएलसी जैसी आवश्यक सेवाएं जो ग्रेटर नोएडा से आकर यहां होती रही हैं, उन्हें बंद किए जाने की खबर फैल गई। दनकौर में इन सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में ग्रहण लग जाने की खबर से अचानक लोगों में रोष व्याप्त हुआ। बताया जाता है कि आजादी के बाद पहले विधायक स्व0 केवल सिंह ने दनकौर में इस सरकारी हॉस्पिटल की स्थापना कराई थी। ब्लाक स्तरीय इस सरकारी हॉस्पिटल में दनकौर कसबा ही नही बल्कि समूचे देहात क्षेत्र के लोग इलाज कराने के लिए आते रहे हैं। आकडों पर गौर करें तो पता चलता है कि बीमारी के सीजन में यहां पर 1500 से लेकर 2000 तक मरीजो की ओपीडी हो जाती है। इन तमाम जरूरतों को देखते हुए पूर्व में इस पीएचसी यानी ब्लाक स्तरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के रूप में पूरे 30 बेड तक किए जाने के लिए फाईल चली। यूपी में जब कु0 मायावती की सरकार आई तो स्वास्थ्य महकमें ने 30 बेड का हॉस्पिटल बनाने के लिए जमीन मांगी गई। नगर पंचायत से लेकर विधानसभा और सरकार में बसपा का ही बोलबाला था, मगर फिर भी विधायक से लेकर मंत्री तक यहां जमीन उपलब्ध नही करवा पाए। कई बार सिलापुर रोड के पास और फिर अमरपुर के पास जमीन दिलाने की मांग उछली। मगर पूर्व मंत्री वेदराम भाटी जो कि उस समय बसपा के खेवनहार थे और तमाम उनके सिपाहसलार 30 बेड के हॉस्पिटल के लिए जमीन दिलवाने में नाकाम साबित हुए। यमुना एक्सप्रेस-वे के बनने के बाद जब यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण का विस्तार हुआ तो फिर यहां की जमीनों ने सोना उगलना शुरू कर दिया। ग्राम अट्टा निवासी बसपा कार्यकर्ता सुनील गौतम ने कई बार शासन और गौतमबुद्धनगर प्रशासन को इस बारे में पत्र व्यवहार किया गया। हरेक बार पत्रव्यवहार के जवाब में एक ही बात कही गई कि दनकौर में सरकारी हॉस्पिटल की तरक्की किए जाने के क्रम में जमीन न मिलना बडी बाधा बनी हुई है, यही कारण है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से 30 बेड का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नही बन पा रहा है। बसपा का युग धीरे धीरे खत्म हुआ और फिर भाजपा की तूती बोल उठी। पंचायत चुनाव यहां पर नोएडा लेकर ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी ऐरिया के गावों में खत्म हो गया। इसका सबसे बुरा असर दनकौर के ब्लाक पर पडा और जिले का सबसे पुराना दनकौर ब्लाक खत्म कर दिया गया। जब कि भाजपा की डबल की इंजन की सरकार मे जिले के दादरी, बिसरख और यहां तक की जेवर ब्लाक आज भी कायम है।

दनकौर में सरकारी हॉस्पिटल
दनकौर में सरकारी हॉस्पिटल की तरक्की किए जाने के क्रम में जमीन न मिलना बडी बाधा बनी हुई है

ब्लाक के खत्म किए जाने से दनकौर में आजादी के जमाने में स्थापित किए गए सरकारी हॉस्पिटल को भी खत्म किए जाने की खबरें फैली। इस पर यहां तैनात चिकित्सा अधिकारियों ने सफाई दी कि यहां की सरकारी बिल्डिंग पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है, छत से कई बार प्लास्टर टूट कर गिर जाता है और यहां तक की कार्यरत स्वास्थ्य कर्मी चोटिल तक हो चुके हैं, इसलिए कुछ सेवाओं को कुछ समय के लिए रोका गया है। जब कि आला अफसरों की ओर से कहा जाता रहा है कि दनकौर के इस सरकारी हॉस्पिटल की बिल्डिंग नए तरीके से बनाई जानी है, जिसके लिए बजट और जमीन का इंतजार है। दनकौर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर डा0 नारायण किशोर प्रभारी चिकित्साधिकारी के रूप में तैनात रहे थे और हाल में ही उन्हें डाढा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का चिकित्सा अधीक्षक बनाया गया है। अभी 2 दिन पहले डा0 नारायण किशोर चिकित्सा अधीक्षक सामुदायिक स्वाथ्य केंद्र डाढा के हस्ताक्षर से एक आदेश सोशयल मीडिया में वायरल हुआ कि दनकौर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंंद्र से अब आकस्मिक स्वास्थ्य सेवाएं और एमएलसी यानी मेडिकल लीगल केस सर्विस हटा ली गई हैं। इतना था कि पूरे क्षेत्र में इस आदेश को लेकर लोगों में उबाल पैदा हो गया। लोगों के अंदर तीखी प्रतिक्रिया थी कि भाजपा की डबल की इंजन की सरकार के बाद ट्रिपल इंजन की सरकार में यही होना बाकी रह गया था। लोकसभा चुनाव सिर पर और तुगलकी फरमान ऐसा कि ब्रिटिश जमाने से चली आ रही सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को बढाने के बजाय इस तरह हटा लिया जाए, यह कौन सी सरकार की उपलब्धि है? यह तो गनीमत रही कि पूरे जिले में विपक्ष गहरी नींद में सोया हुआ है, वरना इस मुद्दे को लपकते हुए तिल का ताड अलग से बना दिया गया होता। इसे ट्रिपल इंजन की सरकार की सजगता का ही सुबूत मानें कि कई सभासद और यहां तक नगर पंचायत चेयरमैन श्रीमती राजवती देवी, प्रतिनिधि व पुत्र दीपक सिंह एक प्रनिनिधिमंडल के साथ डबल इंजन की सरकार के दरबार में पहुंचे और मांग की कि दनकौर के सरकारी हॉस्पिटल की तमाम सुविधाओं को खत्म न किया जाए इससे जनता के बीच गलत संदेश जा रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री व गौतमबुद्धनगर के सांसद डा0 महेश शर्मा ने ट्रिपल इंजन की सरकार की इन बातों को गंभीरता से लिया और आला अफसरों के पेच कसे। आखिर परिणाम यह हुआ कि तत्काल ही सीएमओ गौतमबुद्धनगर की ओर से आदेश जारी किया गया कि दनकौर के हॉस्पिटल से कोई भी स्वास्थ्य सुविधा नही हटाई जा रही है, सभी स्वास्थ्य  सुविधाएं पूर्व की भांति यथावत रहेंगी। दनकौर चेयरमैन श्रीमती राजवती देवी के प्रतिनिधि व पुत्र दीपक सिंह ने ’’विजन लाइव’’ को बताया कि दनकौर के सरकारी हास्पिटल की सभी स्वास्थ्य सेवाएं पहले की भांति यथावत रहेंगी, ऐसा आश्वासन पूर्व केंद्रीय मंत्री व गौतमबुद्धनगर के सासंद डा0 महेश शर्मा की ओर से मिला है। इसके साथ ही दनकौर के प्रबुद्ध वर्ग के लोगों और व्यापारियों का एक प्रतिनिधिमंडल भी पूर्व केंद्रीय मंत्री व सासंद डा0 महेश शर्मा से जल्द ही मिलेगा और जर्जर सरकारी अस्पताल के भवन के जीर्णोद्वार और नई बिल्डिंग के लिए जमीन उपलब्ध कराए जाने की मांग की जाएगी। उन्होंने बताया कि सरकारी अस्पातल फिलहाल करीब साढे पांच बीघा जमीन में चल रहा है, जो बढते हुए स्टाफ और अन्य जरूरी सुविधाओं के लिए नाकाफी है, पीएचसी से सीएचसी किए जाने के लिए करीब 8 बीघा जमीन की अलग से जरूरत है। उम्मीद है कि सीएचसी किए जाने के लिए जमीन भी उपलब्ध होगी और बजट भी। दनकौर से इस सरकारी अस्पताल को खत्म नही होने दिया जाएगा।

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