
सुरेश गोला एंड पार्टी के कलाकारों, स्थानीय प्रतिभाओं और बाल कलाकारों ने लूटी वाहवाही

मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी” / सूरजपुर
ऐतिहासिक सूरजपुर बाराही मेला.2025 के चौथे दिन, रविवार को सांस्कृतिक मंच पर लोक कलाकारों, नन्हे.मुन्ने बच्चों और सूरजपुर की उभरती प्रतिभाओं ने ऐसी प्रस्तुतियाँ दीं, जिन्होंने दर्शकों को देर रात तक बाँधे रखा।
मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथियों का हुआ भव्य स्वागत
मुख्य अतिथि पवन नागर ;अध्यक्ष, सेक्टर गामा-.2 आरडब्ल्यूए, ग्रेटर नोएडा और विशिष्ट अतिथि फिरेराम प्रधान, नरेंद्र नागर, राजवीर डेढा व राहुल नरोली का शिव मंदिर सेवा समिति के पदाधिकारियों द्वारा पारंपरिक स्वागत किया गया।
सूरजपुर की प्रतिभाओं ने बांधा समा
स्थानीय प्रतिभाओं शिवम पंडित, प्रलय दत्त, पलक सिंह राजपूत और यानवी भाटी ने गीत, संगीत व नृत्य से समां बांधते हुए दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

यू केन डांस अकैडमी के बाल कलाकारों की प्रस्तुति
आरुष-.इशु और आदित्य क्षत्री ;यू केन डांस अकैडमी, नोएडा ने अपनी रंगारंग प्रस्तुति से सभी का मन मोह लिया।
लोक कलाकारों की प्रस्तुतियाँ रहीं आकर्षण का केंद्र
सुरेश गोला एंड पार्टी की रचनात्मक रागनियाँ कर्ण और कुंती संवाद, तू मौज लूटता हांडे आदि ने खूब तालियाँ बटोरीं। साथ ही संध्या चौधरी, दिनेशा गुड़गांव, बॉबी बघेल और नानक चंद की प्रस्तुतियाँ भी दमदार रहीं। भावना भाटी गाजियाबाद ने अपनी नृत्य प्रस्तुति से मंच पर उत्सव का रंग जमा दिया।

कलाकारों को स्मृति चिन्ह भेंट कर किया गया सम्मानित
शिव मंदिर सेवा समिति के अध्यक्ष धर्मपाल प्रधान, महामंत्री ओमवीर बैसला, कोषाध्यक्ष लक्ष्मण सिंघल, मीडिया प्रभारी मूलचंद शर्माए और सुनील शर्मा, राजपाल भडाना, सुभाष शर्मा कैसेट वाले,गौरव नागर, सतपाल शर्मा एडवोकेट, रघुवीर जेसीबी, अरविंद भाटी, सचिन भाटी, मदन शर्मा, भगत सिंह आर्य, अजय शर्मा एडवोकेट आदि पदाधिकारी भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे और आयोजन को सफल बनाने में योगदान दिया।

आगामी कार्यक्रमों की जानकारी
शिव मंदिर सेवा समिति के मीडिया प्रभारी मूलचंद शर्मा ने बताया कि कल दिनांक 15 अप्रैल 2025 को रात्रि कालीन कार्यक्रमों की श्रृंखला में प्रसिद्ध रागिनी कलाकार रविंद्र खालोर, सुनील चौहान, लोकेंद्र चौधरी, अमित चौधरी, योगेश सूर्यवंशी, नीतू भाटी और प्रीति कश्यप अपनी प्रस्तुति देंगे।
इसके अतिरिक्त एन.एस. पब्लिक स्कूल के बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे, साथ ही राजबाला सपेरा और पार्टी की लोक सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी विशेष आकर्षण रहेंगी।

दर्शकों की भारी भीड़, सांस्कृतिक मंच रहा आकर्षण का केंद्र
सांझ होते ही दर्शकों की भीड़ मेला परिसर में उमड़ पड़ी थी। पूरे आयोजन में पारिवारिक माहौल और सांस्कृतिक आनंद का संगम देखने को मिला। मेला समिति ने सभी का आभार जताया और आगामी आयोजनों के लिए आमंत्रण भी दिया।

विशेष आकषर्ण………………….
बाराही मेले में बनी चौपाल पर ग्रामीण जनजीवन पर आधारित चीजों की दिखाई दे रही है झलक
कृषि प्रधान भारत की आत्मा गांवों में ही बसती है। प्राचीनकाल से ही मनुष्य की आजीविका कृषि और पशुपालन पर निर्भर है। कंप्यूटरीकरण के इस दौर में अब ग्रामीण संस्कृति एक तरह से लुप्त होती जा रही है। घर में हर दिन काम आने वाली चीजें भी सांस्कृतिक धरोहर के रूप में देखी जानी शुरू हो गई हैं। हुक्का, दही मथने वाली रई, पीढा, ईंढी, चारा काटने वाली मशीन और बैलगाडी अब इतिहास की धरोहर बन गई हैं। बाराही मेले में ग्रामीण संस्कृति की इन चीजों का विशेष ख्याल रखा गया है। यहां एक चौपाल बनी हुई है। इस बाराही बैठक पर इन सब चीजों के दर्शन आसानी से किए जा सकते हैं।

बाराही चौपाल पर सबसे बडी खाट है जिसकी लंबाई करीब 12 गुणा 6 फीट है। खाट के पाई की उंचाई करीब ढाई फीट और मोटाई 2 फीट है। शिव मंदिर सेवा समिति के अध्यक्ष चौधरी धर्मपाल भाटी ने बताया कि संभवत यह विश्व की सबसे बडी खाट है और जिसमें करीब 50 किग्रा बान बुनाई में लगे हुए हैं। इस खाट का वजन करीब 2 कुंतल बैठता है और जिसे उठाने में 8 लोगों की मद्द लगती है। चौपाल पर यहां सबसे बडा हुक्का जिसकी उंचाई करीब 5 फीट है। इसमें दस्ती मिट्टी है और जिसका वजन करीब 20 किग्रा है।

हुक्का नेहचा करीब 6 फीट लंबा है। शिव मंदिर सेवा समिति के महामंत्री ओमवीर बैंसला ने बताया कि सबसे बडे हुक्का की चिलम भी विशालकाय है। इस सबसे बडे हुक्का को देख कर अहसास होने लगता है कि पहले गांव में बडे बुजुर्ग कैसे हुक्का गुडगुडाया करते थे? दही मथने वाली रई की बात करें यहां चौपाल पर रई की उंचाई भी करीब 5 फीट है। शिव मंदिर सेवा समिति के कोषाध्यक्ष लक्ष्मण सिंघल बताते हैं कि सबसे बडी रई का वजन करीब 20 किग्रा है और उंचाई 5 फीट बैठती है। इसकी पखुंडी 2 फीट चौडी हैं। इन दैनिक उपयोग की वस्तुओं के अलावा करीब 50 साल पुरानी बैलगाडी भी लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रही है। शिव मंदिर सेवा समिति के मीडिया प्रभारी मूलचंद शर्मा ने बताया कि इसके साथ ही चारा काटने की मशीन,चक्की, कुठला, राया भी हैं। उन्होंने बताया कि कंप्यूटरीकरण के दौर में ये ग्रामीण जनजीवन पर आधारित चीजें अब लुप्त होनी शुरू हो गई हैं।

नई पीढी के बच्चों से इन चीजों के बारे में पूछा जाए तो बता नही पाएंगे? ग्रामीण जनजीवन पर आधारित इन चीजों की झलक दिखाने के लिए चौपाल का निमार्ण कराया था। वर्ष 2001 मेंं जब शिव मंदिर मेला समिति आसित्व में आई थी, उसी समय से यह चौपाल शुरू हुई थी। हर बाराही मेले में इन चीजों को प्रदर्शन के लिए रखा जाता है, ताकि लोगों को अपनी धरोहर और संस्कृति का भान होता रहे।