खुर्जा से गौतम बुद्ध नगर बनी लोकसभा का सदन की कार्यवाही का दस्तावेजी इतिहास भाग- 1
आर्य सागर खारी
देश की आजादी के पश्चात गठित प्रथम लोकसभा से लेकर 17वीं लोकसभा तक चुने गए सांसदों का संसदीय लेखा सदन में उनकी सक्रियता उनके द्वारा गए पूछे गए प्रश्न विभिन्न मुद्दों पर की गई डिबेट का सारा दस्तावेजी विवरण संसद की डिजिटल लोकसभा लाइब्रेरी में दर्ज है। कोई भी व्यक्ति अपनी लोकसभा के इतिहास सांसदों की कर्मठता कौशलता का आकलन उस लाइब्रेरी पर उपलब्ध हजारों लाखों करोड़ों दस्तावेजों के निरीक्षण से कर सकता है।
आजादी के उपरांत 1962 में खुर्जा लोकसभा का गठन किया गया 2008 में इसके स्थान पर नई परिसीमन गौतम बुद्ध नगर लोकसभा बनाई गई। 26 अप्रैल को गौतम नगर के 26 लाख से अधिक मतदाता 18वीं लोकसभा के लिए अपने सांसद के चयन के लिये मतदान करेंगे।
मैंने संसद की डिजिटल लाइब्रेरी से खुर्जा वर्तमान में गौतम नगर लोकसभा से निर्वाचित सभी सांसदों कि सदन की कार्यवाही में उनकी भूमिका का विश्लेषण किया है बेहद रोचक तथ्य निकाल कर आए हैं।
व्यापक एक तथ्य तो निकल कर आया है आजादी के बाद के पुरानी पीढ़ी के नेता जनता मुद्दों को लेकर बेहद गंभीर सजग रहते थे चोरी लूट डकैती की घटना से लेकर राष्ट्रीय समस्याओं पर उनका व्यापक दृष्टिकोण रहता था अपने संसदीय क्षेत्र ही नहीं देश के अन्य संसदीय क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं को वह प्रमुखता से उठाते थे। राष्ट्रीय स्तर की समस्या से लेकर ग्राम स्तर की समस्याओं को भी वह संसद में बेहद संजीदगी से उठाते थे।
गौतम बुद्ध नगर लोकसभा के संबंध में या पुर्व में खुर्जा लोकसभा के संबंध में फिलहाल दो तथ्य निकाल कर आए हैं एक तथ्य तो यह है 1962 से लेकर 2024 तक निर्वाचित इस सीट से सभी सांसदों में यदि सदन की कार्रवाई में हिस्सा पूछे गए प्रश्नों की संख्या के आधार पर हम आकलन करें तो गैर कांग्रेसी गैर भाजपाई सांसद अधिक सक्रिय रहे हैं चाहे जनता दल के सांसद हो या प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के सांसद।
दूसरा तथ्य यह निकला गौतम बुध नगर में भूमि घोटालों, भूमि पर भू-माफिया द्वारा अवैध कब्जे का आजादी के बाद से जुड़ा हुआ पुराना इतिहास रहा है। सदन में इन घोटालों को भूमिहीनों की समस्याओं किसानो की समस्याओं को खुर्जा लोकसभा के निर्वाचित पुरानी पीढ़ी के सांसद जोर-शोर से उठाते थे।
गौतम बुध नगर में भूमि घोटालों का प्राचीन इतिहास रहा है। चालाक लोग अधिकारियों के साथ मिलकर जमीन का घोटाला करते थे। 1967 में खुर्जा से सांसद श्री राम चरण जी नेजो प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के सांसद थे राम मनोहर लोहिया की पार्टी थी कांग्रेस के प्रत्याशी को हराकर सांसद बने थे उन्होंने दादरी व जेवर में कुल कितनी जमीन भू-माफिया के कब्जे में कितनी जमीन को कब्जे से मुक्त कराया गया है इसका रिकॉर्ड संसद में मांगा था। तारांकित प्रश्न पूछ कर संबंधित विभाग के केंद्रीय मंत्री के माथे पर बल पड़ गया था सदन की कार्रवाई के दौरान । खाद्य कृषि सामुदायिक विकास मंत्री श्री अन्नासाहेब शिंदे भारत सरकार से यह जानकारी उन्होंने मांगी थी जो पंडित नेहरू जी के विश्वसनीय सहयोगी थे।
खुर्जा से 1967 में सांसद श्री राम चरण ने यह भी पूछा था की खुर्जा लोकसभा की जेवर ,दादरी आदि तहसीलों में कुल कितने भूमिहीनों वंचितों दलितों को कांग्रेस की उत्तर प्रदेश सरकार ने जमीन आवंटित की है।
इतना ही नहीं उन्होंने 1965 में सोरखा गांव नोएडा का गांव है जहा आज जमीनों का रेट लाखों रुपए प्रति मीटर है उस समय दादरी परगना सिकंदराबाद तहसील में लगता था । उसे गांव के प्रधान द्वारा 1965 में किए गए भूमि घोटाले को भी उस दौरान संसद में जोर-शोर से उठाया था जिसमें प्रधान ,भूमि प्रबंधन समिति के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई हुई थी। मामला यह था ग्राम सभा की 90 बीघा जमीन का पट्टा प्रधान ने 6 लोगों को कर दिया ₹10 प्रति बीघा के हिसाब से और फिर उन पट्टेदारों ने उसमें से 30 बीघा जमीन को ₹200 प्रति बीघा की दर से 1 साल के अंदर बेच कर भारी मुनाफा कमाया जिन 6 व्यक्तियों को पट्टा हुआ था उनके नाम पहले से जमीन थी वह संपन्न थे।
आजादी से लेकर जितने भी सांसद खुर्जा लोकसभा से चुने गए वह बहुत बुद्धिजीवी जागरूक थे गरीबों पिछड़ों दलितों के मुद्दों को वह जोर-शोर से उठाते थे खुर्जा लोकसभा क्षेत्र की छोटी-छोटी घटना भी प्रमुखता से उठाई जाती थी। जिसमें बेरोजगारी, बाढ़, किसान, पशुपालकों से संबंधित गौतम नगर वासियों या उस समय के बुलंदशहर वासीयो की समस्या होती थी सभी प्रश्न बहस का रिकार्ड मौजूद है। संसद की डिजिटल लाइब्रेरी में। हजारों पन्ने के दस्तावेज है समय अभाव के कारण में सभी को खंगाल नहीं सकता।
आजादी के बाद से ही गौतम बुद्ध नगर का किसान भूमि हीन कृषि मजदूर पीड़ित रहा है न जाने कितने घोटाले किसानों के नाम पर किये जा चुके हैं।आज प्राधिकरण द्वारा किए गए एक घोटाला भी संसद में उठाया नहीं जाता । जबकि उस दौर में ग्राम प्रधान द्वारा की गई हेरा फेरी प्रमुखता से संसद में उठाई जाती थी भारत सरकार के कैबिनेट मंत्री को जवाब देना पड़ता था। लखनऊ तक जांच पड़ताल होती थी।
1962 में खुर्जा से सांसद कन्हैयालाल वाल्मीकि ने तो सूरजपुर में वन विभाग की कल्लर जमीन को गुलिस्तानपुर व सूरजपुर के भूमिहीन किसानों दलितों को देने के लिए मांग की थी यह लगभग 3000 बीघा जमीन थी उनका तर्क था किसान अपने परिश्रम से इस जमीन को उपजाऊ बना देंगे। दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार ने इस जमीन पर वन उपजाने के लिए 4 वर्ष के ठेके पर दिल्ली की एक फर्म को दे दिया था जिसका विरोध वाल्मीकि जी ने किया था यह जानकारी भी संसद के दस्तावेजों में उपलब्ध है।
वही खुर्जा कस्बे की बात करें जिसके नाम से अनेक दशको तक गौतम बुद्ध नगर लोकसभा जानी पहचानी जाती रही है उसको लेकर 8 मार्च 1977 को खुर्जा के सांसद मोहनलाल पीपिल ने खुर्जा के चीनी मिट्टी के बर्तन उद्योग की समस्या उसमें लगे मजदूरों कारोबारोंयो की समस्या को प्रमुखता से संसद में उठाया था। तत्कालीन उद्योग मंत्री जार्ज फर्नांडिस को इस मुद्दे पर जवाब देना पड़ा था उन्होंने प्रश्न पूछा था कि कितने कर्मचारी इस समय खुर्जा में पोट्री उद्योग से जुड़े हुए है तो 10000 कर्मचारियों को आंकड़ा भारत सरकार ने बताया था उनके लिए उनके बच्चों के लिए स्वास्थ्य शिक्षा की व्यवस्था की बात भारत सरकार ने की थी सरकार ने यह भी बताया था कि 4 लाख की सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी हमें खुर्जा के चीनी मिट्टी के उद्योग से मिली अकेले 1977 वर्ष में। दुर्भाग्य है इसके बाद खुर्जा के चीनी मिट्टी बर्तन खिलौने उद्योग की मांग समस्या को किसी भी सांसद ने नहीं उठाया चाहे अशोक प्रधान हो सुरेंद्र नागर हो या डॉक्टर महेश शर्माजी हो जो तीसरी बार भी भारी मतों से जीत की हेट्रिक लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं। मोहनलाल जी केवल इकलौते सांसद थे खुर्जा के चीनी मिट्टी उद्योग कि समस्या को संसद के सामने रखा था।इतना ही नहीं 15 मार्च 1978 को उन्होंने संसद में आज के हमारे गौतम बुद्ध नगर गाजियाबाद बुलंदशहर के कुछ हिस्से को दिल्ली राज्य में मिलने की मांग की थी इस इलाके के बेहतर विकास के लिए यह सभी जानकारी संसद के रिकॉर्ड में दर्ज है। तत्कालीन गृह मंत्री ने इस मांग पर विचार का आश्वासन दिया था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अलग इलाहाबाद हाई कोर्ट की बेंच की मांग भी उन्होंने उठाई थी कानून मंत्री के समक्ष।
संसद लोकसभा के दस्तावेजों के निरीक्षण से एक से एक रोचक ऐतिहासिक सांस्कृतिक तथ्य निकाल कर आता है अगले लेख में वर्ष 1980 से लेकर 2024 तक सांसद पूर्व में खुर्जा या वर्तमान में गौतम बुद्ध नगर लोकसभा के सांसदों की कार्यशैली का विश्लेषण प्रस्तुत किया जाएगा।
पुराने बुजुर्गों की एक कहावत है “लिखतम के आगे बकतम नहीं चलती” किसी भी लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले या कर रहे प्रत्येक सांसद की कुंडली संसद की लोकसभा डिजिटल लाइब्रेरी में दर्ज है कोई भी आम नागरिक उस कुंडली को खंगाल सकता है यही भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती है । 18वीं लोकसभा में अपने सांसद के चयन के लिए मतदान जरूर करें लोकतंत्र के पर्व को उत्सव के रूप में बनाएं।
जय भारत ,जय गणतंत्र।
लेखक :-आर्य सागर खारी,सूचना का अधिकार व सामाजिक कार्यकर्ता है।