बडी खबरः-ग्रेटर नोएडा में बाढ से ताबाही

बाढ आ जाने से ताबाही
उत्तर प्रदेश के वीआईपी जिला गौतमबुद्धनगर के हाईटेक सिटी ग्रेटर नोएडा में बाढ आ जाने से ताबाही मची

 

ग्रेटर नोएडा की कासना नदी के डूब क्षेत्र
ग्रेटर नोएडा की कासना नदी के डूब क्षेत्र में किसानो की सैकडों की बीघा फसल बर्बाद

बाढ का यह पानी गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी में कई स्थानों तक जा पहुंचा

मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/ग्रेटर नोएडा

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी पंप सेट से पानी को वापस निकालने में लगे हुए हैं

उत्तर प्रदेश के वीआईपी जिला गौतमबुद्धनगर के हाईटेक सिटी ग्रेटर नोएडा में बाढ आ जाने से ताबाही मची है। ग्रेटर नोएडा शहर में बाढ का पानी घुस जाने से किसानों की सैकडों बीघा फसल बर्बाद हो चुकी है और जिससे किसान खून के आंसू रोने के लिए मजबूर हैं। वहीं झुग्गी बस्ती के लोग सुरक्षित ठिकानों की ओर जा रहे हैं। इन गरीब लोगों की झुग्गी बस्तियां डूब चुकी हैं। ग्रेटर नोएडा के कासना गांव का शमशान घाट पूरी तरह से बाढ आ जाने से पानी से लबा लब हो चुका है। बताया जा रहा है कि बाढ का यह पानी गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी में कई स्थानों तक जा पहुंचा है। हालांकि इसकी कोई अधाकारिक पुष्टि नही पाई हैं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी पंप सेट से पानी को वापस निकालने में लगे हुए हैं। कुल मिला कर ग्रेटर नोएडा शहर में गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी और राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान कासना के सामने पानी ही पानी नजर आ रहा है। पिछले 3 दशकों के बाद पहली बार ऐसा देखा गया जब पवर्तीय इलाकों से छोडे गए यमुना नदी में पानी से हिंडन और यमुना नदी ने इतना रौद्र रूप धारण कर लिया कि ग्र्रेटर नोएडा में पानी आ घुसा और किसानों की सैकडों की बीघा फसल बर्बाद हो गई।

ग्रेटर नोएडा से होकर बहती है, छोटी नदी

कासना से एक नदी
कासना से एक नदी जैसा रूप लेते हुए यह नहर यमुना नदी में, जहां हिंडन और यमुना का मिलन होता है, मिल जाती हैं

दरअसल  सिकंद्राबाद जीटी रोड पर कोट की नहर से एक नहर निकल कर कासना की ओर आती है। जब कोट की नहर में पानी का दबाब ज्यादा हो जाता है तो इस कासना की नहर में पानी छोडा जाता हैं। ग्रेटर नोएडा में कासना गांव में इस नहर में ही लहुया खार नाला भी आकर गिरता है। लहुया खार नाला ग्रेटर नोएडा शहर का एक ऐसा नाला है जो, दादरी से निकल कर श्योराजपुर और खोदना गांवों से होता हुआ देवला, सूरजपुर और फिर सूरजपुर औद्योगिक क्षेत्र, तुगलपुर, पी थ्री से होता हुआ यहां कासना नहर में मिल जाता है। सूरजपुर से लेकर कासना तक ग्रेटर नोएडा के सभी रोड नालों का पानी इस लहुया खार में मिल जाता है। कासना से एक नदी जैसा रूप लेते हुए यह नहर यमुना नदी में, जहां हिंडन और यमुना का मिलन होता है, मिल जाती हैं। गौतमबुद्धनगर जिले में घरबरा मोतीपुर गांवों के पास यमुना और हिंडन नदी में मिलती हैं। कासना की यह नहर यानी छोटी नदी बिल्कुल शहर के बीचो बीच है, इसमें एक ओर शहर का टॉप ऐरिया सेक्टर चाई फाई और बिल्डर ऐरिया हैं और वहीं दूसरी ओर गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी जहां अक्सर सीएम योगी आकर ठहरते भी हैं और राजकीय आयुर्विज्ञान कासना भी में है। बताया गया है इन दिनों ग्रेटर नोएडा में बाबा बागेश्वर धाम  सरकार की कथा भी चल रही है, प्रसिद्ध कथावाचक पंडित धीरेंंद्र कृष्ण शास्त्री भी फिलहाल यहीं गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी में ठहरे हुए हैं। पर्वतीय इलाकों में जब लगातार बारिश होती है तो हथनी कुंड से पानी छोडा जाता है। इस बार जैसे ही हथनी कुंड से पानी छोडा गया यमुना और हिंडन नदियों से इसने रोद्र रूप धारण किया और बाढ का पानी उछाल मारते हुए ग्रेटर नोएडा में आ घुसा।

डूब क्षेत्र में सैकडों बीघा किसानों की फसल बबार्द

तगुलपुर निवासी किसान चौधरी शौकत अली चेची
तगुलपुर निवासी किसान चौधरी शौकत अली चेची

ग्रेटर नोएडा की कासना नदी के डूब क्षेत्र में किसानो की सैकडों की बीघा फसल बर्बाद हो गई है। बताया गया है कि मक्का, बाजारा,ज्वार और धान जैसी फसलें पूरी तरह से पानी में डूब चुकी है। इससे यहां किसान खून आंसू रोने के लिए मजबूर है। तगुलपुर निवासी किसान चौधरी शौकत अली चेची ने बताया कि बाढ ने यहां पर 3 दशक के बाद ऐसा विकराल रूप धारण किया है कि करीब 15-15 फीट तक पानी आ चुका है और ज्वार, मक्का और बाजारा तक की फसलें पूरी तरह से डूब चुकी है। इससे पहले सन 1992 में भयंकार बाढ आई थी जब फसल पूरी तरह से बबार्द हो गई थी और उसके बाद अब ऐसा हुआ है। उन्होंने बताया कि करीब 80 बीघा उनकी धान की फसल है, जो पूरी तरह से बबार्द हो चुकी है। अब क्या करें सब कुछ लुट गया?

सुरक्षित ठिकाने की तलाश में भटक रहे है, झुग्गी बस्तियों के लोग

नदी के पुश्ते पर आश्रय लिए हुए हैं और खाना पीना वहीं हो रहा हैं
नदी के पुश्ते पर आश्रय लिए हुए हैं और खाना पीना वहीं हो रहा हैं
झुग्गी बस्तियों के लोग बाढ में घिर जाने के कारण
झुग्गी बस्तियों के लोग बाढ में घिर जाने के कारण लगातार सुरक्षित ठिकाने की तलाश में भटक रहे हैं

कासना नदी के इस डूब क्षेत्र में बसे हुए झुग्गी बस्तियों के लोग बाढ में घिर जाने के कारण लगातार सुरक्षित ठिकाने की तलाश में भटक रहे हैं। वैसे गौतमबुद्धनगर जिला प्रशासन की ओर से यमुना नदी के तटवर्ती इलाकांं में दर्जनों बाढ चौकियां स्थापित की गई हैं, मगर ऐसा बिल्कुल नही दिखाई दे रहा है। लोग झुग्गी बस्तियों से निकल कर पुश्ता पर शरण लिए गए हए हैंं इनमें दर्जनों परिवार ऐसे हैं जो कासना से लेकर यमुना एक्सप्रेस-वे की ओर जाते हुए नदी के पुश्ते पर आश्रय लिए हुए हैं और खाना पीना वहीं हो रहा हैं

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