आखिर पुरानी पेंशन और नई पेंशन में क्या फर्क है और पदोन्नतियों से सरकार पैर पीछे क्यों खींच रही है, इन तमाम सवालों को लेकर ’’विजन लाइव’’ ने शिक्षकों के प्रमुख संगठन उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के मेरठ मंडल अध्यक्ष व मांडलिक संगठन मंत्री मेघराज भाटी से खास बातें की है, आइए आपकों रूबरू कराते हैः-
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/गौतमबुद्धनगर
उत्तर प्रदेश मेंं सरकारी स्कूलों के शिक्षकांं की नाराजगी सरकार को भारी पड सकती है। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों को कोई खास सुविधाएं न देते हुए उल्टा बैगार जैसे कार्य कराए जाते हैं। इससे सरकारी स्कूलों के शिक्षकों का ज्यादातर समय वोट बनवाने, वोट डलवाने, वोटों की गिनती, टीकाकरण, जनगणना जैसे कार्यो में ही बर्बाद हो जाता है। दूसरी ओर पुरानी पेंशन की बहाली और पदोन्नति जैसी मांगों को लेकर सरकारी स्कूलों के शिक्षक लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। हालांकि शिक्षा निदेशालय की ओर से शिक्षकों को आश्वासन मिला है कि आगामी 16 अक्टूबर-2023 को शिक्षकों और सरकार के बीच एक वार्ता होगी और जिसमें कुछ हल निकलने की संभावना है। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की इन मांगों के अलावा पुरानी पेंशन बहाली और पदोन्नति जैसे प्रमुख ज्वलंत मुद्दे हैं। आखिर पुरानी पेंशन और नई पेंशन में क्या फर्क है और पदोन्नतियों से सरकार पैर पीछे क्यों खींच रही है, इन तमाम सवालों को लेकर ’’विजन लाइव’’ ने शिक्षकों के प्रमुख संगठन उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के मेरठ मंडल अध्यक्ष व मांडलिक संगठन मंत्री मेघराज भाटी से खास बातें की है, आइए आपकों रूबरू कराते हैंः-
विजन लाइवः- पुरानी पेंशन क्या थी, विस्तार से बताइए?
मेघराज भाटीः- पुरानी पेंशन वर्ष 2004 से पहले दी जाती थी। टोटल वेतन का 10 प्रतिशत जीपीएफ के लिए कटता था, रिटायरमेंट होने पर इस 10 प्रतिशत फंड को ब्याज समेत लौटा दिया जाता था। अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में आजीवन मिलता था। इससे शिक्षक को बचा हुआ जीवन एक तरह से सुरक्षित हो जाता था।
विजन लाइवः- उत्तर प्रदेश में यह पुरानी पेंशन कब खत्म कर दी गई?
मेघराज भाटीः– वर्ष 2004 में भारत सरकार ने यह पुरानी पेंशन खत्म कर दी और फिर उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2005 में पूरानी पेंशन को समाप्त कर दिया, तभी से शिक्षक पुरानी पेंशन की बहाली को लेकर लडाई लड रहे हैं।
विजन लाइवः- नई पेश्ांन में क्या खास प्रावधान है?
मेघराज भाटीः- इसमें 10 प्रतिशत एनपीएस यानी न्यू पेंशन स्कीम के लिए शिक्षक का कटता है और 14 प्रतिशत सरकार जमा करती है। रिटायरमेंट के समय कुल जमा धनराशि का 60 प्रतिशत शिक्षक को दे दिया जाता है, शेष 40 प्रतिशत रकम को शेयर मार्केट में लगाया जाता है और उसमें से जो भी प्राप्त होता है, पेंशन रूप में दिए जाने का प्रावधान है। चिंता इस बात की होती है कि शेयर मार्केट में लगा हूआ पैसा घटता है बढता है और डूब भी सकता है। इससे पेंशन की कोई गारंटी नही है और न ही सरकार कोई गारंटी पेंशन की देती है। इस संशय की वजह से पुरानी पेंशन बहाली के लिए लगातार आंदोलन किया जा रहा है।
विजन लाइवः- देश के कुछ राज्यों में आज भी पुरानी पेंशन लागू है, फिर उत्तर प्रदेश में ऐसा क्यों हो रहा है?
मेघराज भाटीः- देखिए, देश के पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ, पश्चिमी बंगाल, बिहार, हिमाचल प्रदेश और केरल ऐसे राज्य जहां आज भी पुरानी पेंशन लागू है। शिक्षा का अधिकार और पेंशन केंद्र के साथ साथ राज्य सरकार के अंतर्गत समवर्ती सूची में आता है। राज्य को यह अधिकार है कि वह पुरानी पेंशन भी दे सकता है।
विजन लाइवः- पदोन्नति के मामले में भी सरकार पैर पीछे खींच रही है?
मेघराज भाटीः- जी, बिल्कुल, वर्ष 2015 के बाद कोई पदोन्नति नही हुई है। शिक्षा विभाग के तुगलकी रवैये के चलते हुए छात्र संख्या के आधार पर प्रधानाध्यापक के पद सृजित किए जाते हैं और ऐसे विद्यालय जहां छात्र संख्या सरकार के आंकडों में कम होती है वहां कार्यवाहक प्रधानाध्यापक के रूप में सहायक अध्यापकों से जबरदस्ती काम लिया जा रहा है, जो कि गलत है।
विजन लाइवः हाल मेंं लखनउ में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के बैनर तले शिक्षकांं ने धरना प्रदर्शन किया था, क्या आश्वासन मिला?
मेघराज भाटीः– महानिदेशक महोदय से हुई वार्ता में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिनेश चंद्र शर्मा, माध्यमिक प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कुमार त्रिपाठी, माननीय एमएलसी महोदय ध्रुव कुमार त्रिपाठी के साथ गए प्रतिनिधि मंडल द्वारा शिक्षकों की समस्त समस्याओ को पुरजोर तरीके से रखा और स्पष्ट शब्दों में कहा कि आज जो शिक्षक परेशान है,शिक्षा निदेशालय के तुगलकी रवैये के कारण है, यह सब अब चलने वाला नही है। शिक्षा निदेशक की ओर से आगामी 16 अक्टूबर-2023 को एक वार्ता बैठक रखी गई है जिसमें सभी मांगों को पुरजोर तरीके से रखा जाएगा।