
मौहम्मद इल्यास – “दनकौरी” / सूरजपुर
13-दिवसीय ऐतिहासिक बाराही मेला 2025 (सूरजपुर) में दनकौर (ग्रेटर नोएडा) क्षेत्र के पहलवानों का दबदबा कायम रहा। स्वर्गीय जयपाल भगत जी की स्मृति में आयोजित पाँच प्रमुख कुश्तियों (101–1,00,101 ₹) में विशेष तौर पर 51,000 ₹ और 1,01,100 ₹ की दो मुख्य मुकाबलों में दनकौर के पहलवानों ने ‘चित’ करके जीत दर्ज की। मेले का संचालन 2001 से शिव मंदिर सेवा समिति द्वारा हो रहा है, जिसने इस बार आधुनिक सुरक्षा और व्यापक मीडिया कवरेज के साथ आयोजन को और भव्य बनाया। प्रमुख आयोजक समिति ने भविष्य में मेले को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने की रूपरेखा भी प्रस्तुत की।

- मेले का ऐतिहासिक परिचय
1.1 ग्राम कल्याण से शिव मंदिर सेवा समिति तक
प्रारंभ में ग्राम कल्याण समिति आयोजन करती थी; 2001 से शिव मंदिर सेवा समिति ने कमान संभाली।
पिछले دو दशक में धार्मिक, सांस्कृतिक व खेल आयोजन की भव्यता दोगुनी हुई।

1.2 स्वर्गीय जयपाल भगत जी का योगदान
उन्होंने पहलवानी दंगल को मेले का केन्द्र बनाया, जिससे युवा प्रतिभाओं को मंच मिला।
उनके परिवारजन (सतवीर ठेकेदार, राजगीर भगत, अनिल, सुनील, परमजीत, धर्मवीर, धर्मपाल, सुखबीर भाटी) आज भी स्मृति में आयोजन करते हैं।


- दंगल परिणाम एवं दनकौर का दबदबा
हाईलाइट: मुख्य दो मुकाबलों में दनकौर क्षेत्र के पहलवानों का प्रभुत्व—51,000 ₹ व 1,01,100 ₹ की कुश्तियाँ ‘चित’ करके जीतीं—से क्षेत्रीय मल्ल परंपरा की मजबूती उजागर हुई।
- सामाजिक–धार्मिक महत्व
3.1 ग्रामीण उत्सव
13 दिनों में कृषि मेल, हस्तशिल्प प्रदर्शनी, लोकनृत्य, भजन-कीर्तन एवं दंगल का समन्वय।
ग्रामीण एकजुटता एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा।
3.2 आध्यात्मिक आयाम
बाराही धाम में प्रतिदिन पूजा-अर्चना, कथा वाचन, आरती से भक्तिमय वातावरण।


- आयोजन समिति एवं प्रमुख उपस्थितियां
- भविष्य की रूपरेखा
सुरक्षा: CCTV विस्तार, मेडिकल टेंट, इमरजेंसीレス्पॉन्स टीम।
प्रचार: सोशल मीडिया लाइव, समाचार पत्र


शिव मंदिर सेवा समिति का लक्ष्य:-
शिव मंदिर सेवा समिति का लक्ष्य बाराही मेले को राष्ट्रीय मंच पर ले जाना, युवा पहलवानों को वैश्विक अवसर प्रदान करना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना है।