
वर्ल्ड स्ट्रोक डे 2025: “हर मिनट मायने रखता है” — डॉ. पूजा नारंग, न्यूरोलॉजिस्ट, यथार्थ सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, नोएडा एक्सटेंशन
युवाओं और महिलाओं में बढ़ता स्ट्रोक का खतरा, जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव
मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी” / नोएडा एक्सटेंशन
विश्व स्ट्रोक दिवस 2025 का वैश्विक संदेश है — “Every Minute Counts” (हर मिनट मायने रखता है)। इस थीम के तहत चलाया जा रहा अंतरराष्ट्रीय अभियान #ActFAST लोगों को स्ट्रोक के शुरुआती लक्षणों की पहचान और तत्काल इलाज की आवश्यकता के प्रति जागरूक कर रहा है।
इसी अवसर पर यथार्थ सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, नोएडा एक्सटेंशन की कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट, डॉ. पूजा नारंग ने स्ट्रोक के बढ़ते मामलों, जोखिम कारकों और समय पर उपचार की अहमियत पर विस्तृत जानकारी दी।

🧠 स्ट्रोक: समय पर पहचान ही जीवनरक्षक
डॉ. नारंग के अनुसार,
“स्ट्रोक के शुरुआती संकेतों को पहचानना और तुरंत एक्शन लेना बेहद जरूरी है। इसे याद रखने का आसान तरीका है — B.E.F.A.S.T.
- B – Balance: अचानक संतुलन खोना या चक्कर आना
- E – Eyes: धुंधला या दोहरा दिखाई देना
- F – Face Drooping: चेहरे का एक हिस्सा लटकना या सुन्न होना
- A – Arm Weakness: एक हाथ या पैर में कमजोरी महसूस होना
- S – Speech Difficulty: बोलने में परेशानी या अस्पष्ट आवाज
- T – Time to Act: यदि इनमें से कोई भी लक्षण दिखें, तुरंत आपातकालीन चिकित्सा सहायता लें और स्ट्रोक-रेडी अस्पताल जाएँ।”
उन्होंने बताया कि इस्केमिक स्ट्रोक के दौरान हर मिनट करीब 19 लाख मस्तिष्क कोशिकाएँ नष्ट हो जाती हैं। जितनी जल्दी मरीज अस्पताल पहुँचता है, उतनी अधिक संभावना होती है कि थ्रोम्बोलाइटिक दवाओं या मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टॉमी जैसी आधुनिक तकनीकों से नुकसान को कम किया जा सके।
⚠️ युवाओं में स्ट्रोक: चिंता की नई दिशा
डॉ. नारंग के मुताबिक,
“हमारे ओपीडी और इमरजेंसी विभाग में हर महीने 30–40 संदिग्ध स्ट्रोक केस आते हैं, और अब 30 से 40 वर्ष के युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।
तनाव, अस्वास्थ्यकर खान-पान, धूम्रपान, नशे की आदतें, निष्क्रिय जीवनशैली और प्रदूषण इसके प्रमुख कारण बन रहे हैं।”
उन्होंने बताया कि हाल ही में अस्पताल में 17 वर्षीय युवती को टाकायासू आर्टराइटिस के कारण स्ट्रोक हुआ था। यह दर्शाता है कि स्ट्रोक अब केवल बुजुर्गों की बीमारी नहीं रही, बल्कि युवा पीढ़ी के लिए भी गंभीर खतरा बन रही है।

💔 मुख्य जोखिम कारक और रोकथाम के उपाय
डॉ. नारंग के अनुसार, स्ट्रोक के प्रमुख जोखिम कारक हैं —
- अनियंत्रित रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर)
- मधुमेह (डायबिटीज)
- मोटापा और बढ़ा कोलेस्ट्रॉल
- धूम्रपान और शराब का सेवन
- वायु प्रदूषण और मानसिक तनाव
उन्होंने कहा, “अच्छी बात यह है कि लगभग 80% स्ट्रोक पूरी तरह रोके जा सकते हैं, यदि लोग समय पर सतर्क हों —
जैसे ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखना, नियमित व्यायाम करना, धूम्रपान छोड़ना, स्वस्थ आहार लेना और समय-समय पर हेल्थ चेकअप कराना। जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव है।”
👩⚕️ महिलाओं में स्ट्रोक: छिपा हुआ खतरा
महिलाओं में बढ़ते मामलों पर डॉ. नारंग ने कहा,
“हार्मोनल बदलाव, गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप, गर्भनिरोधक गोलियों का प्रयोग, और मेनोपॉज़ के बाद एस्ट्रोजन की कमी रक्त वाहिकाओं को कमजोर बना देती है।
कई बार महिलाओं में स्ट्रोक के लक्षण सामान्य नहीं होते — जैसे अचानक थकान, भ्रम, हिचकी या मतली — जिससे पहचान में देरी होती है। इसलिए महिलाओं के लिए ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग और स्ट्रोक सिग्नल्स की जानकारी बेहद जरूरी है।”
🚨 स्ट्रोक से जुड़ी भ्रांतियाँ: जानलेवा देरी का कारण
डॉ. नारंग ने चेताया,
“कई मिथक ऐसे हैं जो इलाज में देरी का कारण बनते हैं —
- ‘स्ट्रोक सिर्फ बुजुर्गों को होता है।’
- ‘हल्के लक्षण अपने आप ठीक हो जाएंगे।’
- ‘घर पर एस्पिरिन लेना काफी है।’
- ‘यह तनाव का असर है।’
- ‘देसी इलाज से ठीक हो जाएगा।’
ऐसी गलतफहमियाँ मरीज की जान पर भारी पड़ सकती हैं। स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है — हर मिनट मायने रखता है। समय पर अस्पताल पहुँचना ही जीवन बचाने का सबसे प्रभावी तरीका है।”

🩺 वर्ल्ड स्ट्रोक डे 2025
वर्ल्ड स्ट्रोक डे 2025 हमें यही याद दिलाता है कि —
“हर मिनट मायने रखता है। स्ट्रोक का इलाज तभी संभव है, जब हम समय को पहचानें और तुरंत कदम उठाएँ।”
डॉ. पूजा नारंग के शब्दों में —
“सही जागरूकता, स्वस्थ जीवनशैली और समय पर उपचार ही मस्तिष्क और जीवन दोनों को बचाने की कुंजी है।”