उत्तर प्रदेश में मर्जर नीति की वापसी शिक्षक समुदाय की जीत: नरेश कौशिक

राष्ट्रीय काउंसलर- अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ/ प्रांतीय ऑडिटर/ जिला मंत्री- गौतमबुद्धनगर, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ से “विजन लाइव” न्यूज की खास बातचीत

मौहम्मद इल्यास “दनकौरी”  / गौतमबुद्धनगर


सवाल 1 (विजन लाइव:)

सरकारी स्कूलों यानी परिषदीय विद्यालय में शिक्षा को बेहतर बनाए जाने के लिए क्या कुछ किया जाना चाहिए?

नरेश कौशिक:
परिषदीय विद्यालयों को बेहतर बनाने के लिए सबसे पहले आधारभूत संरचना पर ध्यान देना होगा। साफ-सुथरी और आधुनिक कक्षाएं, पर्याप्त शिक्षकों की नियुक्ति, डिजिटल शिक्षा सामग्री, खेलकूद और पुस्तकालय जैसी सुविधाओं का होना जरूरी है।

साथ ही प्रत्येक विद्यालय में सफाई कर्मचारी और क्लर्क की नियुक्ति की जानी चाहिए। सफाई कर्मचारी होने से विद्यालय का वातावरण स्वच्छ और आकर्षक रहेगा, जिससे बच्चों में सकारात्मकता बढ़ेगी। वहीं क्लर्क होने से शिक्षकों को कागज़ी कार्यों और प्रशासनिक झंझटों से मुक्ति मिलेगी और वे पूरी तरह शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे।

जब विद्यालय आधुनिक, स्वच्छ और व्यवस्थित होंगे तभी अभिभावकों और बच्चों का विश्वास भी सरकारी विद्यालयों की ओर मजबूत होगा।


सवाल 2 (विजन लाइव):

समाज में यह सोच बन गई है कि सरकारी स्कूलों की जगह कॉन्वेंट स्कूलों की ओर लोगों का झुकाव बढ़ रहा है, आखिर वजह क्या है?

नरेश कौशिक:
असल में कॉन्वेंट स्कूलों ने शिक्षा को एक “प्रोडक्ट” की तरह प्रस्तुत किया है। अंग्रेजी माध्यम, ड्रेस कोड और आधुनिक गतिविधियों की वजह से आकर्षण पैदा होता है। वहीं हमारे सरकारी विद्यालयों की असली ताकत योग्य और अनुभवी शिक्षक हैं।


सवाल 3 (विजन लाइव):

मर्जर नीति को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार झुकी है। विस्तार से बताइए आखिर यह मर्जर नीति क्या थी?

नरेश कौशिक:
मर्जर नीति के तहत छोटे विद्यालयों को बड़े विद्यालयों में मिलाने की योजना थी। इसका असर यह पड़ता कि दूर-दराज़ के बच्चों को लंबा सफर तय करना पड़ता, जिससे पढ़ाई बीच में ही छूटने का खतरा था। यह नीति ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के बच्चों के लिए शिक्षा की पहुँच को कमजोर कर रही थी। यही कारण है कि शिक्षक और समाज दोनों इसके खिलाफ खड़े हुए।


सवाल 4 (विजन लाइव):

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने काफी संघर्ष किया और इस आंदोलन में धरना-प्रदर्शन भी किया। आखिर क्या रणनीति रही?

नरेश कौशिक:
हमारी रणनीति पूरी तरह लोकतांत्रिक और चरणबद्ध रही। ज्ञापन सौंपने से लेकर जिलास्तरीय धरना और प्रदेश स्तरीय आंदोलन तक हमने कदम दर कदम सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाई। मीडिया और जनप्रतिनिधियों के माध्यम से जनता को भी इससे जोड़ा गया। शिक्षक समुदाय की एकजुटता ही इस संघर्ष की सबसे बड़ी ताकत रही।


सवाल 5 (विजन लाइव):

उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष सुशील कुमार पांडे के आह्वान पर शिक्षक इस नीति के खिलाफ उठ खड़े हुए। यह सब कैसे संभव हुआ?

नरेश कौशिक:
सुशील कुमार पांडे जी का नेतृत्व निर्णायक रहा। उन्होंने स्पष्ट संदेश दिया कि यह लड़ाई केवल शिक्षकों की नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की है। इसी सोच ने हर शिक्षक को प्रेरित किया और पूरी टीम एकजुट होकर खड़ी हुई। यही एकजुटता सरकार को नीति वापस लेने पर मजबूर कर सकी।


सवाल 6 (विजन लाइव):

समाज के लोगों को क्या संदेश देना चाहेंगे ताकि सरकारी विद्यालयों की ओर झुकाव बढ़े?

नरेश कौशिक:
मैं समाज से यही कहना चाहूँगा कि वे सरकारी विद्यालयों पर विश्वास करें। यहाँ प्रशिक्षित और योग्य शिक्षक हैं, सुविधाएं लगातार बेहतर हो रही हैं। यदि समाज सहयोग करेगा तो शिक्षा का स्तर और भी ऊँचा होगा। सरकारी विद्यालय केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि संस्कार और समानता का भी पाठ पढ़ाते हैं।


सवाल 7 (विजन लाइव):

सरकार ने मर्जर नीति वापस ले ली है। इसको लेकर आप किस तरह आभार व्यक्त करना चाहेंगे?

नरेश कौशिक:
हम उत्तर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का आभार व्यक्त करते हैं कि उन्होंने शिक्षक समुदाय की आवाज को समझा और मर्जर नीति वापस ली। यह निर्णय न केवल शिक्षकों की जीत है, बल्कि हर उस बच्चे की जीत है जो अपने गाँव के विद्यालय में पढ़कर आगे बढ़ना चाहता है।


👉 अंतिम संदेश (नरेश कौशिक):
“शिक्षक समाज की धुरी हैं और शिक्षा राष्ट्र का भविष्य। जब शिक्षक, समाज और सरकार मिलकर कार्य करेंगे तभी एक सशक्त और शिक्षित भारत का निर्माण संभव है।”

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