ग्रेटर नोएडा में-सफेद झूठ बोल रहे हैं बेसमेंट में ओपीडी और ऑपरेशन थियेटर चलाने वाले अस्पताल
–राजेश बैरागी-
एनसीआर में भूमि का अधिकतम व्यवसायिक उपयोग करने की प्रतिस्पर्धा में शामिल ग्रेटर नोएडा के ख्यातिप्राप्त निजी अस्पताल बेसमेंट में धड़ल्ले से ओपीडी और ऑपरेशन थियेटर तक चला रहे हैं। पिछले दिनों दिल्ली में एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में बारिश का पानी भरने से तीन छात्रों की मौत के बाद हरकत में आए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा दिए गए नोटिस के जवाब में सफेद झूठ बोलते हुए ऐसे अस्पतालों ने प्राधिकरण को ही झूठा बता दिया है।
दिल्ली और देश के दूसरे महानगरों में भूमि के अधिकतम व्यवसायिक उपयोग की प्रतिस्पर्धा जगजाहिर है। रसोई जैसे आकार के कमरों में रहने वाले गरीब मजदूरों से मोटा किराया वसूल किया जाता है। तंग गलियों में बहुमंजिला इमारतों में रहने वाले लोग कभी भी हादसे का शिकार हो जाते हैं। पिछले दिनों दिल्ली में प्रतिष्ठित राऊ कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में चल रही अवैध लाईब्रेरी में बारिश के पानी में फंसकर तीन छात्रों की जान चली गई थी। यह महानगरों में भूमि के अधिकतम और नियमविरुद्ध उपयोग का श्रेष्ठ उदाहरण था।हर हादसे के बाद जागने वाले पुलिस प्रशासन और सरकार ने दिल्ली में इसी प्रकार बेसमेंट और दूसरी अनियमितताओं के साथ चल रहे कई कोचिंग सेंटर सील कर दिए। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में भी ऐसी कार्रवाई का मामूली उपक्रम किया गया।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने संज्ञान में आने पर बेसमेंट में ओपीडी आदि गतिविधियां चला रहे निजी अस्पतालों को नोटिस जारी कर बेसमेंट में गैर निर्धारित गतिविधियां न करने का आदेश दिया। जिन अस्पतालों को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने नोटिस दिया है उनमें यथार्थ हॉस्पिटल (ग्रेटर नोएडा एवम ग्रेटर नोएडा वेस्ट), अपोलो हॉस्पिटल,कैलाश हॉस्पिटल,शारदा हॉस्पिटल, नवीन हॉस्पिटल,आस्था हॉस्पिटल,ग्रीन सिटी हॉस्पिटल, होप हॉस्पिटल, शर्मा हॉस्पिटल, कुमार हॉस्पिटल, जे आर हॉस्पिटल, संजीवनी( अब फेलिक्स) हॉस्पिटल, रोशन हॉस्पिटल, अक्षरा हॉस्पिटल, आइवरी हॉस्पिटल, कृष्णा लाइफ लाइन हॉस्पिटल, प्रोम्हेक्स हॉस्पिटल, सहदेव हॉस्पिटल, प्रकाश हॉस्पिटल, के वी हेल्थ केयर प्रमुख हैं।
इनमें से कुछ अस्पतालों ने नोटिस के जवाब में सफेद झूठ बोलते हुए बेसमेंट में ओपीडी आदि गतिविधियां चलाने से साफ इंकार किया है जबकि प्राधिकरण ने नोटिस में लिखा है कि उसके मोबाइल स्क्वायड को वहां ओपीडी चलते पायी गई थीं। प्राधिकरण अधिकारियों के अनुसार अब फिर से मोबाइल स्क्वायड से छापा मारकर ऐसे अस्पतालों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। दिलचस्प बात यह है कि शेष अस्पतालों ने प्राधिकरण के नोटिस का जवाब देने की भी आवश्यकता नहीं समझी है।
लेखक:- राजेश बैरागी, स्वतंत्र पत्रकार, चिंतक और सामाजिक विचारक हैं।