वैभव सिंघल हत्याकांडः- मथुरा और आगरा यमुना नदी में शव की तलाश

मथुरा और आगरा में यमुना नदी में शव की तलाश
मथुरा और आगरा में यमुना नदी में शव की तलाश

……..गौतमबुद्धनगर में पटरी से उतरती पुलिस आयुक्त प्रणाली’

मुझे मेरा बच्चा जैसा है, जिस स्थिति में है लाकर दे दो मैं कम से कम उसका मुंह तो देख लूं

दनकौर पुलिस
दनकौर पुलिस

बुनी हुई कहानी में खुद ही फंसती नजर आ रही है, पुलिस

मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/गौतमबुद्धनगर

गौतमबुद्धनगर के बिलासपुर कसबे में व्यापारी पुत्र वैभव सिंघल के शव की बरामदगी और हत्यारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर कस्बे का बाजार तीसरे दिन भी पूरी तरह से बंद रहा। उधर उप गंग नहर के बाद अब ड्रोन और एनडीआरएफ की मदद से मथुरा और आगरा में यमुना नदी में शव की तलाश की जा रही है। तीन दिन से एनडीआरएफ पुलिस की पांच टीम बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा की गंग नहर में वैभव के शव की तलाश कर रही थी। लेकिन कोई सफलता नहीं मिलने के बाद शुक्रवार से मथुरा और आगरा जिले की क्षेत्र की यमुना नदी में नावों, और ड्रोन से शव की तलाश का काम शुरू हो गया। पुलिस और एनडीआरएफ की टीम के साथ.साथ बिलासपुर कस्बे के दो दर्जन व्यापारी भी शव की बरामद की के सर्च ऑपरेशन में साथ लगे हुए हैं।

इधर कस्बे में मुख्य बाजार ही नहीं गली मोहल्ले के दुकानें भी पूर्ण रूप से बंद रहीं। अधिकांश व्यापारी धरने में शामिल रहे। बिलासपुर के अलावा आसपास के कस्बे के व्यापारियों ने भी पीड़ित परिवार के प्रति शोक संवेदना व्यक्त कर हर तरह से साथ देने का भरोसा दिया। पुलिस सूत्रों की मानें तो पुलिस एनडीआरएफ और व्यापारियों की टीम वैभव सिंघल के शव की बरामद की का पूरा प्रयास कर रही है। यमुना नदी में शव की तलाश के लिए नावों की संख्या बढ़ा दी गई है और ड्रोन की मदद ली जा रही है। उधर कस्बे में किसी भी अप्रिय वारदात से निपटने और शांति भंग होने की आशंका के चलते कस्बे में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। पुलिस चौकी, मुख्य बाजार, मृतक परिवार और आरोपी परिवारों के आसपास पुलिस की गहन पहरेदारी है। वैभव हत्याकांड के बाद आरोपियों के घरों पर ताले लटके हुए हैं। दो मोहल्ले में भी सन्नाटा पसरा हुआ है। कस्बे के मोहल्ला आलम खानी और मोहल्ला फतेह खानी दोनों में सन्नाटे का आलम है। हत्यारों के परिजन घरों को बंद करके भूमिगत हो गए हैं। वहीं आसपास के मोहल्ले के एक संप्रदाय के लोग भी घरों को खाली करके अनहोनी की आशंका के चलते अपने चिर परिचित लोगों और रिश्तेदारों के यहां चले गए हैं।

वैभव हत्याकांड को सियासी रंग देने की कोशिश

वैभव हत्याकांड के विरोध में पुलिस चौकी के सामने तीन दिन से व्यापारियों का धरना प्रदर्शन चल रहा है। शुक्रवार को एक पूर्व नियोजित कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया बिलासपुर कस्बे में पहुंचे थे। वह धरना स्थल पर जाना चाहते थे लेकिन पुलिस प्रशासन द्वारा उन्हें धरना स्थल पर जाने से रोक दिया गया। लोगों में आक्रोश फैलने और संवेदनशील मामला होने के कारण पुलिस प्रशासन ने बमुश्किल प्रवीण तोगड़िया को धरना स्थल पर जाने से रोका। वहीं दूसरी ओर कई संगठन भी विरोध प्रदर्शन के नाम पर अपनी राजनीति रोटियां सेंकने की जुगत में लगे हुए हैं।

परिजनों ने पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए

मृतक की बहने रिया, तानिया और हर्षा ने अपने परिजनों के साथ कार्यक्रम स्थल पर ही प्रवीण तोगड़िया से मिलने पहुंची। उन्होंने पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। मृतक की बहन रिया का कहना था कि पुलिस उन्हें गुमराह कर रही है। परिजनों को आशंका है कि हत्यारों ने शव नहर में नहीं फेंका उसको किसी और रूप में ठिकाने लगाया है। परिजनों ने हत्यारों के घरों पर बुलडोजर चलाए जाने और उन्हें फांसी दिलाए जाने की मांग की है। अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया को जब इस मामले की जानकारी हुई तो अपना कार्यक्रम पूर्ण करने के बाद उन्होंने कस्बे के व्यापारियों को वैभव के परिजनों का सहयोग करने और हत्यारों को फांसी दिलवाने की शपथ दिलवाई। वैभव के पड़ोसी अनिल तायल ने बताया कि वैभव धार्मिक प्रवृत्ति का था। 22 जनवरी की राम मंदिर यात्रा में भी उसने बढ़.चढ़कर भाग लिया था। इस कारण वह दूसरे वर्ग के लोगों के निशाने पर था। उन्होंने यह भी कहा था कि कहा प्रेम प्रसंग और आपत्तिजनक वीडियो की बातें बेबुनियाद हैं। पुलिस घटना के मुख्य कारण से बचाव कर रही है। उन्होंने आशंका व्यक्त की कि वैभव की हत्या में दो आरोपियों के अलावा भी कई लोगों का हाथ हो सकता है। पुलिस को इसकी सही ढंग से जांच करनी चाहिए।

बुनी हुई कहानी में खुद ही फंसती नजर आ रही है, पुलिस

बिलासपुर निवासी व्यापारी अरुज सिंघल के बेटे वैभव -16- की हत्या कर दोस्तों ने शव खेरली नहर में फेंक दिया। नौ दिन से लापता वैभव की हत्या के आरोपी माज पठान और उसके नाबालिग साथी को पुलिस ने दबोच लिया। किराना व्यापारी अरुज सिंघल के बेटे वैभव की हत्या से पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। परिजन और व्यापारी पुलिस पर गंभीर लापरवाही बरतने का आरोप लगा रहे हैं। परिजनों का कहना है कि पुलिस समय रहते मामले की गंभीरता से जांच करती तो आज उनका बेटा जिंदा होता। मामले में परिजन शुरू से ही अनहोनी की आशंका जता रहे थे। इसके बावजूद पुलिस ने सक्रियता नहीं दिखाई। बुधवार को हत्या की खबर मिलने के बाद स्थानीय लोग आक्रोशित हो गए। दोपहर बाद ही व्यापारियों ने बाजार बंद कर प्रदर्शन शुरू कर दिया। व्यापारी रात करीब 9. 15 बजे तक हंगामा करते रहे। इस दौरान दनकौर.सिकंदराबाद मार्ग पर लंबा जाम लग गया।

परिजनों ने बताया कि वैभव के लापता होने के कुछ देर बाद ही पुलिस को सूचना दी गई थी। पुलिस यह सोचकर चल रही थी कि किशोर घर से मौज.मस्ती के लिए कही चला गया होगा। पुलिस इसे सामान्य गुमशुदगी का मामला मान रही थी। अगर परिजनों की बातों पर विश्वास कर पुलिस किशोर की तलाश में जुट जाती तो शायद आरोपी अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाते। परिजनों ने बताया कि वैभव के मोबाइल की आखिरी लोकेशन खेरली नहर के पास मिली थी। उसे  अंतिम कॉल भी आरोपी माज पठान ने की थी। इसके बाद भी पुलिस ने वारदात का खुलासा करने में नौ दिन लगा दिए।  व्यापारी के बेटे की हत्या से आक्रोशित लोगों ने सड़कों पर उतरकर हंगामा किया। नाराज लोग किसी की बात सुनने को तैयार नहीं थे। परिजनों ने शव बरामद कर हत्या के आरोपियों के घर पर बुलडोजर चलाने की मांग की है। वहीं, जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह ने बिलासपुर चेयरमैन पति संजय चेची के मोबाइल पर फोन करके पीड़ित परिवार से बात कर आश्वासन दिया। उन्होंने 12 फरवरी तक परिजनें की सभी मांगों को पूरा करने के आश्वासन दिया है।

मुझे मेरा बच्चा जैसा है, जिस स्थिति में है लाकर दे दो मैं कम से कम उसका मुंह तो देख लूं

वैभव के 30 जनवरी की शाम संदिग्ध हालात में लापता होने के छह दिन बाद भी कुछ पता नहीं चलने पर परिजनों व कस्बे के लोगों ने रविवार को कोतवाली का घेराव किया था। उस दिन भी पुलिस से किशोर को ढूंढने की गुहार लगाई गई थी। लापता वैभव की मां शालिनी ने अपना दर्द कोतवाली प्रभारी के सामने व्यक्त करते हुए कहा था कि मुझे मेरा बच्चा जैसा है, जिस स्थिति में है लाकर दे दो मैं कम से कम उसका मुंह तो देख लूं।

जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग

स्थानीय व्यापारियों ने मामले में जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने इस बाबत जल्द ही अधिकारियों से मुलाकात करने की बात कही है। सोशल मीडिया पर स्थानीय निवासी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। वैभव इकलौता बेटा था। उसकी हत्या से परिवार पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है। आक्रोशित परिजन कस्बे के लोगों के साथ बिलासपुर पुलिस चौकी पहुंचे।  जहां कार्रवाई को लेकर एडीसीपी अशोक कुमार से तीखी नोकझोंक हो गई। वैभव की मां शालिनी और बहन तानिया, हर्षा और रिया ने पुलिस पर अपना गुस्सा निकाला। चौकी में वैभव की मां शालिनी ने रोते हुए कहा कि पुलिस ने वैभव को ढूंढने के लिए कुछ नहीं किया। इस पर एडीसीपी ने सवाल पूछा कि क्या नहीं किया। आक्रोशित परिजनों ने अधिकारी से उठाए गए कदम की जानकारी मांगी तो वह जवाब नहीं दे पाए। बड़ी बहन ने कहा कि वह शुरू से ही कह रही थी कि मोबाइल फोन की जांच की जाए, लेकिन पुलिस ने उनकी बात को अनसुना किया। बहन का इशारा वैभव के दोस्तों के फोन चेक करने की तरफ था। बहन तानिया तथा हर्षा की शादी हो चुकी है, जबकि रिया नाबालिग है। मां शालिनी ब्यूटी पार्लर चलाती हैं, जबकि पिता अरुज सिंघल किराने की दुकान चलाते हैं। आरोपी पास में ही जूते की दुकान चलाते थे।

आईफोन से पोस्ट कर
आईफोन से पोस्ट कर

आईफोन से पोस्ट कर पुलिस व परिजनों को किया गुमराह

वैभव की हत्या के बाद अरोपियों ने उसका आईफोन अपने पास रख लिया था। आरोपियों ने नहर के पास ही फोन उसे स्विच ऑफ कर दिया था।   पुलिस और परिजन को गुमराह करने के लिए आरोपियों ने वैभव के इंस्टाग्राम से एक मैसेज पोस्ट किया। जिसमें ऑफ टू जयपुर लिखा गया था। पुलिस ने वैभव के सोशल मीडिया अकाउंट खंगाले तो उसे यह संदेश दिखा। इसे देख पुलिस यह मान रही थी कि वह वह घूमने के लिए जयपुर गया है।

पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि कई लोगों ने उन्हें वैभव के साथ देखा था। लोगों के शक से बचने के लिए उन्होंने इंस्ट्रग्राम पर पोस्ट डाला था। सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने से उन पर सीधा संदेह नहीं हुआ। वहीं पुलिस ने खेरली नहर के अंतिम लोकेशन मिलने और आखिरी कॉल करने वाले युवक से बातचीत करने से की कोशिश नहीं की।

हत्या के विरोध में आज बाजार बंद

वैभव हत्याकांड के विरोध में बिलासपुर के व्यापारियों ने आज बाजार बंद रखने की घोषणा की है। बिलासपुर में व्यापारियों की बैठक बुलाई गई है। जिसमें आसपास के कस्बों के व्यापारियों को भी बुलाया गया। व्यापारियों के मुताबिक सोशल मीडिया पर बिलासपुर के साथ.साथ दनकौर, सिकंद्राबाद, दादरी, रबूपुरा और जेवर के व्यापारियों को बंदी में शामिल होने की अपील की जा रही है। अहम है कि मामले में पुलिस ने शव तलाशने के लिए पांच दिन की मोहलत मांगी है। बिलासपुर कस्बे के सभी शिक्षण संस्थान भी बंद है।

बिलासपुर में तनाव, सोशल मीडिया पर दिखा गुस्सा

बिलासपुर में व्यापारी के बेटे की हत्या के बाद कस्बे में तनाव है। जिलेभर के व्यापारियों ने भी वारदात पर आक्रोश जताया है। सोशल मीडिया पर व्यापारियों ने पुलिस पर निशाना साधा है। नोएडा के व्यापारी सुशील जैन से सोशल मीडिया पर अपना दुख और फिर गुस्सा जाहिर करते हुए हत्यारों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है।

सीसीटीवी खंगालने की अपील पर पुलिस ने नहीं दिया ध्यान

परिजन कस्बे से नहर की सीसीटीवी फुटेज को लेकर तलाश कराने की मांग करते रहे। मगर हर बार पुलिस दो.चार सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालकर कुछ नहीं मिलने की बात कह देती थी। परिजनों ने बताया कि पुलिस बार बार वैभव का किसी लड़की से चक्कर होने की बात कह कर मामले को टाल देती थी।  व्यापारियों का आरोप है कि पुलिस अकसर उनके साथ ऐसा ही व्यवहार करती है।

 

……..गौतमबुद्धनगर में पटरी से उतरती पुलिस आयुक्त प्रणाली’

मोहरे बदल देने से और घटनाओं के खुलासे से क्या कमिश्नरेट पुलिस कानून व्यवस्था दुरुस्त कर सकती है? तथाकथित बड़े माफियाओं के विरुद्ध अभियान चलाकर और उनकी संपत्ति जब्त कर पुलिस जिस चर्चा की खोज में रहती है उससे अपराधियों में पुलिस का कोई भय नहीं बचा है।  करीब तीन वर्ष पहले गौतमबुद्धनगर और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक साथ स्थापित की गई पुलिस आयुक्त प्रणाली अब बचपन से निकल चुकी है। इनकी कथित सफलताओं से प्रभावित होकर राज्य सरकार ने कानपुर, वाराणसी, गाजियाबाद, आगरा और प्रयागराज में पांच और पुलिस कमिश्नरेट बना दी हैं।  इस प्रणाली की विशेषता यह है कि इसका प्रमुख पुलिस महानिरीक्षक स्तर का अधिकारी होता है और उसकी जवाबदेही सीधे पुलिस महानिदेशक या गृह सचिव को होती है। सीधे शब्दों में कहें तो पुलिस आयुक्त के तार सीधे मुख्यमंत्री से जुड़े होते हैं और इसीलिए उसकी शक्तियों का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।

कमिश्नरेट पुलिस
कमिश्नरेट पुलिस

शक्तियों के मामले में यह प्रणाली स्वायत्त भी है और स्वच्छंद भी। गौतमबुद्धनगर जैसे जनपद में पुलिस आयुक्त प्रणाली की दशकों से आवश्यकता अनुभव की जा रही थी परंतु कुछ पुलिसेत्तर कार्यों को छोड़कर इस और पहली पुलिस व्यवस्था में कोई विशेष अंतर दिखाई नहीं देता है। यदि कुछ वारदातों की बात की जाए तो ऐसा लगता ही नहीं है कि अपराधियों में पुलिस को लेकर कोई भय है। पिछले वर्ष की आखिरी रात थाना सेक्टर 142 क्षेत्र के गांव शहदरा में को घर से बुलाकर धनेश नामक युवक की हत्या कर दी गई। 31 दिसंबर को थाना सेक्टर 39 में एक दुष्कर्म पीड़िता की शिकायत पर कबाड़ माफिया रवि काना समेत पांच लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई। तीन लोग गिरफ्तार किए गए परंतु मुख्य आरोपी रवि काना अभी तक पुलिस के हाथ नहीं लगा हैं। यह भी सच है कि रवि काना को इस मामले में बचाने के लिए मोर्चेबंदी भी शुरू हो चुकी है। इस वर्ष-2024 के शुरूआती माह की बात जाए तो 5 जनवरी को नॉलेज पार्क थाना क्षेत्र के गांव कोंडली में विक्रम चौहान की चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी गई। अवैध संबंधों के संदेह में की गई इस हत्या में 11 लोग शामिल बताए गए। इसी दिन थाना सेक्टर 113 क्षेत्र स्थित सेक्टर 116 में रहने वाली ईरानी युवती जीनत की उसके रिश्तेदार ने चाकू मारकर हत्या कर दी। हत्यारा फरार होने में सफल रहा। वहीं 11 जनवरी को थाना दादरी क्षेत्र में कासना गांव निवासी सुखपाल की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। सुखपाल ने पुलिस अफसरों को समय रहते हत्या की आंशका जताते हुए कार्यवाही किए जाने की गुहार लगाई। पुलिस नही चेती और सुखपाल जिसका खमियाजा जान देकर चुकाया। वह बात अलग है कि पुलिस की मुखिया कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने सुखपाल हत्याकांड में थानाध्यक्ष और एसीपी को हटा कर जनता के बीच पुलिस के विश्वास को जीतने भर की कोशिश की। 15 जनवरी को इकोटेक तीन थाना क्षेत्र में डाटा ऑपरेटर विपिन की उसके रिश्ते के जीजा व साथी ने मिलकर हत्या कर दी। इसी तिथि को बीटा 2 थाना क्षेत्र में एक छात्रा को सरेआम सड़क पर एक मनचले द्वारा धक्का देकर गिराने की घटना हुई। 19 जनवरी को बिलासपुर कस्बे में जहां एक 80 वर्षीय बुजुर्ग की रंजिशन घर में घुसकर तवा मारकर हत्या कर दी गई वहीं थाना फेस दो अंतर्गत सेक्टर 104 के बाजार में दिनदहाड़े एयर इंडिया के क्रू मेंबर सूरजमान की गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गई। आरोप है कि पुलिस आयुक्त कार्यालय से मात्र दो किलोमीटर दूर हुए इस सनसनीखेज हत्याकांड में पुलिस घटनास्थल पर लगभग आधा घंटे बाद पहुंची। यूट्यूबर भोला भाटी के घर पर दो बार फायरिंग की घटना और 20 जनवरी को थाना सेक्टर 49 के गांव बरौला में एक युवक मेंहदी हसन को चाकू मारकर मोटरसाइकिल से गांव में ही घसीटकर मार देने की घटनाओं से भी पुलिस व्यवस्था पर प्रश्न उठे। बिलासपुर निवासी व्यापारी के बेटे वैभव सिंघल लापता हुआ। परिजनों ने पुलिस को समय रहते हुए सूचना दी, मगर पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही।

पुलिस आयुक्त प्रणाली
पुलिस आयुक्त प्रणाली

आखिर दनकौर पुलिस ने बाद में खुलासा किया कि वैभव सिंघल के दोस्तांं ने हत्या कर शव खेरली नहर में बहा दिया है। पुलिस की इस कहानी पर लोगों ने विश्वास तो कर लिया मगर पुलिस अभी तक वैभव सिंघल के शव को बरामद नही कर पाई है। दूसरी सबसे बडी बात लोगों को लगातार कचोट रही है कि ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के महत्वूपर्ण कसबे बिलासपुर व्यापारी के बेटे हत्या जैसा इतना बडा मामला हो गया पुलिस की मुखिया कमिश्नर लक्ष्मी सिंह पीडितों के आंसू पोंछने नही आईं। पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी को चाहिए था कि जिस तरह से बिलासपुर और आस पास के बजारों का बंद कर व्यापारी धरने पर बैठे हुए हैं और शव की बरामदगी और घटना में लापरवी बरतने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्यवाही मांग जोर पकडती जा रही है, लक्ष्मी सिंह मौके पर आती और पीडित परिजनों को ढांढस बधातें हुए चौकी इंचार्ज, थाना इंचार्च और एसीपी जैसे पुलिस अफसरो के खिलाफ यदि एक्शन लिया जाता तो जरूर जनता के बीच पुलिस का विश्वास कायम होता दिखता। ऐसी ही वारदात सामान्य पुलिस व्यवस्था में भी होती थीं। तब भी पुलिस वारदातों का खुलासा, अपराधियों की गिरफ्तारी, गुड वर्क के बहाने अपनी पीठ थपथपाने और पुलिस कर्मियों को निलंबित या लाइन हाजिर करने जैसे काम होते थे। फिर पुलिस आयुक्त प्रणाली क्यों? बेहतर पुलिसिंग की अपेक्षा इस प्रणाली में भी पूरी नहीं हो सकी है। जब कि पुलिस आयुक्त प्रणाली में दर्जन भर आईपीएस अफसर जिले में बैठ कर मौज कर रहे हैं।

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