
दो विधायकों की शिकायत के बाद भी नहीं चली कार्रवाई, सहारा सिटी और समतल एनक्लेव पर अब तक चुप क्यों है ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण?

मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/गौतमबुद्धनगर
वैदपुरा में तो प्राधिकरण का बुलडोजर चला लेकिन जनता पूछ रही है कि दो विधायकों की शिकायत के बाद भी समतल और सहारा सिटी पर क्यों नहीं चला ?
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र के अधिसूचित गांव छपरौला में सहारा सिटी और समतल एनक्लेव के नाम पर अवैध रूप से विकसित की जा रही कॉलोनियों को लेकर एक बार फिर प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्षेत्रीय विधायक मास्टर तेजपाल सिंह नागर और खतौली के विधायक मदन भैया द्वारा बार-बार की गई शिकायतों के बावजूद अब तक किसी भी प्रकार की ठोस कार्यवाही न होना स्थानीय जनता और जनप्रतिनिधियों में आक्रोश का कारण बनता जा रहा है।
दादरी विधायक तेजपाल सिंह नागर ने पहले ही दिनांक 19 सितंबर 2023 को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को एक विस्तृत पत्र भेजकर ग्राम छपरौला स्थित समतल फैक्ट्री की लगभग 336 बीघा भूमि और सहारा सिटी के नाम से लगभग 400 बीघा भूमि पर अवैध कॉलोनियों के तेजी से बसने की ओर ध्यान आकर्षित कराया था। विधायक ने आरोप लगाया था कि भू-माफिया सरकारी आदेशों को ताक पर रखकर मनमाने दामों पर गरीबों को प्लॉट बेच रहे हैं और प्रशासन आंख मूंदे बैठा है।
इसी प्रकार, खतौली के विधायक मदन भैया ने भी मुख्यमंत्री को संबोधित एक विस्तृत पत्र भेजते हुए इस गंभीर विषय पर तत्काल कार्यवाही की मांग की थी। उन्होंने यह भी चेताया था कि यदि समय रहते सख्त कदम न उठाए गए तो इन कॉलोनियों में प्लॉट खरीदने वाले गरीब लोगों को भविष्य में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
शिकायतों और आदेशों के बावजूद कार्रवाई शून्य
यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं प्रदेश में अवैध निर्माणों के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति पर कार्य कर रहे हैं। लेकिन स्थानीय प्राधिकरणों, विशेषकर ग्रेटर नोएडा, नोएडा और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में निचले स्तर पर बैठे कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की उदासीनता और मिलीभगत के चलते ऐसे प्रकरणों में कार्रवाई शून्य दिख रही है।
विधायकों का कहना है कि प्राधिकरण की यह दोहरी नीति है – एक ओर जब किसान अपनी भूमि पर छोटा-मोटा निर्माण करते हैं तो तत्काल बुलडोजर भेज दिया जाता है, लेकिन दूसरी ओर सहारा सिटी और समतल एनक्लेव जैसे बड़े पैमाने पर विकसित हो रहे अवैध कॉलोनी प्रोजेक्ट्स को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है।

शत्रु संपत्ति और अन्य क्षेत्रों में भी गोरखधंधा जारी
केवल छपरौला ही नहीं, नोएडा के सालारपुर और बरौला गांवों में, मेट्रो और नाले के पास नोटिफाइड क्षेत्रों में, तथा शत्रु संपत्तियों पर भी अवैध कॉलोनियों के बसने की शिकायतें सामने आ रही हैं। वहीं गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र में भी स्थिति अलग नहीं है। स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों का आरोप है कि प्राधिकरण के कुछ अधिकारी इन गतिविधियों पर आंखें मूंदे हुए हैं।


जनता पूछ रही है – आखिर बुलडोजर कब चलेगा?
जनता अब यह सीधा सवाल कर रही है कि जब सत्ता पक्ष के दो विधायकों की शिकायतों पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई तो आमजन की शिकायतों पर सुनवाई की क्या उम्मीद की जाए? अवैध कॉलोनियों पर बुलडोजर कब चलेगा? और क्या भ्रष्टाचार में लिप्त प्राधिकरण कर्मियों पर भी कोई सख्त कदम उठाया जाएगा?
यह प्रकरण अब प्रदेश सरकार की नीति बनाम क्रियान्वयन की परीक्षा बन चुका है। सवाल सिर्फ कॉलोनियों का नहीं, सरकार की साख और सुशासन के दावे का है।