शारदा हॉस्पिटल पर जांच की तलवार लटकीः- पत्रकार की ब्लड रिपोर्ट एचआईवी पॉजीटिव बनाने के मामले में जांच शुरू
शारदा हॉस्पिटल द्वारा इस लापरवाही पर पर्दा डालने लगातार कोशिश की गई किंतु तीसरी बार जब एचआईवी ब्लड रिपोर्ट निगेटिव आई तो सीएमओ गौतमबुद्धनगर को शिकायत दर्ज कराई गई है। सीएम द्वारा पीडित पत्रकार को मैसेज के जरिए अवगत कराया गया है कि लापरवाही के मामले मेंं जांच समिमि का गठन कर दिया गया है
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/ग्रेटर नोएडा
शारदा यूनिवर्सिटी ग्रेटर नोएडा में स्थित हॉस्पिटल की बडी लापरवाही सामने आ रही है। एक पत्रकार की ब्लड रिपोर्ट को शारदा हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने पॉजीटिव बना दिया है। शारदा हॉस्पिटल की इस बडी लापरवाही के चलते पत्रकार और उसके परिजन महीनों तक तनाव मेंं जीते रहे। शारदा हॉस्पिटल की इस लापरवाही से पर्दा उस समय उठा जब लाल पैथ लैब और यहां तक कासना स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी जिम्स ने ब्लड रिपोर्ट को एचआईवी निगेटिव साबित कर दिया। ब्लड रिपोर्ट दर्ज एचआईवी निगेटिव साबित हो जाने से पत्रकार और परिवार वालों ने राहत की सांस ली, जब किंतु शारदा हॉस्पिटल के डॉक्टरांं के खिलाफ बेहद गुस्सा रहा। जब ब्लड एचआईवी ब्लड रिपोर्ट पॉजीटिव बनाने का यह मामला मीडिया में सुर्खियां बना तो शारदा हॉस्पिटल ने गैर जिम्मेदारना का परिचय देते हुए पीडित पत्रकार को बुलाया और झूठी ब्लड रिपोर्ट के समर्थन में कई तर्क और तथ्य पेश किए। साथ ही ऐसे दूसरे सभी ऐसे लैब जहां से पत्रकार के एचआईवी रिपोर्ट निगेटिव होने की पुष्टि हुई उन सभी को सिरे से नकार दिया और फिर किसी विश्वसनीय और नामचीन हॉस्पिटल के लैब से एचआईवी रिपोर्ट मांगने की बात कही। पीडित पत्रकार ने फिर शारदा हॉस्पिटल के डॉक्टरों की सलाह पर विश्वसनीय और नामचीन हॉस्पिटल के लैब में एचआईवी टैस्ट के लिए नमूने दिए। जहां से शारदा हॉस्पिटल के सभी दावों की धज्जियां उड गई और इस प्रकार लाल पैथ लैब, जिम्स हॉस्पिटल एंड मेडिकल कॉलेज कासना के बाद तीसरी दिल्ली स्थित इस नामचीन हॉस्पिटल के लैब ने भी एचआईवी रिपोर्ट निगेटिव होने का दावा किया। इसा प्रकार शारदा हॉस्पिटल के डॉक्टरों की टीम सच्चाई पर पर्दा डालने में कामयाब नही हो सकी।
अब पीडित पत्रकार और परिजनों ने शारदा हॉस्पिटल की इस बडी लापरवाही को लेकर कानूनी कार्यवाही किए जाने की बावत गौतमबुद्धनगर प्रशासन का दरवाजा खटखटाया है। पीडित पत्रकार की ओर से इस पूरे मामले की शिकायत गौतमबुद्धनगर के सीएमओ से ई-मेल से की गई है। गौतमबुद्धनगर के सीएमओ की ओर से पीडित पत्रकार को मैसेज के जरिए अवगत कराया गया है कि शारदा हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा द्वारा ब्लड रिपोर्ट एचआईवी पॉजीटिव बनाने के मामले में जांच कमेटी का गठन कर दिया गया है। जांच समिति का गठन होने के बाद अब शारदा हॉस्टिल के लैब और डॉक्टरों के खिलाफ कार्यवाही किए जाने तय हो गया है। माना जा रहा है कि जांच रिपोर्ट आ जाने के बाद लैब को सीज भी किया जा सकता है और जांच करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही अमल में लाई सकती है।
आखिर क्या था, पूरा मामला आइए बताते हैंः-
दनकौर क्षेत्र के एक गांव निवासी पीड़ित पत्रकार एक राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्र के संवाददाता हैं। पत्रकार के एक रिलेटिव शारदा हॉस्पिटल में इलाज के लिए भर्ती थे जिन्हें खून की जरूरत महसूस हुई। पत्रकार ने शारदा हॉस्पिटल पहुंच कर रिलेटिव को खून दे दिया। पत्रकार को शारदा हॉस्पिटल द्वारा इंफैक्शन की बात कहते हुए बुलाया गया। पत्रकार की ब्लड रिपोर्ट शारदा हॉस्पिटल में एचआईवी पॉजिटिव बताई गई। जबकि लाल पैथोलॉजी और जिम्स अस्पताल में यह रिपोर्ट नेगेटिव आई। शारदा हॉस्पिटल की वजह से पत्रकार और उसका परिवार महीनों तक परेशान रहा। उधर पत्रकार संगठनों ने अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की । आखिर यह लापरवाही मामला मीडिया की सुर्खियां बना।
शारदा हॉस्पिटल द्वारा पीडित पत्रकार को बुलाया और झूठी ब्लड रिपोर्ट के समर्थन में कई तर्क और तथ्य पेश किए। साथ ही ऐसे दूसरे सभी ऐसे लैब जहां से पत्रकार के एचआईवी रिपोर्ट निगेटिव होने की पुष्टि हुई उन सभी को सिरे से नकार दिया और फिर किसी विश्वसनीय और नामचीन हॉस्पिटल के लैब से एचआईवी रिपोर्ट मांगने की बात कही। पीडित पत्रकार ने फिर शारदा हॉस्पिटल के डॉक्टरों की सलाह पर विश्वसनीय और नामचीन हॉस्पिटल के लैब में एचआईवी टैस्ट के लिए नमूने दिए। जहां से शारदा हॉस्पिटल के सभी दावों की धज्जियां उड गई।
पत्रकार की जुबानी, क्या है एचआईवी पॉजीटिव फर्जी ब्लड रिपोर्ट का पूरा मामला सुनिएः-
सभी वरिष्ठजनों और साथियों को सादर नमस्कार
साथियों विगत कुछ दिनों में काफी मानसिक तनाव का सामना किया और तनाव की स्थिति इतनी पैदा हो गई कि आत्महत्या करने तक सोच लिया था। लेकिन ईश्वर की कृपा रही और परिजनों ने साहस बंधाया जिसके कारण आज जिंदा हूँ और इन सब का जिम्मेदार शारदा अस्पताल है। इस अस्पताल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का मन बना चुका हूँ जिसमें आप सभी का सहयोग प्रार्थनीय है।
आपको पूरी कहानी विस्तार से बताता हूँ।- मेरा एक रिलेटिव शारदा अस्पताल में भर्ती था जिसे 27/28 अप्रैल की रात A+ खून की जरूरत हुई, मेरे पास कॉल पहुंची और मैं रात को ही खून देने पहुंच गया और खून देकर वापिस आ गया। अस्पताल में ब्लड बैंक कर्मी द्वारा मेरे रिलेटिव को 1 मई को जानकारी दी गई कि ब्लड में कुछ दिक्कत है उन्होंने मुझसे कहा कि ब्लड में बहुत ज्यादा इंफेक्शन बताया है, मेरे द्वारा डॉक्टर लाल पैथ लैब पर इंफेक्शन की जांच कराई गई जो कि ठीक थी। 3 मई को दोबारा मेरे रिलेटिव से कहा गया कि जिन्होंने खून दिया था उन्हें बुला दो। मैं 4 मई को शारदा अस्पताल पहुंचा जहां ब्लड बैंक में तैनात एक डॉक्टर ने मुझे कुर्सी पर बैठाया और तरह तरह के सवाल करने शुरू कर दिए। बाद में बताया गया कि आपके खून की स्क्रीनिंग में HIV की शिकायत मिली है। एक बार और ब्लड सैंपल दे दो ताकि स्थिति साफ हो सके। डॉक्टर द्वारा HIV पॉजिटिव बताने के बाद में घबरा गया और जैसे तैसे खुद को संभाला। सैंपल देकर वहां से घर को लौट आया और परिवार वालों को HIV के बारे में जानकारी दी गई जिससे सभी घबरा गए और परिवार में मातम सा पसर गया। 4 मई को दिए गए सैंपल के बाद 6 मई को बुलाया गया और बताया कि आप HIV पॉजिटिव हो इसके बाद पर्चा बनाकर JIMS के लिए रेफर कर दिया गया। जब इसकी पुष्टि हो गई तो मैं अंदर से पूरी तरह से टूट गया और जैसे तैसे अपने घर वापिस आया। इन दिनों मैं और मेरा परिवार भारी मानसिक तनाव से गुजरे और मेरी स्थिति यह हो गई कि कहीं हार्ट अटैक ना हो जाये और कई बार आत्महत्या करने तक मन बना लिया लेकिन परिवार के लोग लगातार साहस बांधते रहे।
फिर 6 मई को ही मैंने डॉक्टर लाल पैथ लैब पर Hiv की जांच कराने के लिए सैंपल दिया जिसकी रिपोर्ट 7 मई को आई जिसमें HIV Nagative बताया गया जिसके बाद थोड़ी राहत की सांस ली। बाद में 9 मई को JIMS पहुंचा और ब्लड की जांच कराई जहां किट से जांच हुई तो HIV Nagative रिजल्ट आया। फिर उन्होंने HIV की ही एक अन्य जांच करने के लिए दूसरा सेम्पल लिया जिसकी रिपोर्ट 15 मई को प्राप्त हुई जिसमें भी HIV नेगेटिव की पुष्टि हुई है। शारदा अस्पताल द्वारा दी गई गलत रिपोर्ट के कारण मुझे असहनीय पीड़ा हुई है जिसे शब्दों में व्यक्त नही कर पा रहा हूँ, ऐसा लग रहा था कि जैसे हर पल अंदर ही अंदर मर रहा हूँ। इससे मेरी जान भी जा सकती थी और मेरी माता जी हार्ट की मरीज हैं उनकी भी जान पर बन आई थी। हो सकता है कि मुझसे पहले भी अन्य लोग शारदा अस्पताल की फर्जी रिपोर्ट से परेशान हुए हों लेकिन अब आगे कोई और व्यक्ति इस पीड़ा से ना गुजरे इसके लिए कानूनी कार्रवाई करने की आवश्यकता महसूस हो रही है। इसलिए आप सभी से सहयोग की अपेक्षा है, मेरा मार्गदर्शन करें और शारदा अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई में मेरा साथ दें।
नाम – मुस्तकीम खान
Cont. – 9149355473
सदस्य – ग्रेटर नोएडा प्रेस क्लब