
सूरजपुर का ऐतिहासिक बाराही मेला बना रागिनी का महाकुंभ-बाराही मेला–2025 ने न सिर्फ धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को आगे बढ़ाया, बल्कि रागिनी जैसी विलुप्त होती लोक विद्या को एक बार फिर लोगों के बीच जीवंत कर दिया

पूनम त्यागी की 24 साल बाद मंच पर वापसी ने रागिनी प्रेमियों को भावविभोर किया, 13 दिनों तक कलाकारों ने बिखेरा सुरों का जादू

मौहम्मद इल्यास-दनकौरी/सूरजपुर
गौतम बुद्ध नगर जिले के सूरजपुर में हर वर्ष लगने वाला ऐतिहासिक बाराही मेला इस बार सांस्कृतिक समृद्धि और लोक कला के पुनर्जीवन का प्रतीक बन गया। 10 अप्रैल से 22 अप्रैल 2025 तक चले इस 13 दिवसीय मेले में जहां हजारों श्रद्धालु बाराही देवी के दर्शन को पहुंचे, वहीं रात्रि के समय होने वाले रागिनी आयोजनों ने इस मेले को रागिनी का महाकुंभ बना दिया। सूरजपुर का बाराही मेला अब केवल एक पारंपरिक आयोजन नहीं रह गया, यह लोकसंस्कृति का जीवंत उदाहरण और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का सशक्त मंच बन चुका है। आने वाले वर्षों में यह आयोजन और अधिक भव्यता के साथ रागिनी और हरियाणवी लोककला को वैश्विक पहचान दिला सकता है।

पूनम त्यागी की ऐतिहासिक वापसी
मेले की सबसे बड़ी चर्चा का केंद्र बनीं वरिष्ठ रागिनी कलाकार पूनम त्यागी, जिन्होंने पूरे 24 साल बाद बाराही मेला के मंच पर वापसी की। वर्ष 2001 में जब मेला अपने उत्कर्ष पर था, उसी दौर में उन्होंने सूरजपुर में पहली बार प्रस्तुति दी थी। इस बार मंगलवार की रात पूनम त्यागी ने गोपीचंद की कथा को पारंपरिक हरियाणवी सुरों में ऐसा पिरोया कि दर्शक पुराने दौर की रागिनी में खो गए। पूनम त्यागी को ललिता शर्मा, पुष्पा गोसाई और राजबाला की समकालीन माना जाता है, और उनकी वापसी ने रागिनी के पुराने चाहने वालों के लिए एक भावनात्मक पल रच दिया।



रागिनी मंच पर जुटे देशभर के कलाकार
बाराही मेले के रागिनी मंच पर देशभर से मशहूर कलाकारों ने शिरकत की। हर दिन रात्रि को आयोजित कार्यक्रमों में निशा जांगड़ा, कविता चौधरी, कोमल चौधरी, सुरेंद्र भाटी, सरिता कश्यप, रविंद्र बैंसला, बलराम बैसला, पवन फौजी, अनुराधा शर्मा, टीना पटौदी, योगेश डागर, प्रवीण रजापुरिया, नीतू तोमर, सुनील चौहान, सुरेश गोला, हरेंद्र नागर, राजेंद्र दोसा समेत लगभग 100 से अधिक कलाकारों ने शानदार प्रस्तुतियाँ दीं। कलाकारों की विविधता और प्रस्तुतियों की गुणवत्ता ने दर्शकों को हर रात बांधे रखा।

शिव मंदिर सेवा समिति की सराहनीय भूमिका
बाराही मेला के सफल आयोजन के पीछे शिव मंदिर सेवा समिति की निरंतर मेहनत और समर्पण रहा। समिति अध्यक्ष धर्मपाल भाटी ने बताया कि, “बाराही मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक पहचान है। रागिनी मंच हमारी लोककला को जीवित रखने का माध्यम बन चुका है।” महामंत्री ओमवीर बैसला ने कहा कि, “हम युवा कलाकारों को मंच देकर उनकी प्रतिभा को निखारने का प्रयास करते हैं।” कोषाध्यक्ष लक्ष्मण सिंघल ने कहा कि, “सभी व्यवस्थाएं पारदर्शी और भव्य रही ताकि दर्शकों को कोई असुविधा न हो।” मीडिया प्रभारी मूलचंद शर्मा ने जानकारी दी कि, “प्रत्येक कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार और श्रोताओं की सहभागिता हमारी प्राथमिकता रही।”



संस्कृति के पुनर्जीवन का संदेश
बाराही मेला–2025 ने न सिर्फ धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को आगे बढ़ाया, बल्कि रागिनी जैसी विलुप्त होती लोक विद्या को एक बार फिर लोगों के बीच जीवंत कर दिया। सूरजपुर का यह आयोजन यह सिद्ध करता है कि यदि सही मंच और दिशा मिले, तो लोक कलाएं फिर से जन-जन तक पहुंच सकती हैं।