
ग्रेटर नोएडा के जीआईएमएस में दुर्लभ और जटिल त्वचा रोग का सफल इलाज, 45 वर्षीय महिला की बचाई गई जान
मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/ग्रेटर नोएडा
गौतम बुद्ध नगर स्थित गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (GIMS) के डर्मेटोलॉजी विभाग ने एक बेहद दुर्लभ और जानलेवा बीमारी का सफल इलाज कर एक 45 वर्षीय महिला की जान बचाई है। यह महिला स्टीवन जॉनसन सिंड्रोम/टॉक्सिक एपिडर्मल नेक्रोलाइसिस (SJS-TEN) जैसे लक्षणों के साथ भर्ती हुई थी, जिसे बाद में सिस्टेमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (SLE) के रूप में डायग्नोज़ किया गया।
लक्षण जटिल, लेकिन इलाज सटीक
महिला को जब अस्पताल लाया गया, तब उसकी स्थिति गंभीर थी। शरीर पर बड़े पैमाने पर छाले और त्वचा झड़ने जैसे लक्षण दिख रहे थे। मरीज की SCORTEN स्कोर (जो मृत्यु दर को दर्शाता है) भर्ती के दिन 2 था, जो लगभग 12% मृत्यु दर को दर्शाता है। अगले ही दिन स्कोर 3 हो गया, जिससे मृत्यु दर 35% तक बढ़ गई। इसे देखते हुए मरीज को तुरंत ICU में भर्ती किया गया।

डायग्नोसिस था मुश्किल, लेकिन टीम ने नहीं मानी हार
चिकित्सकों के अनुसार, यह मामला बेहद चुनौतीपूर्ण था क्योंकि SJS-TEN जैसी तस्वीर पेश करने वाले SLE के केस दुनियाभर में 2022 तक केवल 30 ही रिपोर्ट किए गए हैं। हालांकि, GIMS की अनुभवी टीम ने ANA टाइटर टेस्ट में 1:1000 डायल्यूशन पर 3+ पॉज़िटिव रिपोर्ट को आधार बनाकर SLE की पुष्टि की।
इलाज में अपनाई गई विशेष रणनीति
SJS-TEN के सामान्य मामलों में स्टेरॉयड के इस्तेमाल से बचा जाता है, लेकिन इस मामले में चूंकि SLE डायग्नोज़ हुआ, इसलिए विशेषज्ञों ने स्टेरॉयड को मुख्य दवा के रूप में चुना। IVIg नहीं दिया गया, क्योंकि बीमारी की जड़ SLE में थी। यह रणनीति कारगर साबित हुई और मरीज की हालत सिर्फ एक हफ्ते में सुधरने लगी। ICU में 10 दिन के इलाज के बाद, मरीज को दो दिन पहले स्वस्थ रूप से छुट्टी दे दी गई।

विभाग की एक और बड़ी उपलब्धि
गौरतलब है कि यह GIMS के डर्मेटोलॉजी विभाग में पिछले एक वर्ष में इस तरह का तीसरा और जीवन-रक्षक इलाज है। विभाग के चिकित्सकों की सतर्कता, त्वरित निर्णय और उत्कृष्ट चिकित्सा कौशल ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि GIMS गंभीर व दुर्लभ बीमारियों के इलाज में अग्रणी है।
GIMS की यह उपलब्धि मेडिकल क्षेत्र के लिए एक प्रेरणास्रोत है और संस्थान की चिकित्सा गुणवत्ता का प्रमाण भी है ।