ग्रेटर नोएडा में एसटीपी का होगा तकनीकी कायाकल्प, शोधित जल होगा और स्वच्छ

🔬 IIT दिल्ली कर रहा DPR तैयार, ट्रीटेड वाटर का होगा औद्योगिक उपयोग


मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/ग्रेटर नोएडा
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अपने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) के स्तर को और ऊंचा उठाने की तैयारी में जुट गया है। अब ट्रीटेड वाटर यानी शोधित जल को इतनी शुद्धता के साथ तैयार किया जाएगा कि उसका उपयोग केवल सिंचाई ही नहीं, बल्कि औद्योगिक उत्पादन जैसे उच्चस्तरीय कार्यों में भी किया जा सकेगा। इस दिशा में प्राधिकरण ने एक बड़ा कदम उठाया है – सभी एसटीपी में तकनीकी अपग्रेडेशन के तहत त्रिस्तरीय शोधन प्रणाली लागू की जाएगी। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की यह पहल सिर्फ एक तकनीकी सुधार नहीं, बल्कि जल संरक्षण और पर्यावरण सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बन सकती है। आने वाले समय में यह मॉडल अन्य शहरों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है।


🔍 क्या है योजना?

प्राधिकरण ने आईआईटी दिल्ली को डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार करने की जिम्मेदारी दी है। उम्मीद की जा रही है कि अगले सप्ताह तक यह रिपोर्ट मिल जाएगी। इसके बाद एसटीपी के अपग्रेडेशन की प्रक्रिया शुरू होगी। योजना के मुताबिक, प्रत्येक एसटीपी में एक अतिरिक्त फिल्टर लगाया जाएगा, जिससे शोधित पानी में फीकल (मल तत्व) की मात्रा 100 मिलीग्राम प्रति लीटर से भी कम हो जाएगी।

वर्तमान में ग्रेटर नोएडा के एसटीपी से निकलने वाले पानी में फीकल की मात्रा करीब 230 मि.ग्रा./लीटर है, जो NGT के मानकों के अनुसार ज्यादा है। अब इसे घटाकर पेयजल जैसे मानकों के स्तर पर लाने का प्रयास किया जा रहा है।


🔧 किन-किन एसटीपी को किया जाएगा अपग्रेड?

एसटीपी लोकेशन मौजूदा क्षमता (MLD)

बादलपुर 2
कासना 137
ईकोटेक-2 15
ईकोटेक-3 20


💬 सीईओ एनजी रवि कुमार ने क्या कहा?

“एनजीटी के निर्देशों के अनुसार सीवरेज ट्रीटमेंट तकनीक को उन्नत करने की दिशा में तेजी से कार्य हो रहा है। तकनीकी बदलाव से न केवल पानी स्वच्छ होगा, बल्कि जल संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण दोनों में मदद मिलेगी।”


🛠 कितना होगा खर्च?

सीवर विभाग के वरिष्ठ प्रबंधक विनोद शर्मा के अनुसार, फिलहाल शुरुआती अनुमान के मुताबिक इस तकनीकी उन्नयन की लागत 20 लाख रुपये प्रति एमएलडी आंकी गई है। यानी ग्रेटर नोएडा के कुल 174 MLD क्षमता वाले एसटीपी को उन्नत करने में करोड़ों रुपये खर्च होने की संभावना है।


🌱 क्यों है यह पहल महत्वपूर्ण?

औद्योगिक क्षेत्रों में पानी की लगातार बढ़ती मांग को देखते हुए यह शोधित जल एक बेहतर विकल्प बन सकता है।

जल स्रोतों पर दबाव कम होगा।

पर्यावरण संरक्षण और जल प्रदूषण नियंत्रण में मदद मिलेगी।

भविष्य में घरेलू उपयोग की संभावना भी बन सकती है।


🔊 एसीईओ प्रेरणा सिंह का बयान

“सभी एसटीपी को तकनीकी रूप से अपग्रेड करने की तैयारी है। IIT दिल्ली से DPR बनवाई जा रही है। प्राधिकरण की कोशिश है कि ट्रीटेड वाटर को स्वच्छ बनाया जा सके। इस पानी का उपयोग औद्योगिक उत्पादनों के लिए भी किया जा सकेगा।”

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