
धरतीपुत्र पद्म विभूषण पूर्व रक्षा मंत्री स्वर्गीय श्री मुलायम सिंह यादव : जीवन, संघर्ष और विरासत
(लेखक — चौधरी शौकत अली चेची, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, किसान एकता (संघ) एवं पिछड़ा वर्ग उ0 प्र0 सचिव (सपा))
भूमिका
भारतीय राजनीति में ऐसे व्यक्तित्व बहुत कम मिलते हैं जिनकी लोकप्रियता, संघर्ष, विचारधारा और जनसेवा का प्रभाव कई पीढ़ियों तक महसूस किया जाता है। धरतीपुत्र, जननायक, पूर्व रक्षा मंत्री और उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय श्री मुलायम सिंह यादव उसी विलक्षण श्रेणी के नेता थे। सरल व्यक्तित्व, दृढ़ इच्छाशक्ति, किसान-हितैषी चिंतन और समाजवादी विचारधारा के प्रतिनिधि बने मुलायम सिंह यादव का जीवन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में स्वर्णिम अध्याय की तरह सदैव याद किया जाएगा।
22 नवंबर 1939 को इटावा जिले के छोटे से गांव “सैफई” में जन्म लेने वाले इस साधारण किसान परिवार के बालक ने अपनी योग्यता, मेहनत, संघर्ष और दूरदृष्टि के बल पर देश की राजनीति में जो ऊँचाइयाँ हासिल कीं, वह अद्वितीय हैं। 10 अक्टूबर 2022 को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में 82 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ, और उसी दिन भारतीय राजनीति का एक युग समाप्त हो गया।
यह विस्तृत लेख उनके जीवन के सभी प्रमुख पहलुओं, संघर्षों, उपलब्धियों और उनकी अमर राजनीतिक विरासत को समर्पित है।
परिवारिक पृष्ठभूमि और आरंभिक जीवन
मुलायम सिंह यादव का जन्म अत्यंत साधारण किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता श्री सुघर सिंह यादव और माता श्रीमती मूर्ति देवी मेहनतकश, सीधे-साधे और जमीन से जुड़े हुए लोग थे। समरिया गोत्र के यदुवंशी परिवार में जन्मे मुलायम सिंह पाँच भाइयों में दूसरे नंबर पर थे—
- बड़े भाई: रतन सिंह यादव
- तीसरे भाई: अभय राम सिंह यादव
- चौथे भाई: राजपाल सिंह यादव
- पांचवे भाई: शिवपाल सिंह यादव (प्रसिद्ध राजनेता और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के संस्थापक)
उनके परिवार में राजनीतिक और सामाजिक जागरूकता का वातावरण था, जिसने बचपन से ही उनके विचारों को प्रभावित किया। रतन सिंह यादव के पुत्र तेज प्रताप सिंह मैनपुरी से सांसद रहे, जबकि अभय राम सिंह यादव के पुत्र धर्मेंद्र यादव दो बार के सांसद हैं।
बाल्यावस्था में मुलायम सिंह को पहलवानी का बहुत शौक था। वह कुश्ती के अखाड़ों में उतरते थे और कई प्रतियोगिताएँ भी जीतीं। उनकी दृढ़ काया, साहस और अनुशासन की नींव इसी दौरान पड़ी। बाद में उन्होंने शिक्षक प्रशिक्षण (बीटीसी) पूरा किया और सरकारी शिक्षक बने, लेकिन यह यात्रा ज्यादा लंबी नहीं चली। जल्द ही उनका मन सार्वजनिक जीवन की ओर आकर्षित होने लगा।
शिक्षा — एक मजबूत वैचारिक आधार
मुलायम सिंह यादव ने आगरा विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर (M.A.) किया। इस शिक्षा ने उनकी वैचारिक सोच को गहराई दी, और समाजवादी सिद्धांतों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता मजबूत हुई।
राजनीतिक विचारधाराओं, किसानों की स्थिति, सामाजिक असमानताओं और लोकतांत्रिक अधिकारों पर उनकी पकड़ ने उन्हें एक जननेता के रूप में तेजी से उभरने में मदद की।
राजनीति में प्रवेश — छात्र आंदोलनों से जननेता बनने तक
मुलायम सिंह यादव ने मात्र 15 वर्ष की आयु में राजनीति की पहली सीढ़ी चढ़ी। वह डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों से गहराई से प्रभावित हुए और समाजवादी सिद्धांतों को जीवन में उतार लिया।
उनके राजनीतिक गुरु नत्थू सिंह ने मुलायम सिंह के भीतर की क्षमता को पहचानते हुए उन्हें राजनीति में आगे बढ़ने का आशीर्वाद दिया। 1967 में 28 वर्ष की आयु में वे पहली बार जसवंतनगर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। यहीं से उनकी राजनीतिक यात्रा ने ऊँचाइयाँ छूनी शुरू कीं।
आपातकाल का संघर्ष — साहस का परिचय
1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान मुलायम सिंह यादव को भी गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें 19 महीनों तक जेल में रखा गया।
इस कठिन समय में भी उन्होंने लोकतंत्र और जनता के अधिकारों के लिए आवाज उठाई। रिहा होने के बाद 1977 में वे दोबारा विधानसभा चुनाव जीते। आपातकाल के दौरान प्रदर्शित उनका साहस और प्रतिबद्धता उन्हें धीरे-धीरे उत्तर प्रदेश की राजनीति के केंद्र में लाती चली गई।
पार्टी नेतृत्व और विपक्ष का स्तंभ
आपातकाल के बाद के वर्षों में मुलायम सिंह यादव ने विभिन्न समाजवादी दलों का नेतृत्व संभाला। वे—
- 1977 में उत्तर प्रदेश लोकदल पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बने।
- 1980 में उत्तर प्रदेश लोकदल के अध्यक्ष चुने गए।
- 1982–1985 तक विपक्ष के नेता रहे।
- 1985–1987 तक उन्होंने सदन में विपक्ष का नेतृत्व किया।
उनकी वक्तृत्व कला, संयम, दूरदर्शिता और संगठन क्षमता के कारण वे ग्रामीण भारत, किसानों, पिछड़ों और शोषित वर्गों के विशाल नेता बनकर उभरे।

पहली बार मुख्यमंत्री बनना — संघर्षों के बीच सत्ता का सफर
1989 में मुलायम सिंह यादव पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। यह सरकार जनता दल की थी, जिसे भारतीय जनता पार्टी का बाहरी समर्थन प्राप्त था।
1990 में अयोध्या आंदोलन के तीव्र होते घटनाक्रम और प्रशासनिक टकराव के बाद भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया। इसके बावजूद मुलायम सिंह ने कांग्रेस के सहयोग से 1991 तक सरकार चलाई।
उन्होंने प्रशासन को साम्प्रदायिक तनाव से बचाने और समाजिक सद्भाव बनाए रखने के लिए कई कठोर और साहसिक निर्णय लिए।
1992 की राजनीतिक उथल-पुथल और समाजवादी पार्टी की स्थापना
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में 16वीं सदी की ऐतिहासिक बाबरी मस्जिद को उग्र भीड़ द्वारा ढहा दिया गया। यह देश के इतिहास की सबसे बड़ी राजनीतिक एवं सामाजिक घटनाओं में से एक थी।
इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया, लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया अध्याय भी शुरू हुआ।
अक्टूबर 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना हुई और मुलायम सिंह यादव उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। यह पार्टी किसानों, मजदूरों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और वंचितों की आवाज बनकर उभरी। मुसलमानों के बड़े वर्ग ने उन्हें अपना संरक्षक माना।
दूसरी बार मुख्यमंत्री — गठबंधन की मजबूती
नवंबर 1993 में समाजवादी पार्टी ने महत्वपूर्ण सीटें जीतकर बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन सरकार बनाई। मुलायम सिंह यादव दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
उनका यह कार्यकाल समाजवादी नीतियों, किसान-हितैषी फैसलों, पिछड़ों के सशक्तिकरण और प्रशासनिक सुधारों के लिए जाना गया।
हालांकि 1995 में बीएसपी ने समर्थन वापस ले लिया और भाजपा के सहयोग से मायावती मुख्यमंत्री बन गईं। यह उत्तर प्रदेश की राजनीति का एक ऐतिहासिक मोड़ था।

राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश — सांसद और रक्षा मंत्री
1996 में मुलायम सिंह यादव लोकसभा सदस्य चुने गए और उनकी पार्टी 30 से अधिक सांसद जीतकर केंद्र में महत्वपूर्ण ताकत बनकर उभरी। वे प्रधानमंत्री पद के प्रमुख दावेदारों में शामिल हुए, लेकिन यह अवसर नहीं मिल सका।
2006 में उन्होंने भारत के रक्षा मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला।
उनका कार्यकाल भारतीय सेना के कल्याण, शहीदों के परिवारों की सहायता और सैन्य नीतियों में सुधार का प्रतीक था। उन्होंने सुनिश्चित किया कि—
- शहीद जवानों का पार्थिव शरीर सम्मानपूर्वक घर पहुँचाया जाए।
- शहीद परिवारों को आर्थिक सहायता और दीर्घकालिक सुविधाएँ मिले।
उनके इन निर्णयों को आज भी भारतीय सेना और देशभर के सैनिक परिवार सम्मान की नजर से देखते हैं।
तीसरी बार मुख्यमंत्री और आगे का राजनीतिक जीवन
2003 में वे तीसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। यह कालखंड विकास योजनाओं, कानून-व्यवस्था सुधार और सामाजिक सौहार्द के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
2007 से 2009 तक उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता विपक्ष के रूप में कार्य किया।
2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को भारी जनसमर्थन मिला और उन्होंने अपने पुत्र अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाकर राजनीतिक इतिहास में एक नई मिसाल कायम की।
2014 में वे एक बार फिर लोकसभा के लिए चुने गए।
उनका राजनीतिक सफर 55 वर्षों से अधिक चला, जिसमें—
- 3 बार मुख्यमंत्री
- 7 बार सांसद
- 10 बार विधायक
- कई बार विधान परिषद सदस्य रहे।

किसानहित और समाजवादी चिंतन — धरतीपुत्र की छवि
मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक जीवन का मूल केंद्र किसान रहे। ‘धरतीपुत्र’ की उनकी उपाधि सिर्फ एक संबोधन नहीं, बल्कि उनके जीवन का सार थी।
वे हमेशा कृषि, जैविक खेती, सिंचाई, मूल्य समर्थन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए आवाज उठाते रहे।
उनकी सोच में राजनीतिक कार्यकर्ता और आम जनता का विशेष स्थान था। वे छोटे कार्यकर्ताओं से लेकर वरिष्ठ नेताओं तक सभी को सम्मान देते थे।
सम्मान — पद्म विभूषण
2023 में भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान — पद्म विभूषण प्रदान किया।
यह सम्मान उनके अमूल्य योगदान, जनसेवा, राष्ट्र के प्रति समर्पण और भारतीय राजनीति में अपार प्रभाव की स्वीकृति है।
विरासत — एक युग का अंत, लेकिन प्रभाव अमर
मुलायम सिंह यादव सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि एक विचारधारा, एक संस्था और करोड़ों लोगों की आशाओं का केंद्र थे।
उनकी विरासत—
- समाजवादी आंदोलन
- किसान संघर्ष
- पिछड़ों का उत्थान
- अल्पसंख्यकों की सुरक्षा
- लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा
इन सभी क्षेत्रों में अमर है और भविष्य की राजनीति को मार्ग दिखाती रहेगी।
लेखक का परिचय
चौधरी शौकत अली चेची
- राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, किसान एकता (संघ)
- पिछड़ा वर्ग उत्तर प्रदेश सचिव (समाजवादी पार्टी)
- किसान, मजदूर एवं सामाजिक सरोकारों के मुद्दों के सक्रिय प्रवक्ता
- लंबे समय से समाजवादी आंदोलन और ग्रामीण भारत के मुद्दों पर कार्यरत
- सामाजिक न्याय, पिछड़ा वर्ग उत्थान और किसान अधिकारों पर नियमित लेखन
कानूनी डिस्क्लेमर (Legal Disclaimer)
यह लेख सार्वजनिक उपलब्ध ऐतिहासिक, राजनीतिक एवं जीवनी संबंधी सूचनाओं पर आधारित है। इसमें दिए गए सभी विवरण सम्मानपूर्वक और सूचनात्मक उद्देश्य से प्रस्तुत किए गए हैं। किसी भी प्रकार की विवादित, तथ्यात्मक त्रुटि या राजनीतिक पक्षपात का उद्देश्य नहीं है। यदि किसी तथ्य में संशोधन की आवश्यकता हो, तो लेखक उपयुक्त दस्तावेज या प्रमाण उपलब्ध होने पर अद्यतन करने के लिए प्रतिबद्ध है।

समापन — श्रद्धांजलि
पूर्व मुख्यमंत्री, धरतीपुत्र, पद्म विभूषण, जननायक स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव की 86वीं जयंती पर उन्हें शत–शत नमन।
उनकी संघर्षशील यात्रा, जनसेवा और समाजवादी मूल्यों की ज्योति सदैव मार्ग प्रकाशित करती रहेगी।