धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव : एक युग, एक विचारधारा और एक संघर्ष का प्रतीक


– चौधरी शौकत अली चेची


राजनीति में ऐसे विरले नेता ही होते हैं जो अपने जीवन से न केवल व्यवस्था को प्रभावित करते हैं, बल्कि समाज की चेतना में अमिट छाप छोड़ते हैं। धरतीपुत्र, पूर्व रक्षा मंत्री और पद्म विभूषण से सम्मानित स्वर्गीय श्री मुलायम सिंह यादव ऐसे ही जननायक थे, जिन्होंने सादगी, संघर्ष और सामाजिक न्याय को अपनी राजनीति का आधार बनाया।

22 नवंबर 1939 को सैफई (जिला इटावा, उत्तर प्रदेश) के एक साधारण किसान परिवार में जन्मे मुलायम सिंह यादव ने बहुत कम उम्र से ही जनहित की राजनीति का रास्ता चुना। पाँच भाइयों में दूसरे नंबर पर रहे मुलायम सिंह को बचपन में कुश्ती का शौक था, लेकिन आगे चलकर उन्होंने शिक्षा और समाज सेवा को जीवन का उद्देश्य बनाया। उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर और बीटीसी की डिग्री प्राप्त की।

डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रेरित होकर वे समाजवाद के मार्ग पर चले और मात्र 28 वर्ष की आयु में 1967 में जसवंतनगर विधानसभा से पहली बार विधायक चुने गए। 1975 के आपातकाल में वे लोकतंत्र की रक्षा के लिए 19 महीने जेल में रहे। 1982 से 1985 तक विपक्ष के नेता और 1989 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।

अपने लंबे राजनीतिक जीवन में वे तीन बार मुख्यमंत्री और एक बार भारत के रक्षा मंत्री रहे। रक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने शहीद जवानों के पार्थिव शरीर को सम्मानपूर्वक घर भेजने की परंपरा की शुरुआत की तथा शहीद परिवारों को आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा दिलाने की पहल की। किसानों और गरीबों के कल्याण के लिए वे हमेशा मुखर रहे।

अक्टूबर 1992 में उन्होंने समाजवादी पार्टी की स्थापना की और अपने जीवन को समाज के पिछड़े, दलित और किसान वर्ग की आवाज उठाने में समर्पित कर दिया। वे हमेशा कार्यकर्ताओं के बीच “धरतीपुत्र” और “नेताजी” के नाम से प्रसिद्ध रहे।

10 अक्टूबर 2022 को 82 वर्ष की आयु में गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में उनका निधन हुआ। उनकी तीसरी पुण्यतिथि पर आज भी उनके विचार — “सत्ता सेवा का माध्यम है, शासन अहंकार का नहीं” — प्रेरणा का स्रोत हैं।

2023 में भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत “पद्म विभूषण” से सम्मानित किया, जो उनकी जनसेवा और राष्ट्र निर्माण में योगदान का प्रतीक है। मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक जीवन छह दशकों तक फैला रहा, जिसमें वे 10 बार विधायक, 7 बार सांसद, कई बार विपक्ष के नेता और एक सच्चे किसान नेता के रूप में देशभर में आदरणीय बने।

उनका जीवन सिखाता है कि राजनीति केवल सत्ता नहीं, समाज सुधार का माध्यम है। वे हर वर्ग के, हर किसान के, और हर कार्यकर्ता के नेता थे — सच्चे अर्थों में धरती के पुत्र।


लेखक परिचय :

चौधरी शौकत अली चेची — राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, किसान एकता (संघ) एवं पिछड़ा वर्ग सचिव, समाजवादी पार्टी, उत्तर प्रदेश। लंबे समय से किसान अधिकारों, सामाजिक न्याय और ग्रामीण विकास के लिए सक्रिय। समाजवादी विचारधारा के समर्थक और ग्रामीण भारत की आवाज को नीतिगत स्तर तक पहुँचाने वाले प्रखर वक्ता है ।


कानूनी अस्वीकरण (Disclaimer):

यह लेख लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। इसमें व्यक्त राय और तथ्य लेखक की अपनी समझ एवं दृष्टिकोण पर आधारित हैं। संस्था या प्रकाशक इस लेख की सामग्री के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।


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