
ग्रेटर नोएडा: टूटी सड़कें, जलभराव, बिजली संकट और शोषण के खिलाफ फिर धरने की चेतावनी
मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी” / ग्रेटर नोएडा
ग्रेटर नोएडा के अंतर्गत आने वाला तिलपता गांव एक ओर ‘स्मार्ट विलेज’ के रूप में सूचीबद्ध है, तो दूसरी ओर बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी से जूझ रहा है। गांव में सड़कें जर्जर हैं, बिजली की स्थिति बदहाल है, नालियां टूटी हुई हैं और जगह-जगह जलभराव ने जीवन मुश्किल बना दिया है। प्रमुख समाजसेवी सुखवीर सिंह आर्य के नेतृत्व में ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन और प्राधिकरण का ध्यान आकर्षित किया, लेकिन अब तक किसी स्तर पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

कंटेनर डिपो और ट्रैफिक से पैदल चलना भी खतरे से खाली नहीं
गांव की सड़कों पर भारी वाहन—विशेषकर कंटेनर, स्कूल और फैक्ट्री बसें—लगातार चलती हैं, जबकि सड़कें इतनी संकरी हैं कि पैदल चलना तक जोखिम भरा हो गया है। नालियों की टूट-फूट और जलभराव के चलते स्थिति और भी भयावह हो गई है।
बिजली व्यवस्था चरमराई, पुरानी लाइटों से अंधेरे में डूबता है गांव
गांव में लगे अधिकांश विद्युत खंभे पुराने हैं और कई स्थानों पर लाइटें बिल्कुल नहीं जलतीं। रात के समय पूरा गांव अंधकार में डूब जाता है। नई लाइटें या पोल लगाने की कोई योजना अब तक ज़मीन पर नहीं उतरी है।
जोहार तालाब से बह रहा पानी, मंदिर बना कचरे का अड्डा
गांव का जोहार तालाब वर्षों से उपेक्षित है। इसकी देखरेख के अभाव में तालाब का पानी अब सड़कों पर फैलने लगा है। वहीं, मंदिर के सामने कचरे का ढेर लगा है, जहाँ बेसहारा पशु भोजन की तलाश में आते हैं और बीमार हो जाते हैं। यह न केवल धार्मिक स्थल की गरिमा को ठेस पहुँचाता है, बल्कि स्वास्थ्य संकट भी पैदा कर रहा है।
नहर में सफाई नहीं, अंडरपास में रिसाव और भ्रष्टाचार का आरोप
तिलपता और पाली गांव के बीच बने दिल्ली-मुंबई डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DMDFC) के अंडरपास में नहर का पानी रिस रहा है। वर्षों से यह पानी बंद कर दिया गया है, जिससे नहर ओवरफ्लो होकर सड़कों पर बहने लगी है। प्रमुख समाजसेवी सुखवीर आर्य ने आरोप लगाया कि अंडरपास के निर्माण में भारी भ्रष्टाचार हुआ है, जिससे उसकी दीवारों में रिसाव हो रहा है। उन्होंने मांग की है कि नहर को तत्काल खोला जाए और दोषियों के खिलाफ जांच हो।
प्रशासन को सौंपे कई ज्ञापन, अब आंदोलन की चेतावनी
प्रमुख समाजसेवी सुखवीर आर्य ने बताया कि उन्होंने समय-समय पर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, जिला प्रशासन और चेयरमैन को ज्ञापन और प्रार्थना पत्र सौंपे, लेकिन अब तक केवल आश्वासन ही मिले हैं। यदि एक सप्ताह के भीतर गांव की प्रमुख समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो ग्रामीण दोबारा धरने पर बैठेंगे। इसकी पूरी ज़िम्मेदारी प्रशासन की होगी।

प्रमुख समाजसेवी सुखवीर सिंह आर्य का बयान: “तिलपता को स्मार्ट विलेज घोषित करना छलावा, जमीनी हकीकत इससे उलट”
प्रमुख समाजसेवी सुखवीर सिंह आर्य ने कहा:
“जब से ग्राम पंचायतों से अधिकार छिने हैं, गांव का लगातार शोषण हो रहा है। सड़क, बिजली, पानी, सफाई—हर सुविधा के लिए हमें संघर्ष करना पड़ रहा है। मंदिर के सामने कचरा, तालाब का बहता पानी, जाम और मच्छरों का प्रकोप—क्या यही स्मार्ट गांव की परिभाषा है? DMDFC के अंडरपास में जो भ्रष्टाचार हुआ है, उसकी सजा ग्रामीण क्यों भुगतें? अगर अधिकारी गांव नहीं आए, तो हम फिर धरने पर बैठेंगे।”