
औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल ‘नंदी’ ने प्रदर्शनी का किया दौरा, निर्यातकों के प्रयासों की सराहना

मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/ ग्रेटर नोएडा
ग्रेटर नोएडा स्थित इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में जारी 60वां आईएचजीएफ दिल्ली मेला–ऑटम 2025 के दूसरे दिन देश–विदेश के खरीदारों और निर्यातकों की भारी भीड़ देखी गई। उत्तर प्रदेश सरकार के औद्योगिक विकास, निर्यात प्रोत्साहन, एनआरआई और निवेश प्रोत्साहन मंत्री नंद गोपाल ‘नंदी’ ने मेले का दौरा कर प्रदर्शकों से मुलाकात की और तेजी से बदलती वैश्विक परिस्थितियों के अनुरूप भारतीय निर्यातकों के नवाचार और अनुकूलन क्षमता की सराहना की।
इस अवसर पर उनके साथ अपर मुख्य सचिव एवं निर्यात आयुक्त आलोक कुमार और जिलाधिकारी गौतम बुद्ध नगर मेधा रूपम (आईएएस) भी मौजूद रहीं। ईपीसीएच के अध्यक्ष डॉ. नीरज खन्ना, मुख्य संरक्षक एवं आईईएमएल अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार, उपाध्यक्ष सागर मेहता, संयोजक अवधेश अग्रवाल तथा आईएचजीएफ फेयर के अध्यक्ष रजत अस्थाना सहित वरिष्ठ पदाधिकारी भी उपस्थित रहे।
डॉ. नीरज खन्ना ने बताया कि मेले के दूसरे दिन विशेष रूप से यूरोपीय देशों के खरीदारों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही और कई उत्पादों के ऑर्डर फाइनल भी किए गए। उन्होंने कहा कि “आईएचजीएफ दिल्ली फेयर भारतीय हस्तशिल्प की विविधता और गुणवत्ता का जीवंत प्रदर्शन है, जिसे देखने के लिए अंतरराष्ट्रीय खरीदार बार-बार लौटकर आते हैं।”
नीदरलैंड्स के खरीदार हांस होल्टरमैन और फ्रांस की लोपेज मैरिएन ने भारतीय उत्पादों की उत्कृष्टता और मेले की बेहतर व्यवस्थाओं की सराहना की। वहीं दक्षिण कोरिया के नियमित खरीदार सैमसन ने कहा कि वे भारतीय धातु उत्पादों की गुणवत्ता और डिजाइन से बेहद प्रभावित हैं।

मुख्य संरक्षक डॉ. राकेश कुमार ने कहा कि “पिछले दशक में भारतीय हस्तशिल्प ने डिजाइन, उत्पादन और तकनीक में वैश्विक स्तर की प्रगति की है। भारतीय उत्पाद अब ‘क्राफ्ट विद कमर्शियल क्लास’ की पहचान बन चुके हैं।”
दूसरे दिन “Beyond Seasons: Trends for Next Generation” विषय पर ज्ञानवर्धक पैनल चर्चा आयोजित की गई, जिसमें उद्योग विशेषज्ञों ने एआई आधारित ट्रेंड प्रेडिक्शन, रैपिड वैरिएंटिंग और सस्टेनेबल मटीरियल्स पर अपने विचार रखे।
मेले में “क्राफ्ट एंबैसेडर” के रूप में लंबे समय से जुड़े प्रदर्शकों को सम्मानित भी किया गया, जिनमें मुरादाबाद के कई प्रमुख निर्यातक शामिल रहे।
कार्यकारी निदेशक आर.के. वर्मा ने बताया कि “मेले के लाइव क्राफ्ट प्रदर्शन और क्षेत्रीय शिल्पकारों की भागीदारी से खरीदारों का अनुभव और समृद्ध हुआ है। भारतीय हस्तशिल्प अब वैश्विक स्तर पर ‘डिज़ाइन और डेडिकेशन’ दोनों का प्रतीक बन चुका है।”

हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) के अनुसार, वित्त वर्ष 2024–25 में भारत का हस्तशिल्प निर्यात ₹33,123 करोड़ (USD 3,918 मिलियन) तक पहुंचा है, जो इस क्षेत्र की निरंतर बढ़ती क्षमता और विश्व बाजार में भारतीय शिल्प की प्रतिष्ठा को दर्शाता है।