
लेखक: मौहम्मद इल्यास “दनकौरी”
तिथि: 9 अगस्त 2025, शनिवार
पर्व: रक्षाबंधन
श्रावण शुक्ल पूर्णिमा
पर्व का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
रक्षाबंधन, हिंदू संस्कृति का एक पावन पर्व है, जो भाई-बहन के स्नेह, विश्वास और कर्तव्यबोध का प्रतीक माना जाता है। ‘रक्षा’ और ‘बंधन’ — इन दो शब्दों से मिलकर बना यह पर्व, वास्तव में केवल राखी बांधने का आयोजन नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक संकल्प है, जिसमें रक्षा, सम्मान और प्रेम की गूंज सुनाई देती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत काल में द्रौपदी ने श्रीकृष्ण की उंगली कटने पर अपने आंचल का टुकड़ा बांधा, जिसे श्रीकृष्ण ने “रक्षासूत्र” मानकर जीवनभर उनकी रक्षा का संकल्प लिया। यह कथा रक्षाबंधन के मूल भाव को उजागर करती है – त्याग, समर्पण और कर्तव्य।
वहीं, प्राचीन काल में ब्राह्मणों द्वारा यजमानों को रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा थी, जो केवल पारिवारिक न होकर सामाजिक सुरक्षा और धर्म-पालन का प्रतीक थी। आज भी कई स्थानों पर यही विधि परंपरागत रूप से निभाई जाती है।
रक्षाबंधन 2025: मुहूर्त, योग और विशेष संयोग
इस वर्ष रक्षाबंधन 9 अगस्त 2025 (शनिवार) को मनाया जाएगा। विशेष बात यह है कि इस बार भद्रा का साया नहीं रहेगा, जिससे शुभ मुहूर्त में राखी बांधने की बाधा नहीं होगी।
- राखी बांधने का मुहूर्त:
🕔 सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक
⏳ अवधि: 7 घंटे 37 मिनट - शुभ योग:
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:22 से 5:02 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:17 से 12:53 बजे तक
- सौभाग्य योग: सुबह 4:08 से 10 अगस्त की तड़के 2:15 बजे तक
- सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 5:47 से दोपहर 2:23 बजे तक
पूजन विधि और परंपराएं
रक्षाबंधन के दिन बहनें थाल सजाकर उसमें रोली, चावल (अक्षत), चंदन, मिठाई, दीपक और रक्षासूत्र रखती हैं। सबसे पहले भगवान को रक्षासूत्र समर्पित कर पूजन किया जाता है। इसके बाद भाई को पूर्व या उत्तर दिशा में बैठाकर तिलक, रक्षा सूत्र और आरती की जाती है। भाई बहन को उपहार देकर जीवनभर उसकी रक्षा का वचन देता है।
रक्षासूत्र कैसा हो?
- तीन रंगों (लाल, पीला, सफेद) से बना रक्षासूत्र विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
- अगर चंदन लगा हो, तो और भी मंगलकारी।
- सरलता से कलावा भी श्रद्धा से बांधा जा सकता है।
क्या रखें ध्यान में?
- तिलक और राखी बांधते समय सिर ढका होना चाहिए।
- काले वस्त्र, तीखा या नमकीन भोजन इस दिन वर्जित माना जाता है।
- उपहार ऐसा दें जो बहन के लिए उपयोगी व शुभ हो।
रक्षाबंधन: केवल एक पर्व नहीं, एक सामाजिक अनुबंध
रक्षाबंधन आज केवल पारिवारिक नहीं रहा, यह पर्व सामाजिक एकता, आपसी सद्भाव, धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतिनिधित्व करता है। यह पर्व हर रिश्ते में सुरक्षा, विश्वास और समर्पण की भावना को पोषित करता है।
आज जब सामाजिक ताने-बाने में टूटन की आशंका बनी रहती है, रक्षाबंधन एक ऐसा अवसर बनकर आता है जो हमें जोड़ता है, नज़दीक लाता है और सुरक्षा की भावना को सामाजिक दायित्व में बदल देता है।
📜 कानूनी अस्वीकरण (Legal Disclaimer):
यह लेख धार्मिक मान्यताओं, पंचांग गणनाओं और पौराणिक संदर्भों पर आधारित है, जिनका उद्देश्य पाठकों को सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जानकारी देना है। यह किसी भी प्रकार की आस्था, मान्यता या परंपरा को बढ़ावा देने या दबाने का प्रयास नहीं करता है।
पाठक अपने धार्मिक गुरु, स्थानीय परंपरा या व्यक्तिगत विश्वास के अनुसार निर्णय लें। लेख में दी गई पंचांग/मुहूर्त की जानकारी प्रामाणिक स्रोतों से संकलित की गई है, फिर भी स्थानीय पंचांग में भिन्नता संभव है।
आप सभी को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं। यह पर्व आपके जीवन में सुख, सुरक्षा और समर्पण का प्रकाश लेकर आए।
– Vision Live –/ रिलिजंस एंड कल्चरल डेस्क