पुलिस ने किया फर्जी ISO सर्टिफिकेट गिरोह का पर्दाफाश

फर्जी ISO सर्टिफिकेट गिरोह का पर्दाफाश — थाना बिसरख पुलिस की बड़ी सफलता, 6 अभियुक्त गिरफ्तार

       मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”ग्रेटर नोएडा
पुलिस कमिश्नरेट गौतमबुद्धनगर के थाना बिसरख पुलिस ने एक संगठित ठग गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए 6 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है, जो ब्रांडिंग, डिजिटल मार्केटिंग और फर्जी ISO सर्टिफिकेट के नाम पर कंपनियों से ठगी कर रहे थे। पुलिस ने इनके कब्जे से 9 लैपटॉप, 1 टैबलेट, 8 मोबाइल फोन, लगभग 60 फर्जी ISO सर्टिफिकेट व दस्तावेज तथा एक स्वैप मशीन बरामद की है।
इस कार्रवाई को डीसीपी सेंट्रल श्री शक्ति मोहन अवस्थी के नेतृत्व में अंजाम दिया गया। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूरे मामले की जानकारी साझा की।


घटना का खुलासा — ब्रांडिंग के नाम पर लाखों की ठगी

इंडिको रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के संचालक की शिकायत पर थाना बिसरख पर दर्ज एफआईआर संख्या 491/2025 के अनुसार, शिकायतकर्ता ने अपनी कंपनी के मुरब्बा व घी उत्पाद की ब्रांडिंग और ISO प्रमाणन के लिए ब्रांडौलाजी मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी से संपर्क किया था।
उक्त कंपनी के डायरेक्टर मयंक तिवारी व उसके सहयोगियों ने पीड़ित से ₹3,28,170 की रकम यह वादा कर ली कि वे ISO सर्टिफिकेट और व्यापक ब्रांडिंग प्रदान करेंगे। लेकिन वादे के विपरीत न कोई प्रचार हुआ, न प्रमाणन वैध था।


फर्जीवाड़े का तरीका — फर्जी वेबसाइट, एडिटेड सर्टिफिकेट और सोशल मीडिया धोखा

जांच में पता चला कि आरोपितों ने पहले “भारत का डिस्ट्रीब्यूटर” नाम से कंपनी बनाकर कई उत्पादकों को ठगा था। अब वही गिरोह NX-One, ग्रेटर नोएडा में ब्रांडौलाजी मार्केटिंग प्रा. लि. नाम से दोबारा सक्रिय था।
वे सोशल मीडिया, फर्जी वेबसाइट, और ISO कंपनियों के प्रोफार्मा डाउनलोड कर नकली प्रमाणपत्र तैयार करते थे।

ठगी की मुख्य रणनीति:

  • उत्पादकों को ISO प्रमाणन, डिजिटल मार्केटिंग और बड़े ऑर्डर का लालच देना
  • एक दिन में ही एडिटेड सर्टिफिकेट उपलब्ध कराना
  • सैम्पल के नाम पर प्रोडक्ट मंगाकर निजी उपयोग
  • उत्पाद की गुणवत्ता को बाद में कमतर बताकर रिफंड से इंकार करना
  • फर्जी वेबसाइट बनाकर सर्टिफिकेट की प्रमाणिकता का भ्रम देना

गिरफ्तार अभियुक्तों की भूमिका:

  1. मयंक तिवारी (डायरेक्टर): कंपनी संचालन व ठगी की योजना बनाने वाला
  2. विकास शर्मा (सेल्स एग्जीक्यूटिव): फर्जी सर्टिफिकेट व दस्तावेज तैयार करने में विशेषज्ञ
  3. प्रदीप कुमार यादव: ग्राहकों को मुनाफे का झांसा देकर रुपये वसूलने वाला
  4. अविनाश गिरी (वेब डेवलपर): फर्जी वेबसाइट बनाकर भ्रम फैलाने में शामिल
  5. प्रदीप यादव (एडवर्टाइजिंग): डिजिटल प्रचार-प्रसार और विक्रेताओं को आकर्षित करना
  6. केशव (CRM मैनेजर): फर्जी दस्तावेज व वेबसाइटों की तकनीकी पुष्टि करने वाला

अभियुक्तों पर दर्ज मामले:

इन सभी पर BNS की धारा 316(2), 318(4), 338, 336(3), 340(2) और आईटी एक्ट की धारा 66D के तहत केस दर्ज हैं।
थाना बिसरख में सभी के खिलाफ एक या दो मामलों में गंभीर आरोप पहले से दर्ज हैं।


डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी का बयान:

“गौतमबुद्ध नगर पुलिस साइबर और आर्थिक अपराधों को लेकर सतर्क है। यह गिरफ्तारी ठगों के उस गिरोह पर करारी चोट है, जो भोले-भाले उद्यमियों को लालच देकर लूटते हैं। हम आगे भी ऐसे अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई करते रहेंगे।”

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