ओबीसी समाज को जागने की जरूरत :-ओबीसी को हर क्षेत्र में हिस्सेदारी मिलेगी ?

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ओबीसी समाज को जागने की जरूरत :-ओबीसी को हर क्षेत्र में हिस्सेदारी मिलेगी ?

देश में 100 से ज्यादा ओबीसी सांसद विराजमान हैं और भारत के प्रधानमंत्री  अपने आप को ओबीसी वर्ग से बताते हैं

 

चौधरी शौकत अली चेची

संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 और संविधान बन कर तैयार हुआ 26 नवंबर 1949 समय 2 साल 11 महीने 18 दिन।  114 दिन बैठक हुई खर्च रु 6396795,सदस्य लगभग सामान्य वर्ग से 297 ,मुस्लिम वर्ग से 79 , सिख वर्ग से 4 ,अनुसूचित जाति से 26, अनुसूचित जनजाति वर्ग से 33 ,महिलाएं 15। संविधान में शब्दों की संख्या लगभग 11 7369, पन्ने की संख्या लगभग 234, संविधान का वजन 13 किलो। 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ संविधान । संविधान में देशवासियों को 4 वर्गों में बांटा एससी, एसटी ,ओबीसी  और सामान्य।  जम्मू कश्मीर में धारा 370  पर आज भी चर्चा बरकरार है, लेकिन OBC यानी पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए बनी अनुच्छेद 340 की चर्चा नहीं होती है । पिछड़ा वर्ग को इंसान बनकर सोचना चाहिए । संविधान में एससी के लिए धारा 341 और एसटी के लिए धारा 342 और ओबीसी लोगों के लिए धारा 340 है। एससी, एसटी के लिए सन् 1949 में धारा 341 और धारा 342 की शुरुआत की गई थी और बाद में 1950 में संविधान लागू किया गया था इसके तहत एससी / एसटी का प्रतिनिधित्व / आरक्षण ( शिक्षा, रोजगार, पदोन्नति ) में किया गया था।  लेकिन ओबीसी वर्ग पर आरक्षण लागू नहीं हुआ। लंदन में 1932 के गोलमेज सम्मेलन में ओबीसी का कोई प्रतिनिधि नहीं था,  एससी/एसटी तरफ से बाबा साहब थे। संविधान लिखते समय, बाबासाहेब ने सोचा कि ओबीसी भाइयों की स्थिति एससी / एसटी की तरह ही खराब है।  उन्होंने संविधान सभा पर चर्चा शुरू करते हुए कहा कि  संविधान में ओबीसी के लिए आरक्षण मिलना चाहिए । बाबा साहब ने कहा था जो एससी एसटी नहीं बाकी सभी उच्च जाति के नहीं हैं, वह सभी ओबीसी है । तब खंड 340 के अनुसार वे जनगणना की जाएगी और प्रत्येक क्षेत्र में जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण दिया जाएगा।  हालांकि, 1950 के बाद से ओबीसी की जाति आधारित जनगणना नहीं हुई है, इसलिए उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिला है 1990 में, 60% OBC को 27% आरक्षण लागू किया गया था। अगर ओबीसी की गणना की जाती है और उनके आंकड़े आते हैं, तो उन्हें अनुच्छेद 340 के अनुसार आरक्षण / प्रतिनिधित्व से देश में 52% से 60% IAS, IPS अधिकारी होंगे, जो आज केवल 4% है।  सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय में लगभग 60% न्यायाधीश होंगे, जो आज आधा प्रतिशत है ।

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हर वर्ष के बजट में से लगभग 60% बजट का उपयोग विकास के लिए एवं  ओबीसी को हर क्षेत्र में हिस्सेदारी मिलेगी, लेकिन ओबीसी की तब तक प्रगति नहीं होंगी। जब तक कि धारा 340 के तहत जनगणना नहीं होती है इसलिए अपने अधिकार को समझने के लिए ओबीसी देशवासियों को सरकार पर अनुच्छेद 340 को लागू करने के लिए दबाव बनाना चाहिए। देश के स्वतंत्र होने के 75 साल बाद भी, धारा 340 लागू नहीं किया गया है । जाति और धर्म की गहराई को समझने से पहले अपने अधिकारों को समझने की जरूरत है । न्यायपालिका, सरकारी तंत्र, सरकार लोकतंत्र के तीनों पिलर जनता के पैसों से चलते हैं, जो टैक्स जीएसटी, वैट स्टांप आदि सरकारी खजाने में एकत्रित होते हैं, जिसमें सबसे ज्यादा योगदान ओबीसी वर्ग का होता है। जाति और धर्म की नफरत में अपने योगदान और अधिकार को भूल रहा है। इस समय देश में 100 से ज्यादा ओबीसी सांसद विराजमान हैं और भारत के प्रधानमंत्री  अपने आप को ओबीसी वर्ग से बताते हैं । ओबीसी वर्ग को  समझना होगा देश आजादी से अब तक कितने प्रधानमंत्री ,कितने राष्ट्रपति, कितने सर्वोच्च न्यायालय मुख्य न्यायाधीश, कितने सेना अध्यक्ष ,कितने आईएएस, आईपीएस बने हैं?  ओबीसी समाज को जागने की जरूरत है,  एकता और जागरूकता के लिए मिलकर अपने अधिकार की मशाल जलाने की जरूरत है । जय जवान जय किसान जय संविधान तिरंगा हम सभी की शान (जय हिंद )।

लेखक:- चौधरी शौकत अली चेची भारतीय किसान यूनियन (बलराज) के राष्ट्रीय महासचिव हैं ।

 

 

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