नोएडा पुलिस ने किया फर्जी इंटरनेशनल कॉल सेंटर का भंडाफोड़, 12 दबोचे

क्राइम रिपोर्टर / गौतमबुद्धनगर

गौतमबुद्धनगर पुलिस कमिश्नरेट की एक्सप्रेसवे थाना पुलिस ने सोमवार, 15 जुलाई को एक फर्जी अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर का पर्दाफाश करते हुए 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें 10 पुरुष और 2 महिलाएं शामिल हैं। यह गिरोह सेक्टर-134 स्थित जेपी कॉसमॉस टावर केएम-7 के 17वें फ्लोर के फ्लैट में फर्जी कॉल सेंटर संचालित कर रहा था। आरोपी गूगल ऐप के जरिए विदेशी नागरिकों का डेटा खरीदते थे और फिर उन्हें लोन देने के नाम पर स्काईप और टेलीग्राम जैसे ऐप्स से कॉल कर ठगी करते थे।

पूछताछ में सामने आया कि गिरोह लोन प्रोसेसिंग के नाम पर पीड़ितों से पहले 300 अमेरिकी डॉलर की मांग करता था, जिसे आरोपी Apple eBuy या Walmart जैसे गिफ्ट कार्ड के ज़रिए मंगवाते थे। जिन लोगों के पास पैसे नहीं होते थे, उन्हें यह गिरोह फर्जी चेक भेजता था, जिससे पीड़ित बैंक में चेक को मोबाइल के जरिए डिपॉज़िट करता था। यदि पैसा खाते में आ जाता, तो आरोपी उसे गिफ्ट कार्ड्स के माध्यम से हड़प लेते थे।

यह पूरा नेटवर्क गूगल से डेटा खरीदता था और उसका पेमेंट क्रिप्टो करेंसी (USDT) या डिजिटल गिफ्ट वाउचर्स में करता था, ताकि ट्रेस न हो सके। गिरोह डेटा में नाम और मोबाइल नंबर जैसी जानकारियों को ज़रूरत के अनुसार एडिट करता था। विदेशी नागरिकों को लोन की ज़रूरत होने पर वे या तो कॉल करते थे या “YES” लिखकर रिप्लाई करते थे, जिससे गिरोह उन्हें फंसाने की प्रक्रिया शुरू कर देता था।

पुलिस ने मौके से 10 लैपटॉप, 16 मोबाइल फोन, 9 लैपटॉप चार्जर, 9 हेडफोन, 5 कीबोर्ड, 5 माउस, एक इंटरनेट राउटर और एक आईफोन चार्जर बरामद किया है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में महाराष्ट्र, गुजरात, नागालैंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और मणिपुर के लोग शामिल हैं। पुलिस ने इन सभी के खिलाफ भा.दं.सं. की धारा 319(2)/318(4) बीएनएस और आईटी एक्ट की धारा 66D के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है।

डीसीपी नोएडा श्री यमुना प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि इस गिरोह का नेटवर्क अंतरराज्यीय स्तर का है और क्रिप्टो के जरिए पेमेंट लेने की वजह से इनका ट्रैक करना चुनौतीपूर्ण था। हालांकि, ठोस सूचना व इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई की गई। उन्होंने कहा कि कॉल सेंटर में काम करने वाले सभी लोग फर्जी तरीके से विदेशी नागरिकों से ठगी कर रहे थे, और मामले की जांच आगे साइबर सेल व अन्य एजेंसियों की मदद से की जा रही है।

पुलिस अब बरामद उपकरणों की फॉरेंसिक जांच कर रही है और इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की तलाश भी जारी है।

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