मां का दूध: शिशु के लिए अमृत, बोतल का दूध स्वास्थ्य के लिए खतरा

✅ स्तनपान से बढ़ती है प्रतिरोधक क्षमता, मां को भी मिलते हैं फायदे

✅ डॉक्टरों ने बोतल फीडिंग पर जताई चिंता, बताया शिशु विकास के लिए नुकसानदेह

मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/  ग्रेटर नोएडा
शिशु के जीवन की पहली वैक्सीन अगर कोई है, तो वह है — मां का दूध। यह केवल एक पोषण का माध्यम नहीं, बल्कि एक ऐसा प्राकृतिक सुरक्षा कवच है, जो शिशु को शुरुआती छह महीनों में बीमारियों से बचाने के साथ-साथ उसके मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक विकास में सबसे अहम भूमिका निभाता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, जन्म के पहले घंटे में स्तनपान शुरू कर देने से नवजात मृत्यु दर में 20–30% तक की कमी लाई जा सकती है। यही नहीं, पहले छह महीने तक सिर्फ मां का दूध देने से शिशु कई प्रकार के संक्रमण, एलर्जी, डायरिया, और कुपोषण से सुरक्षित रहता है।


🔶 डॉ. कुशाग्र गुप्ता, कंसल्टेंट – फोर्टिस अस्पताल, ग्रेटर नोएडा का संदेश:

“बोतल से दूध पिलाने की प्रवृत्ति शिशु के लिए गंभीर खतरा बन रही है।”

डॉ. कुशाग्र बताते हैं कि बोतल फीडिंग से बच्चों को गैस, उल्टी, एलर्जी, संक्रमण और मोटापे की समस्या जल्दी पकड़ लेती है। साथ ही, एक बार जब शिशु बोतल का आदी हो जाता है, तो वह स्तनपान से दूरी बना सकता है — जो दीर्घकालिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।

“यह केवल सुविधा के लिए किया गया निर्णय नहीं होना चाहिए, बल्कि एक जागरूक विकल्प होना चाहिए जो शिशु के हित में हो,” उन्होंने कहा।


🟢 स्तनपान: मां के लिए भी वरदान

यह सिर्फ शिशु को ही नहीं, बल्कि मां के लिए भी एक वरदान है।

  • स्तनपान से मां का वजन स्वाभाविक रूप से नियंत्रित रहता है।
  • हॉर्मोनल संतुलन बेहतर होता है।
  • शारीरिक बनावट में सकारात्मक परिवर्तन आता है।
  • और सबसे अहम — मां और शिशु के बीच एक गहरा भावनात्मक रिश्ता विकसित होता है।

डॉक्टरों ने यह भी स्पष्ट किया कि यह पूरी तरह से भ्रांति है कि स्तनपान से शारीरिक सुंदरता पर विपरीत असर पड़ता है। वास्तव में, यह मां के लिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित करने का सबसे प्राकृतिक तरीका है।


🔴 बोतल का दूध क्यों है हानिकारक?

संक्रमण और बैक्टीरिया का खतरा

सही तापमान और स्वच्छता की चुनौती

पोषक तत्वों की कमी

शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर

मां और बच्चे के जुड़ाव में बाधा


🟠 समाज में चाहिए व्यापक जागरूकता

शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों — दोनों जगह स्तनपान को लेकर जागरूकता की भारी कमी देखी जाती है। आधुनिक जीवनशैली, सोशल मीडिया भ्रम और सौंदर्य को लेकर आशंकाएं स्तनपान से दूरी की प्रमुख वजहें बन रही हैं।

इस विषय पर फोर्टिस ग्रेटर नोएडा द्वारा चलाए गए सप्ताहव्यापी जागरूकता अभियान का उद्देश्य था माताओं को यह समझाना कि मां का दूध सिर्फ एक खाद्य पदार्थ नहीं — बल्कि जीवन सुरक्षा की पहली ढाल है।


🟣  स्तनपान

स्तनपान केवल एक जैविक प्रक्रिया नहीं, बल्कि मातृत्व की सबसे पवित्र और प्रभावशाली जिम्मेदारी है। इससे न केवल एक स्वस्थ शिशु का निर्माण होता है, बल्कि एक मजबूत और सशक्त समाज की नींव भी रखी जाती है।


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