चमत्कारी सर्जरी: रीढ़ की हड्डी में क्रिकेट बॉल जितना ट्यूमर

🩺 चमत्कारी सर्जरी: रीढ़ की हड्डी में क्रिकेट बॉल जितना ट्यूमर, फोर्टिस ग्रेटर नोएडा के डॉक्टरों ने सफलतापूर्वक हटाया
पैरालिसिस से मिली मुक्ति, मरीज अब फिर से चलने-फिरने में पूरी तरह सक्षम


📍 मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/ ग्रेटर नोएडा-

फोर्टिस हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा ने एक बार फिर मेडिकल साइंस में अपनी दक्षता का अद्भुत प्रमाण दिया है। यहां के डॉक्टरों ने 44 वर्षीय मरीज सुबोध कुमार की रीढ़ की हड्डी से क्रिकेट बॉल के आकार का दुर्लभ और जटिल ट्यूमर निकालकर उन्हें नया जीवन दिया है।

🔬 जटिलता की सीमा पार करता मामला

सुबोध कुमार की हालत इतनी गंभीर थी कि वे पिछले दो महीनों से पैरालिसिस, मूत्र-मल नियंत्रण की समस्या और पूर्णत: व्हीलचेयर पर निर्भर थे। शुरुआत में उनकी स्थिति को स्लिप डिस्क या स्पाइनल टीबी मानकर इलाज किया गया, जिससे सही निदान में देरी हुई।

डॉक्टरों के मुताबिक ट्यूमर रीढ़ की हड्डी के साथ चिपका हुआ था और सीने के अंदर मीडियास्टाइनम क्षेत्र तक फैल चुका था, जिससे सर्जरी अत्यधिक जोखिमपूर्ण हो गई थी।


🏥 4 घंटे की जीवनदायिनी सर्जरी

ऑपरेशन का नेतृत्व डॉ. हिमांशु त्यागी (निदेशक एवं प्रमुख, ऑर्थोपेडिक्स और स्पाइन सर्जरी) ने किया। उनके साथ डॉ. राजेश मिश्रा और डॉ. मोहित शर्मा की टीम भी थी। इस हाई-रिस्क सर्जरी में माइक्रोस्कोपिक तकनीक, न्यूरोमॉनिटरिंग और इमेज गाइडेंस जैसी अत्याधुनिक विधियों का उपयोग किया गया।

डॉ. हिमांशु त्यागी ने बताया:

“ट्यूमर नसों से चिपका हुआ था। एक भी गलती से स्थायी पैरालिसिस या फेफड़ों में जटिलताएं आ सकती थीं। लेकिन सटीक योजना और तकनीक की मदद से हमने ट्यूमर को पूरी तरह हटाया और रीढ़ की नसों को सुरक्षित रखा। आज सुबोध बिना किसी सहारे चल पा रहे हैं।”


🌟 चार महीने में पूरी तरह स्वस्थ जीवन की ओर

सर्जरी के बाद के चार महीनों में सुबोध कुमार ने चमत्कारी रिकवरी की है।
अब वे बिना व्हीलचेयर, बिना कैथेटर, बिना सहारे अपने सभी काम खुद कर रहे हैं — चलना, सीढ़ियाँ चढ़ना, शौच और पेशाब।

सुबोध कुमार ने कहा:

“मैंने मान लिया था कि अब जीवन खत्म हो चुका है। लेकिन फोर्टिस ने मुझे नया जन्म दिया है। अब मैं फिर से जी रहा हूँ — अपने पैरों पर।”


दुर्लभ केस, बड़ा संदेश

ऐसे मायक्सॉइड मूल ट्यूमर भारत में अत्यंत दुर्लभ होते हैं और इनका कोई स्पष्ट कारण नहीं होता। आमतौर पर ये आनुवंशिक परिवर्तन या अनियंत्रित कोशिका वृद्धि से उत्पन्न हो सकते हैं।


📌 Vision Live की विशेष टिप्पणी:

फोर्टिस ग्रेटर नोएडा की यह सर्जरी मेडिकल साइंस और मानव सेवा की एक मिसाल बन चुकी है। यह केस न केवल चिकित्सकीय उपलब्धि है, बल्कि आशा और हौसले की मिसाल भी है।

👉 यह खबर उन सभी के लिए प्रेरणा है जो असाध्य समझी जाने वाली बीमारियों से जूझ रहे हैं।

रिपोर्ट: Vision Live | स्थान: फोर्टिस हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा
(स्वास्थ्य संबंधी अपडेट्स के लिए जुड़े रहें Vision Live के साथ)

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