
कर्नल सोफिया कुरैशी: ऑपरेशन सिंदूर की कमांडर और भारतीय सेना में महिला नेतृत्व की नई मिसाल

मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी” / नई दिल्ली
भारतीय सेना की गौरवशाली परंपरा में जब-जब संकट के क्षण आए हैं, तब-तब कुछ नाम ऐसे उभरे हैं जिन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता, साहस और संकल्प से इतिहास रच दिया है। ऐसा ही एक नाम है—कर्नल सोफिया कुरैशी। वर्ष 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में किए गए निर्णायक सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की कमान संभालने वाली कर्नल सोफिया, भारतीय सैन्य इतिहास में पहली महिला बनीं जिन्होंने एक प्रतिघात अभियान का नेतृत्व किया।
प्रारंभिक जीवन और प्रेरणा की नींव
कर्नल सोफिया कुरैशी का जन्म 1981 में गुजरात के वडोदरा शहर में हुआ। उनके परिवार में सैन्य सेवा की परंपरा रही है—उनके दादा भारतीय सेना में सेवारत थे और उनके पति, मेजर ताजुद्दीन कुरैशी, मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री में अधिकारी हैं। प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने बायोकैमिस्ट्री में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की, लेकिन उनका झुकाव हमेशा से राष्ट्रसेवा की ओर था। वर्ष 1999 में, मात्र 17 वर्ष की आयु में उन्होंने शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत भारतीय सेना में प्रवेश किया और सिग्नल कोर की अधिकारी बनीं।

सेना में उत्कृष्ट सेवाएँ और अंतरराष्ट्रीय अनुभव
कर्नल कुरैशी का सैन्य जीवन अनेक उपलब्धियों से भरा है। उन्होंने 2006 में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के अंतर्गत कांगो में कार्य किया, जहाँ उन्हें संघर्षविराम की निगरानी और मानवीय सहायता के संचालन का अनुभव मिला।
वर्ष 2016 में उन्होंने एक और इतिहास रचते हुए ‘फोर्स 18’ नामक बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारत की टुकड़ी का नेतृत्व किया, जो अब तक भारत द्वारा आयोजित सबसे बड़ा विदेशी सैन्य अभ्यास रहा है। इस अभ्यास में 18 देशों की सेनाएं शामिल हुई थीं।
ऑपरेशन सिंदूर: साहस, संयम और रणनीतिक नेतृत्व
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए क्रूर आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों द्वारा अंजाम दिए गए इस हमले में 25 निर्दोष नागरिकों और एक नेपाली गाइड की जान गई थी। इसके उत्तर में भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के नाम से एक जवाबी कार्रवाई की योजना बनाई। इस अभियान की रणनीति और संचालन की जिम्मेदारी सौंपी गई कर्नल सोफिया कुरैशी को।

उनके नेतृत्व में भारतीय वायुसेना और सेना की संयुक्त टुकड़ियों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में मौजूद नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। इन हमलों में राफेल विमानों द्वारा SCALP और AASM हैमर जैसी अत्याधुनिक मिसाइलों का प्रयोग हुआ। यह अभियान केवल 23 मिनट में पूरा हुआ और इसमें किसी भी नागरिक या पाकिस्तानी सैन्य ढांचे को क्षति नहीं पहुँचाई गई—यह सटीकता कर्नल कुरैशी की रणनीतिक सूझबूझ का प्रमाण है।
उन्होंने हमले के बाद प्रेस ब्रीफिंग में स्पष्ट किया कि यह कदम आतंकवाद के खिलाफ भारत की शून्य सहिष्णुता की नीति का हिस्सा है और इसका उद्देश्य निर्दोष लोगों के जीवन की रक्षा करना है।
महिला सशक्तिकरण का प्रतीक
कर्नल सोफिया कुरैशी ने न सिर्फ सैन्य दृष्टि से बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी एक नई लकीर खींची है। वे भारतीय सेना में उन महिलाओं में शामिल हैं जिन्होंने अपने पुरुष समकक्षों के समान स्तर पर निर्णय लिए, जिम्मेदारी उठाई और जटिल परिस्थितियों में सफलता प्राप्त की। उनके नेतृत्व ने सिद्ध कर दिया कि अब सेना में महिला अधिकारी केवल सहायक भूमिकाओं में नहीं, बल्कि निर्णायक मोर्चों पर भी अग्रिम पंक्ति में हैं।

कर्नल सोफिया कुरैशी की कहानी
कर्नल सोफिया कुरैशी की कहानी उस नए भारत की कहानी है जहाँ नारी शक्ति सिर्फ नारे नहीं, बल्कि नेतृत्व का वास्तविक रूप बन चुकी है। ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य प्रतिघात नहीं था, वह भारतीय महिलाओं की नेतृत्व क्षमता, साहस और सैन्य कुशलता की ऐतिहासिक मिसाल भी है। आने वाली पीढ़ियाँ उनके योगदान को याद करेंगी और उनके पदचिन्हों पर चलने की प्रेरणा लेंगी।