
पत्नी की हत्या मामले में दोषी पति अखिलेश को उम्रकैद की सजा, कोर्ट ने कहा- “गंभीर लेकिन ‘रेरेस्ट ऑफ द रेयर’ नहीं”

मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/ गौतमबुद्धनगर
गौतमबुद्ध नगर की जिला एवं सत्र न्यायालय ने बहुचर्चित पत्नी हत्या मामले में आरोपी अखिलेश पॉलिवाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह फैसला अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-तृतीय संजय कुमार सिंह प्रथम ने सत्र परीक्षण संख्या 300/2020 में सुनाया।
मामले का विवरण
यह मामला 3 सितंबर 2020 की दोपहर का है, जब आरोपी अखिलेश ने घरेलू विवाद के चलते अपनी पत्नी बिजली की बसौली और कन्नी से निर्मम हत्या कर दी थी। घटना ग्रेटर नोएडा के डाढा गांव स्थित किराए के मकान में हुई। मृतका की मां सितारा खातून की लिखित शिकायत पर थाना कासना में धारा 302 व 316 आईपीसी के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

शिकायत में उल्लेख किया गया था कि मृतका दूध के पैसे लेने के लिए अपनी मां को घर बुलाया था। उसी दौरान आरोपी ने शराब के नशे में झगड़ा किया और पैसे छीनने का प्रयास किया। विरोध करने पर उसने पत्नी पर जानलेवा हमला कर दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। बीच-बचाव करने आई सास को भी आरोपी ने धक्का देकर गिरा दिया।
जांच और अभियोजन
मामले की विवेचना उपनिरीक्षक बिजेन्द्र सिंह ने की। अभियोजन की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) रोहताश शर्मा ने पक्ष रखा और न्यायालय से कठोरतम दंड की मांग की।
सुनवाई और सजा
28 जुलाई 2025 को आरोपी को सजा के लिए अदालत में पेश किया गया। बचाव पक्ष ने उसकी गरीबी, परिवार का अभाव, तथा पहला अपराध होने का हवाला देते हुए न्यूनतम सजा की मांग की। वहीं अभियोजन पक्ष ने अपराध की गंभीरता को उजागर करते हुए सख्त सजा पर ज़ोर दिया।

न्यायालय ने कहा कि यह मामला गंभीर जरूर है, लेकिन “Rarest of Rare” की श्रेणी में नहीं आता। कोर्ट ने आरोपी को:
- धारा 302 IPC के तहत आजीवन कारावास व 10,000 रुपए का अर्थदंड
- धारा 316 IPC (गर्भस्थ शिशु की मृत्यु के लिए उत्तरदायी) के तहत 7 वर्ष सश्रम कारावास व 5,000 रुपए अर्थदंड से दंडित किया।
- अर्थदंड न चुकाने पर 3 माह का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा।
- दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी, और जेल में पूर्व में बिताई गई अवधि को सजा में समायोजित किया जाएगा।

न्यायालय का आदेश
“अभियुक्त का सजायाबी वारंट तैयार कर जिला कारागार भेजा जाए। निर्णय की प्रति आरोपी को निःशुल्क उपलब्ध कराई जाए,” — न्यायाधीश संजय कुमार सिंह प्रथम ने आदेश में कहा।