सीएम योगी की दहाड कहेंं या फिर किसान आंदोलन के नाम पर एक फिर खेला हो गया, अभी सवाल का जवाब का तलाशना पडेगा ?
पुलिस ने ग्रेटर नोएडा प्वाइंट से दर्जनों की संख्या में किसान नेताओं की गिरफ्तारी कर धरना स्थल खाली करा लिया
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/गौतमबुद्धनगर
गौतमबुद्धनगर में संयुक्त किसान संघर्ष समिति के तत्वाधान में दिल्ली कूच का नारा दे चला किसान आंदोलन दम तोड चुका है। पुलिस ने ग्रेटर नोएडा प्वाइंट से दर्जनों की संख्या में किसान नेताओं की गिरफ्तारी कर धरना स्थल खाली करा लिया है। इससे सीएम योगी की दहाड कहेंं या फिर किसान आंदोलन के नाम पर एक फिर खेला हो गया, अभी सवाल का जवाब का तलाशना पडेगा। बहरहाल सीएम योगी का जैसे ही बयान आया कि संभल हो या फिर कहीं भी किसी को भी अराजकता पफैलाने की कतई भी छूट नही दी जाएगी। इससे गौतमबुद्धनगर प्रशासन हरकत में आया और किसान नेताओं को रिहा किए जाने के बाद कुछ ही घंटे बाद ग्रेटर नोएडा के जीरो प्वाइंट से फिर हिरासत में लिया गया। एक दिन पहले ही नोएडा में राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल से धरना दे रहे किसान नेता पवन खटना, सुखवीर खलीफा, रूपेश वर्मा समेत दर्जनों की संख्या में गिरफ्तार किया था। दूसरे ही दिन फिर इन किसान नेताओं को ग्रेटर नोएडा के जीरो प्वाइंट पर चल रही महापंचायत के दौरान रिहा किया गया।
किसान 10 प्रतिशत आबादी भूखंड, बढ़ा हुआ 64.7 प्रतिशत मुआवजे और नए भूमि अधिग्रहण कानून को लागू करने की मांग कर रहे थे। किसानों ने 25 नवंबर से महापंचायत शुरू की। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले करीब 10 से अधिक किसान संगठन धरना दे रहे थे। ग्रेटर नोएडा के जीरो प्वाइंट के पास धरनास्थल को पुलिस ने खाली करा दिया है। वर्तमान में एक भी किसान धरनास्थल पर नहीं है। पुलिस की ओर से जीरो प्वाइंट पर सतर्कता के रूप में नजर रख रही है। ग्रेटर नोएडा के जीरो प्वाइंट पर धरना दे रहे किसान नेताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया। पुलिस ने किसान नेता सुखबीर खिलाफ सहित 34 किसान नेताओं को धरना स्थल से जबरन उठाकर जेल भेजा। किसान नेताओं को जेल भेजने के विरोध में एक बार फिर किसान और पुलिस प्रशासन के बीच टकराव की स्थिति बन सकती है।
आठ घंटे तक चली थी महापंचायत
जीरो प्वाइंट पर करीब आठ घंटे तक चली महापंचायत के बाद देर शाम पुलिस ने मंगलवार को गिरफ्तार किए गए सभी 126 किसानों को रिहा कर दिया था। जेल से छूटने के बाद किसान महापंचायत में पहुंचे। इसके बाद गुरुवार की महापंचायत में आगे की रणनीति बनाई। जानकारी के मुताबिक, पुलिस बुद्धवार की देर रात करीब 2.00 बजे धरना स्थल पर पहुंची और वहां धरना दे रहे किसानों को जबरन उठाकर बस में बैठाया गया। यहां से करीब 34 किसानों को जेल परिसर में दाखिल किया गया।
सीएम योगी की दहाड से पुलिस प्रशासन हरकत में आया
रात्रि 12.00 बजे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त निर्देश जारी किए। सीएम योगी आदित्यनाथ ने साफ कहा कि अराजकता बर्दाश्त नहीं, दूसरी तरफ किसानों के हिरासत में लेने के बाद से किसानों में तनाव का माहौल है। प्रशासन ने आंदोलन कर्ताओं से निपटने के लिए क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है। गौतमबुद्धनगर में किसानों और प्रशासन के बीच चल रहे गतिरोध से अब प्रदेश की राजनीति भी गरमा गई है।
अचानक बदले टिकैत के सुर
जीरो प्वाइंट पर किसान नेता राकेश टिकैत की अनुपस्थिति में उनके बेटे गौरव टिकैत ने महापंचायत को संबोधित किया था हालांकि राकेश टिकैत शाम को पुलिस को चकमा देकर पंचायत स्थल पर पहुंचने के लिए दौड़ते हुए यमुना एक्सप्रेसवे पर चढ़ गए। इसके बाद भारतीय किसान यूनियन टिकैत-के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने खुद को संयुक्त किसान मोर्चा से अलग कर लिया। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की ओर से साफ किया गया कि किसानों के प्रदर्शन और समस्याओं को देखते हुए यूपी सरकार ने दो दिन पहले पांच सदस्यीय एक उच्च स्तरीय समिति बनाई। टिकैत ने कहा कि उनका मत है कि किसान संगठन के लोग इस समिति के साथ धरना स्थल पर ही बातचीत करें और अपनी मांगों को उनके सामने प्रमुखता से रखें। धरना.प्रदर्शन के अलावा सरकार के नुमाइंदों से बात करके किसानों की समस्याओं का हल निकाला जा सकता है। दिल्ली कूच करने से समस्या का हल नहीं होगा क्योंकि इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर किसानों के सभी संगठनों का एक होना जरूरी है, तभी दिल्ली कूच सफल हो पाएगा।
बातचीत के लिए कुछ नेता नहीं तैयारः राकेश टिकैत
राकेश टिकैत के मुताबिक, किसान नेताओं को समिति के लोगों से बात करना चाहिए लेकिन कुछ नेता इसके लिए तैयार नहीं थे। उन्होंने कहा कि इस वजह से भारतीय किसान यूनियन इस प्रदर्शन से अलग हो गई है। अन्य संगठन जैसा चाहें, वह कर सकते हैं।
समिति बनाकर यूपी सरकार ने दिया लॉलीपॉप!
किसान संगठन के सूत्रों के अनुसार, कुछ अन्य किसान संगठनों ने भी अपने आप को इस प्रदर्शन से अलग कर लिया है। उनका भी मत है कि समिति के सामने अपना पक्ष रखकर किसानों की मूल समस्याओं का हल निकाला जाए। कुछ किसान नेताओं का मानना है कि हल टकराव से नहीं, आपसी बातचीत से निकलेगा। वहीं कुछ किसान नेताओं को लगता है कि समिति बनाकर सरकार ने एक लॉलीपॉप दिया है क्योंकि पहले भी उच्च स्तरीय समिति बनी थी, लेकिन उसका नतीजा शून्य रहा है।