ट्रैफिक जाम से में फंसे दूल्हे राजाओं की व्यथा।
आर्य सागर खारी
आदि विधिशास्त्री समाज शास्त्री महर्षि मनु ने मनुस्मृति के दूसरे अध्याय में एक बेहद सुंदर श्लोक रचा है। श्लोक का विषय है मार्ग में प्रथम किस को रास्ता दें ।
श्लोक इस प्रकार हैं।
चक्रिणो दशमीस्थस्य रोगिणो भारिण: स्त्रिया:।
स्नातकस्य च…… पंथा देयो वरस्य च ।।
90 वर्ष से अधिक आयु वाले व्यक्ति गाड़ी सवार, रोगी,भोझा उठाई हुई स्त्री ,विद्वान स्नातक , अपनी दुल्हनिया को बिहाने चले दुल्हे को सामने से आने पर सबसे पहले रास्ता देना चाहिए। इनका रास्ता नहीं रोकना चाहिए।
मनु समदर्शी महर्षि थे उन्होंने दूल्हे को पूरा सम्मान दिया है।विवाह का दिन जीवन का एक विशेष दिन अवसर उपलब्धि होती है।
लेकिन यदि आप बतौर दूल्हे राजा दिल्ली फरीदाबाद गुरुग्राम आदि से ग्रेटर नोएडा के ग्रामीण क्षेत्र जिसे भटनेर कहते हैं उसमें भी भटनेर के उत्तर पूर्वी हिस्से में अपनी बारात लेकर आते हैं तो इस हिस्से में आज भी प्रवेश करने के लिए एक मात्र रास्ता है सूरजपुर जिला मुख्यालय से मेरे गांव तिलपता होते हुए दादरी नगर पालिका क्षेत्र में प्रवेश लेकिन यह रास्ता ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कुनियोजित विकास के कारण किसी भी दूल्हे के लिए शादियों के सीजन में सर्वाधिक कष्टदायक बन जाता है इस मार्ग पर लगने वाले विशेष तौर पर तिलपता के सदाबहार ट्रैफिक जाम के कारण।
मैंने अनेक दूल्हे राजाओं को रात्रि के एक-एक बजे तक इस ट्रैफिक जाम में कुढ़ते कोसते हुए देखा है और हम चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते। उन दूल्हे राजाओं को तो विशेष कष्ट होता है जो मुहूर्त चिंतामणि घड़ी मुहूर्त जैसी फलित ज्योतिष की अवधारणाओं में विश्वास करते हैं उनका कथित शुभ मुहूर्त तो मेरे गांव के जाम में ही पूरा हो जाता है।
इस जाम के लिए जिम्मेदार कौन है निसंदेह स्थानीय प्राधिकरण जिम्मेदार है ।उसने जाम से राहत के लिए कोई प्लान तैयार नहीं किया है बाईपास डिवाइडर आदि जिसमें शामिल हैं। ट्रैफिक पुलिसकर्मी एक अनार सौ बीमार की स्थिति में रहते हैं लेकिन इस समस्या के लिए खुद दूल्हे राजा भी जिम्मेदार होते हैं। दुल्हे राजा के नाते रिश्तेदार मित्र मंडली भी इस पुनीत कार्य में सहयोगी बनती है। दरअसल दिल्ली एनसीआर में जो दूल्हा राजा होते है विशेष कर फ्री होल्ड जमीन को बेचकर या किराया आदि स्रोत से संपत्ति बनाकर या कर्ज लेकर वह अपने विवाह के दिन रियासत काल की किसी रियासत के एकमात्र उत्तराधिकारी प्रतिनिधि की भूमिका में आ जाते हैं । दुल्हे राजा अपने साथ अपना आर्टिफिशियल रुतबा दिखाने के लिए दूल्हे की गाड़ी के साथ-साथ दर्जनों आलीशान लग्जरी गाड़ियों का काफिला लेकर चलता है दूल्हे का जीजा इस पठकथा का रचयेता होता है। यह एक पूरी तरह हवा हवाई प्रदर्शन होता है उन गाड़ियों में आमतौर पर औसत एक या दो व्यक्ति ही सवार रहते हैं। ऐसे में स्वाभाविक है वेडिंग सीजन में दिल्ली एनसीआर की सड़कों पर ट्रैफिक घनत्व बढ़ जाता है।
लेकिन चने के साथ घुण भी पिसता है इन दिखावटी प्रदर्शनकारी दूल्हों के चक्कर में बगैर काफीले के बिचारे सज्जन सादगी पसंद शालीनता से अपनी दुल्हन को बिहाने चले दूल्हे राजा भी ट्रैफिक जाम में फस जाते हैं।
भारत में बारात का अलग ही रोमांच होता है समय से आने वाली बारात दूल्हे की सब तारीफ करते हैं लेकिन जो बरात या दूल्हे लेट हो जाता है उसको सामाजिक आर्थिक जोखिम कुछ स्वादिष्ट व्यंजन तो बारात के पहुंचते पहुंचते निमट जाते हैं क्योंकि अब बारातियों को पहले खिलाने की संस्कृति नहीं रही है। ऐसे बहुत से छोटे-छोटे खामियाजे हैं जो चुकाने पड़ते हैं।मनोवैज्ञानिक तनाव अलग से मिलता है। गांव में जो बारात देरी से चढ़ती है उसके ग्रामीण दर्शक भी कम ही उपलब्ध हो पाते हैं सर्दियों में लोग जल्दी सो जाते हैं। ऐसे में वही स्थिति होती है जंगल में मोर नाचा किसने देखा?
इस त्रासदी पर ओर क्या लिखें।
अंतोगत्वा में अपना यह सहानभूति लेख ऐसे सभी ट्रैफिक जाम से त्रस्त दूल्हे राजाओं को समर्पित करता हूं । महर्षि मनु ने विवाह व वर की बहुत सी श्रेणियों का उल्लेख मनुस्मृति में किया है लेकिन खैर शुक्र है उन्होंने विवाह मंडप में देरी से पहुंचने वाले दुल्हों को विवाह के लिए अपने विधि शास्त्र में अयोग्य या काल बाधित घोषित नहीं किया। यह फोटो मेरे घर के सामने की है मैंने ही बड़े उत्साह उमंग से खींची है।
लेखक:- आर्य सागर, तिलपता, आरटीआई कार्यकर्ता और सामाजिक चिंतक व विचारक हैं ।