गौतमबुद्धनगर जनपद के दीवानी एंव फौजदारी बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष संजीव वर्मा एडवोकेट ने भी मांग उठाई
यूपीसीडा का रीजनल ऑफिस कासना में हैं। यूपीसीडा के अफसर ज्यादातर कानपुर ऑफिस से ही अप्रूवल मिल जाने का ठीकरा फोडते हुए अपनी जिम्मेदारियो से पल्ला झाडते हुए देखे जाते हैं। यही वजह है कि अब गौतमबुद्धनगर जिले में यूपीसीडा के आसित्व पर सवाल उठाया गया है
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/ग्रेटर नोएडा
यूपीसीडा के गौतमबुद्धनगर में आसित्व पर सवाल उठाए गए है। गौतमबुद्धनगर एक ऐसा जिला है जहां तीन तीन औद्योगिक विकास प्राधिकरण है, फिर यहां यूपीसीडा जैसी निकाय की क्या जरूरत है। गौतमबुद्धनगर के सूरजपुर और कासना क्षेत्र में यूपीसीडा आवासीय और औद्योगिक सेक्टरों के विकास और रखरखाव की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं। किंतु यूपीसीडा के अंतर्गत आने वाले सेक्टरों के आवंटी मैंटीनेंस, रजिस्ट्री, ट्रांसफर और कई जरूरी कामों में करप्शन को लेकर आवाज बुलंद करते रहे हैं। सूरजपुर क्षेत्र में कई आवासीय सोसाटियों में रहने वाले लोग इन तमाम सुविधाओं लेकर शासन प्रशासन तक अपनी मांग उठाते रहे हैं। यूपीसीडा का रीजनल ऑफिस कासना में हैं। यूपीसीडा के अफसर ज्यादातर कानपुर ऑफिस से ही अप्रूवल मिल जाने का ठीकरा फोडते हुए अपनी जिम्मेदारियो से पल्ला झाडते हुए देखे जाते हैं। यही वजह है कि अब गौतमबुद्धनगर जिले में यूपीसीडा के आसित्व पर सवाल उठाया गया है। गौतमबुद्धनगर जनपद के दीवानी एंव फौजदारी बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष संजीव वर्मा एडवोकेट ने भी मांग उठाई है कि गौतमबुद्धनगर जनपद में अब यूपीसीडा की न तो कोई जरूरत है और न ही कोई औचित्य जान पडता है। उन्होंने ’’विजन लाइव’’ से बातचीत में साफ किया है कि गौतमबुद्धनगर जनपद ऐसा जनपद है जहां पर 3-3 औद्योगिक विकास प्राधिकरण है और वहीं कुछ ऐरिया बुलंदशहर खुर्जा विकास प्राधिकरण में भी आता है। यूपीसीडा की स्थापना उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा औद्योगिक विकास को बढावा देने की गरज से की गई थी। जिले में काफी पहले सूरजपुर और कासना में औद्योगिक विकास को बढावा देने के लिए यूपीसीडा आ गई थी। किंतु नोएडा, ग्रेटर नोएडा और अब यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरणों ने जिले को पहले पायदान पर पहुंचा दिया है, इनके मुकाबले यूपीसीडा कहीं भी नही टिकती है। इन विकास प्राधिकरणों के मुकाबले कोई भी कार्य यूपीसीडा में कछुवा चाल से होता है। सेक्टरों के आवंटी मैंटीनेंस, रजिस्ट्री, ट्रांसफर और कई जरूरी कामों को लेकर इधर उधर भटकते रहते हैं। करप्शन ही एक ऐसा मुद्दा है कि यहां हर मामले को लेकर अफसर कानपुर यूपीसीडा से अप्रूवल मिल जाने की बात कहते हुए पल्ला झाडते हुए देखे जाते है।
उन्होंने सवाल के जवाब में बताया कि यूपीसीडा के सूरजपुर में ही एक 300 मीटर का प्लाट है जिसकी रजिस्ट्री तक के लिए यों ही पसीने बहाने पड रहे हैं। इसलिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री महंत योगी आदित्यनाथ को चाहिए कि गौतमबुद्धनगर से यूपीसीडा के आसित्व को खत्म कर कासना और सूरजपुर के इन सारे सेक्टरों को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के तहत लाया जाना चाहिए, ताकि तेजी से विकास कार्य हो सकें। नोएडा हो या फिर ग्रेटर नोएडा और यमुना प्रधिकरण यहां कई कई आईएएस अफसर है और हर कार्य सुनियोजित तरीके से भी होता है।