ग्रेटर नोएडा में बाढ़ का तांडव : कासना में हजारों बीघा फसल बर्बाद


🌊 ग्रेटर नोएडा में बाढ़ का तांडव : कासना के खेत डूबे, किसानों की मेहनत पर पानी, अब मुआवज़े की आस

मौहम्मद इल्यास-“दनकौरी”/ ग्रेटर नोएडा
गौतम बुध नगर के कासना और आसपास के गांवों में बाढ़ का पानी खेतों तक घुस आया है। खेतों में खड़ी ज्वार, बाजरा और मूंजी की लहलहाती फसलें अब कीचड़ और पानी में समा गई हैं। किसान खेतों के किनारे खड़े होकर अपनी मेहनत को बर्बाद होता देख आंसू बहा रहे हैं। यह नजारा किसानों की बेबसी और लाचारी की तस्वीर बयान करता है।


खेतों से उठी सिसकियाँ

शनिवार सुबह जब रिपोर्टर खेतों में पहुंचे तो चारों तरफ पानी ही पानी फैला था। खेतों में हरे-भरे पौधों की जगह सिर्फ बाढ़ का गंदा पानी दिखाई दिया।
किसान वेद प्रकाश खेत के किनारे खड़े थे। आंखों में आंसू थे, गला भर्रा गया। उन्होंने रोते हुए कहा –
“साहब, इस फसल पर हमनें दिन-रात मेहनत की थी। बच्चों की पढ़ाई, घर का खर्चा सब कुछ इसी पर टिका था। अब सब खत्म हो गया। हम किसान खून के आंसू रो रहे हैं।”


मजदूरों की भी टूटी कमर

खेती करने वाले मजदूर सोरन सिंह ने कहा –
“हम किसान की मजदूरी पर जीते हैं। जब फसल ही नहीं बचेगी तो मजदूरी कहां से मिलेगी? अब तो परिवार पालना भी मुश्किल हो जाएगा।”
उनके चेहरे पर डर साफ झलक रहा था।


शौकत अली चेची का दर्द

तुगलपुर हल्दोना गांव निवासी चौधरी शौकत अली चेची, जो किसान एकता संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं, अपने खेत दिखाते हुए बोले –
“देखिए साहब, सैकड़ों बीघा मूंजी की फसल पानी में डूब गई। यह केवल मेरी नहीं, यहां हर किसान की यही हालत है। सरकार को चाहिए कि तुरंत सर्वे कराए और मुआवजा दिलवाए। वरना किसान पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे।”


2023 की चोट फिर ताज़ा

ग्रामीण याद करते हैं कि वर्ष 2023 में भी यही हालात बने थे। तब भी किसानों की हजारों बीघा फसल बर्बाद हुई थी। लेकिन स्थायी समाधान के नाम पर आज तक कुछ नहीं हुआ।
किसान सवाल उठा रहे हैं – “जब हर साल यही तबाही होती है तो प्रशासन क्यों हाथ पर हाथ धरे बैठा रहता है?”


करोड़ों का नुकसान, भविष्य संकट में

स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार केवल कासना-चाईफाई इलाके में ही हजारों बीघा फसल बर्बाद हो चुकी है। नुकसान करोड़ों रुपये का है। किसान अब बैंक की किस्तें, बच्चों की फीस और घर के खर्च को लेकर चिंतित हैं।


प्रशासन से गुहार

किसानों ने सरकार और प्रशासन से अपील की है कि जल्दी से जल्दी नुकसान का आकलन कराया जाए और उचित मुआवज़ा दिलाया जाए। साथ ही उन्होंने यह भी मांग की कि बाढ़ से बचाव के लिए स्थायी समाधान निकाला जाए ताकि हर साल यह त्रासदी दोहराई न जाए।


👉 खेतों में खड़े किसानों की आंखों से बहते आंसू यह कहने के लिए काफी हैं कि बाढ़ केवल फसल ही नहीं डुबोती, बल्कि किसान की उम्मीदें, उसका भविष्य और उसके बच्चों के सपने भी बहा ले जाती है।


✍️ ग्राउंड रिपोर्ट : मौहम्मद इल्यास ‘दनकौरी’, ग्रेटर नोएडा


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate

can't copy