इंडिया गठबंधन के घटक दल सपा प्रत्याशी राहुल अवाना इस लोकसभा चुनाव को किस तेजी से उठा पाते है, जब कि नामांकन प्रक्रिया शुरू होने में भी महज एक सप्ताह ही शेष रह गया है
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/गौतमबुद्धनगर
गौतमबुद्धनगर लोकसभा का इतिहास ही ऐसा रहा है कि यहां या तो प्रत्याशी चुनाव छोड कर भाग खडे होते है या फिर पूरे मन से चुनाव नही लड पाते। ऐसा बसपा और भाजपा के बाद यहां अक्सर होता रहा है। गौतमबुद्धनगर लोकसभा जब पहली बार बनी तो यहां डा0 महेश शर्मा और सुरेंद्र सिंह नागर, आमने सामने चुनाव लडे थे।
इनमें डा0 महेश शर्मा भाजपा प्रत्याशी के तौर पर तो वहीं सुरेंद्र सिंह नागर बसपा प्रत्याशी के तौर पर। इस पहले चुनाव में डा0 महेश शर्मा और सुरेंद्र सिंह नागर पूरी शिद्दत से चुनाव लडे थे। मगर दूसरी बार कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में प्रो0 रमेश चंद्र तोमर चुनाव के दौरान भाग खडे हुए। आखिर मुकाबला सपा के नरेंद्र सिंह भाटी और डा0 महेश शर्मा के बीच ही हुआ। कामयाबी फिर डा0 महेश शर्मा के हाथ लगी। वर्ष 2019 में फिर डा0 महेश शर्मा के सामने बसपा से सतवीर नागर चुनाव लडे। बसपा प्रत्याशी सतवीर नागर भी पूरे मन से चुनाव नही लड पाए और फिर डा0 महेश शर्मा गौतमबुद्धनगर के सांसद चुन लिए गए। इस बार तो हाल ही कुछ ऐसा है कि प्रत्याशियों के टिकने की बात कहां। गौतमबुद्धनगर से पूर्व केंद्रीय मंत्री व दो बार के सांसद डा0 महेश शर्मा भाजपा प्रत्याशी के रूप में हर रोज क्षेत्र के दर्जनों गांवों में तूफानी दौरा कर रहे हैं। वहीं विपक्ष अभी गहरी नींद सोया हुआ है। बसपा अभी तक प्रत्याशी घोषित नही कर पाई है। सपा ने ले देकर डा0 महेंद्र नागर को चुनाव मैदान में उतारा तो वह भी अनमने मन से। टिकट की घोषणा होने के दो दिन बाद तक डा0 महेंद्र नागर महज सपाईयों के साथ बैठक ही कर पाए, गांवों में जनता के बीच जाना तो दूर रहा। सूत्रों की मानें तो बस यही बात सपा हाईकमान को खटक गई कि कछुवा चाल से धीमा रवैया क्या गौतमबुद्धनगर में सपा की साख को बचाएगा पाएगा ? उधर सपाईयों का एक गुट लखनउ जाकर डट गया। सपा सूत्रों का दावा है कि सपा हाईकमान को समझाया गया कि पूर्व केंद्रीय मंत्री व दो बार के सांसद डा0 महेश शर्मा को हराना हंसी खेल नही है। गौतमबुद्धनगर से ऐसा प्रत्याशी चाहिए जो युवा हो और चुनाव को आंधी की तरह उठा दें ताकि लोगों को अहसास हो सके कि भाजपा के सामने यदि कोई है तो वह है सपा। फिर क्या था, सपा हाईकमान अखिलेश यादव को यह उक्ति सूझ गई और झट से डा0 महेंद्र नागर का टिकट काट नोएडा निवासी और युवा के सोच के राहुल अवाना को प्रत्याशी घोषित कर दिया गया। सपा ने राहुल अवाना पर दांव तो लगा दिया है। उधर डा0 महेंद्र नागर का टिकट कटने से गुर्जरों के नागर गोत्र में नाराजगी भी होना लाजिमी है। यहां नागर और भाटी गोत्र ऐसे हैं जिनकी संख्या बहुतयात है। जब कि अवाना गोत्र के गुर्जरों की संख्या नोएडा क्षेत्र में ज्यादा है।
राहुल अवाना नोएडा क्षेत्र के असगरपुर गांव के रहने वाले बताए हैं जो कि अवाना गोत्र से आते हैं। अब देखना है कि इंडिया गठबंधन के घटक दल सपा प्रत्याशी राहुल अवाना इस लोकसभा चुनाव को किस तेजी से उठा पाते है, जब कि नामांकन प्रक्रिया शुरू होने में भी महज एक सप्ताह ही शेष रह चुका है। नोएडा ही नही बल्कि गौतमबुद्धनगर लोकसभा का विशाल क्षेत्र खुर्जा तक फैला हुआ है। जिले की नोएडा, दादरी और जेवर विधानसभा क्षेत्रों के अलावा बुलंदशहर जिले की सिकंद्रबाद और खुर्जा विधानसभाएं भी गौतमबुद्धनगर लोकसभा क्षेत्र का अभिन्न अंग हैं।