एपीजे अब्दुल कलाम ने सफल मिसाइल बनाई और मिसाइल मैन की उपाधि मिली एवं उन सफलताओं में अग्नि भी शामिल थी, जो भारत की पहली मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल थी, जिसमें एसएलवी.प्प्प् के पहलुओं को शामिल किया गया, जिसे 1989 में लॉन्च किया गया था
चौधरी शौकत अली चेची
भारत के पूर्व राष्ट्रपति एवं परमाणु वैज्ञानिक मिसाइल मैन का जन्म 15 अक्टूबर, 1931, तमिलनाडु रामेश्वरम शहर मे हुआ। डॉ0 एपीजे अब्दुल कलाम साधारण परिवार पृष्ठभूमि से थे, उनके पिता जैनुलाबुद्दीन एक नाव के मालिक थे और उनकी मां आशिअम्मा एक ग्रहणी थी। डॉ0 एपीजे अब्दुल कलाम का पूरा नाम अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था। एपीजे कलाम ने 1954 में तिरुचिरापल्ली से भौतिक में स्नातक की डिग्री हासिल की और मद्रास इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की। इनका निधन 27 जुलाई, 2015, शिलांग में हुआ, वह एक भारतीय वैज्ञानिक और राष्ट्रीय राजनीतिज्ञ थे। जिन्होंने भारत के मिसाइल व परमाणु हथियार कार्यक्रमों के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई थी। वर्ष 2002 से 2007 तक 11 वे भारत के राष्ट्रपति रहे थे। 1958 में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन-डीआरडीओ- में शामिल हो गए। 1969 में वे मद्रास में जाकर अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन परियोजना निदेशक थे। एसएलवी.प्प्प्, पहला उपग्रह प्रक्षेपण यान था जिसे भारत में ही डिजाइन और निर्मित किया गया था। 1982 में डीआरडीओ में फिर से शामिल होकर एपीजे अब्दुल कलाम ने सफल मिसाइल बनाई और मिसाइल मैन की उपाधि मिली एवं उन सफलताओं में अग्नि भी शामिल थी, जो भारत की पहली मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल थी, जिसमें एसएलवी.प्प्प् के पहलुओं को शामिल किया गया, जिसे 1989 में लॉन्च किया गया था।
भारत अन्वेषण प्रश्नोत्तरी
1992 से 1997 तक कलाम रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार थे और बाद में उन्होंने कैबिनेट मंत्री के पद के साथ सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार (1999.2001) के रूप में कार्य किया। देश के 1998 के परमाणु हथियार परीक्षणों में उनकी प्रमुख भूमिका ने भारत को एक परमाणु शक्ति के रूप में मजबूत किया और कलाम को एक राष्ट्रीय नायक के रूप में जाना गया। 1998 में कलाम ने एक देशव्यापी योजना पेश की जिसका नाम थाटेक्नोलॉजी विज़न 2020, जिसे उन्होंने 20 वर्षों में भारत को विकसित से विकसित समाज में बदलने के लिए एक रोड मैप के रूप में वर्णित किया। इस योजना में अन्य उपायों के अलावा, कृषि उत्पादकता बढ़ाने, आर्थिक विकास के लिए एक वाहन के रूप में प्रौद्योगिकी पर जोर देने और स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा तक पहुँच को व्यापक बनाने की बात कही गई।
डॉ0 ए.पी.जे. अब्दुल कलाम नागरिक जीवन में भारत को एक विकसित देश में बदलने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध रहे और कई विश्वविद्यालयों में व्याख्याता के रूप में कार्य किया। 27 जुलाई, 2015 को, भारतीय प्रबंधन संस्थान आईआईएम. शिलांग में व्याख्यान देते समय वे बेहोश हो गए और कुछ ही समय बाद हृदयाघात के कारण उनका निधन हो गया। कलाम ने कई किताबें लिखीं, जिनमें एक आत्मकथा, विंग्स ऑफ़ फ़ायर, 1999, भी शामिल है। उन्हें अनेकों पुरस्कार मिले जिनमें देश के दो सर्वोच्च सम्मान, पद्म विभूषण 1990 एवं भारत रत्न 1997 शामिल है। डॉ0 एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर सत सत नमन।
लेखकः-चौधरी शौकत अली चेची, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भाकियू (अंबावता) एवं पिछड़ा वर्ग उ0 प्र0 सचिव सपा हैं।