आरटीआई_खुलासा:– वर्ष 2019 से लेकर अक्टूबर 2024 तक 789 हादसे हुए जिनमें 625 मौतें हुईं
गौतम बुध नगर के नोएडा- ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस हाईवे पर वर्ष 2019 से लेकर अक्टूबर 2024 तक 789 हादसे हुए जिनमें 625 मौतें हुईं हैं। जो बेहद त्रासदी जनक है न केवल पीड़ित परिवारों के लिए समाज व राष्ट्र के लिए भी ।
मेरे द्वारा 4 बिन्दुओं पर दायर आईटीआई से यह जानकारी नोएडा पुलिस कमिश्नरेट से निकल कर आयी है।
400 से अधिक मौत उपरोक्त 5 वर्ष की अवधि में अकेले यमुना एक्सप्रेस वे हाईवे पर हुई है। यह हादसे रबुपुरा जेवर दनकौर थाना क्षेत्र के अंतर्गत हुए हैं आरटीआई में जो जानकारी निकाल कर आई है तीनों ही थानों के द्वारा अपने-अपने क्षेत्राधिकार में कोई भी दुर्घटना संभावित क्षेत्र ब्लैक स्पॉट चिन्हित नहीं किया गया है। केवल सेक्टर 39 थाना ने सेक्टर 96 का कट महामाया फ्लाईओवर सेक्टर 37 मोड़ दो ब्लैक स्पॉट चिन्हित किये है।
जबकि समय-समय पर रोड हादसों के जानकार विशेषज्ञ कह चुके हैं कि यमुना एक्सप्रेस वे की ड्राइंग व रोड की सरफेस में कुछ खामी है जो इसे उत्तर भारत का सर्वाधिक खूनी हाईवे बनाता है। इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए जिम्मेदार यमुना ,ग्रेटर नोएडा नोएडा प्राधिकरण क्या कर रहे हैं?
जापान ,सिंगापुर या किसी पश्चिमी देश में ऐसे होता तो अब तक जिम्मेदार अधिकारियों पर गैर इरादातन ही नहीं इरादतन हत्या का अभियोग लग जाता ऐसा वहां अनेक बार हुआ भी है ऐसे में सड़क हादसों की दर उन देशों में बहुत कम हो गई है । कुछ देशों ने तो शून्य दर को हासिल कर लिया है,सड़क के निर्माण की तकनीकी खामी के कारण होने वाले हादसों के मामले में। लेकिन हमारे यहां अभी भी खुनी सड़कों के कारण घरों के चिराग बुझ रहे हैं।
इतना ही नहीं नोएडा पुलिस कमिश्नरेट के दो दर्जन से अधिक थानों में से थाना सेक्टर 39 सेक्टर 126 सेक्टर 24 सेक्टर 58 सेक्टर 49 फेस टू थाना बादलपुर बीटा सेकंड थाना नॉलेज पार्क कासना आदि ने अपने-अपने थाना क्षेत्र के अंतर्गत जनपद गौतम बुद्ध में सड़क हादसों की रोकथाम के लिए उनकी क्या कार्य योजना वर्क प्लान है उसकी कोई जानकारी नहीं दी है हादसों की रोकथाम के लिए किए गए प्रयासों के भी कोई जानकारी नहीं दी हैं।
में सड़क हादसों को भी कानून व्यवस्था का ही विषय मानता हूं। हादसों की रोकथाम के लिए नोएडा पुलिस कमिश्नरेट को कमर कसनी होगी हाईवे से लगते हुए थानों को विशेष संसाधन उपलब्ध कराने पड़ेंगे जो अभी नजर नहीं आ रहा है।
आरटीआई से हासिल जानकारी को दस्तावेजों के साथ में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय, गृह मंत्रालय को नागरिक प्रत्यावेदन के रूप में भेज रहा हूं। जिससे कोई बेहतर कार्य योजना बना सके सबसे ज्यादा जरूरी है ऐसी किसी योजना की सफल क्रियान्विति।
लेखक:– आर्य सागर खारी, आरटीआई कार्यकर्ता ,सामाजिक चिंतक और विचारक हैं।