
“गोरखपुर में रिश्वत के एवज में 13 लोगों को हुआ एड्स?” — सोशल मीडिया पर वायरल खबर ने खड़े किए कई सवाल
धर्मपाल सिंह एडवोकेट ने की सरकार और महिला आयोग से निष्पक्ष जांच की मांग

मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/ गौतमबुद्धनगर
सोशल मीडिया पर पिछले कुछ दिनों से एक चौंकाने वाली खबर तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के भटहट ब्लॉक में “राशन कार्ड और विधवा पेंशन बनवाने के नाम पर रिश्वत लेने वाले 13 लोग एड्स के शिकार हो गए।” खबर के साथ कुछ अखबारों की पुरानी कतरनें भी साझा की जा रही हैं, जिनमें यह पूरा घटनाक्रम “रिश्वत खाकर 13 को हुआ एड्स” शीर्षक के साथ छपा बताया जा रहा है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर यह मुद्दा उठाते हुए भारत मुक्ति मोर्चा के उत्तर प्रदेश उपाध्यक्ष और गौतम बुद्ध नगर के अधिवक्ता धर्मपाल सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गोरखपुर पुलिस, राष्ट्रीय महिला आयोग और समाजवादी पार्टी को टैग करते हुए मांग की है कि यदि ऐसी घटना वास्तव में हुई है तो दोषियों के खिलाफ सख्त और पारदर्शी कार्रवाई की जाए।
“रूह कांप जाती है ऐसी घटनाओं को सुनकर। क्या उन 13 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया?”
— धर्मपाल सिंह एडवोकेट (@DPSingh_Advgbn)

वायरल पोस्ट ने खड़ा किया सत्यता का प्रश्न
जांच में सामने आया है कि इस खबर का कुछ अंश वर्ष 2018 के दौरान भी सोशल मीडिया पर प्रसारित हुआ था। उस समय भी कई वेबसाइट्स और यूट्यूब चैनलों ने इसे “भ्रष्टाचार की सजा” या “गोरखपुर का कलंक” जैसे शीर्षकों से प्रकाशित किया था। हालांकि, सरकारी अभिलेखों और स्थानीय पुलिस रिकॉर्ड में अब तक इस तरह की किसी घटना की पुष्टि नहीं मिली है।
स्थानीय पत्रकारों के अनुसार, भटहट ब्लॉक के जिन नामों और घटनाक्रमों का जिक्र वायरल पोस्ट में किया गया है, उनकी तिथि और पात्रों को लेकर कई तरह के विरोधाभास हैं।

धर्मपाल सिंह की मांग — “अगर घटना सही है, तो हो कठोर कार्रवाई”
धर्मपाल सिंह एडवोकेट ने कहा कि “ऐसी खबरें समाज के लिए चेतावनी हैं — यदि यह घटना वास्तविक है तो यह न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही है, बल्कि मानवीय संवेदनहीनता की चरम सीमा है। सरकार को तत्काल जांच बैठानी चाहिए और यदि यह अफवाह है तो उसका भी खंडन किया जाए ताकि जनता को सही जानकारी मिल सके।”
पुलिस और प्रशासन का रुख अस्पष्ट
गोरखपुर पुलिस की ओर से फिलहाल इस वायरल दावे पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, पुलिस साइबर टीम वायरल पोस्टों की सत्यता की जांच कर रही है।

पत्रकारिकीय दृष्टिकोण से आवश्यक तथ्य-जांच
यह मामला सोशल मीडिया पर फैली संवेदनशील सामग्री की सच्चाई की जांच और प्रशासनिक प्रतिक्रिया के बीच संतुलन की अहमियत को उजागर करता है। यदि घटना वास्तविक है तो यह भ्रष्टाचार और शोषण की भयावह मिसाल है, और यदि अफवाह है तो यह समाज में भय और अविश्वास फैलाने का गंभीर उदाहरण बन सकता है।

सोशल मीडिया पर वायरल “गोरखपुर एड्स प्रकरण” फिलहाल संदेहास्पद:- एडवोकेट धर्मपाल सिंह
सोशल मीडिया पर वायरल “गोरखपुर एड्स प्रकरण” फिलहाल संदेह के घेरे में है। एडवोकेट धर्मपाल सिंह द्वारा उठाई गई मांग ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि क्या प्रशासन ऐसे मामलों में स्वतः संज्ञान लेकर तथ्यात्मक सत्यता की जांच करेगा, या फिर यह भी किसी “वायरल अफवाह” की तरह समय के साथ धुंधला हो जाएगा।