
✨ दास्तान-ए-कर्बला (पार्ट-1): इमाम हुसैन की पैदाइश तक
इस्लाम के इतिहास की सबसे प्रेरणादायक और मार्मिक गाथा कर्बला केवल एक युद्ध नहीं, बल्कि सत्य और अन्याय, धर्म और सत्ता, त्याग और लोभ के बीच लड़ी गई एक ऐसी जंग थी, जिसने इंसानियत को हमेशा के लिए झकझोर दिया।
🕌 हजरत अली और फातिमा ज़हरा: एक आदर्श जोड़ी
इस कहानी की शुरुआत होती है हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बेटी हजरत फातिमा ज़हरा और उनके चचेरे भाई हजरत अली इब्न अबी तालिब से। यह जोड़ी इस्लाम की बुनियादी आत्मा की प्रतीक थी। हजरत अली, जो बाद में इस्लाम के चौथे खलीफा बने, ने जीवन भर धर्म, ईमान और इंसाफ की राह पर चलकर इस्लामी समाज को नई दिशा दी।
👶 इमाम हसन और इमाम हुसैन का जन्म
इस पवित्र दंपत्ति को दो बेटे हुए—इमाम हसन और इमाम हुसैन। इमाम हुसैन का जन्म 3 शाबान, 4 हिजरी (लगभग 626 ईस्वी) को मदीना शरीफ में हुआ। पैगंबर मोहम्मद साहब को इन दोनों नवासों से अत्यधिक स्नेह था। उन्होंने कहा:
“हसन और हुसैन मेरे जन्नती फूल हैं।”
🏛 खिलाफत का आरंभ और मुआविया का उदय
पैगंबर की वफात के बाद चार प्रमुख खलीफा चुने गए। चौथे खलीफा हजरत अली के शासनकाल में इस्लामिक राजनीति में तनाव उत्पन्न हुआ। मुआविया इब्न अबू सुफियान, जो दमिश्क (सीरिया) का गवर्नर था, हजरत अली के खिलाफ खड़ा हो गया। सत्ता की इस जंग ने इस्लामी समाज को दो भागों में बाँट दिया।
⚔ हजरत अली की शहादत और इमाम हसन का समझौता
661 ईस्वी में कूफा की मस्जिद में नमाज के दौरान हजरत अली की हत्या कर दी गई। इसके बाद इमाम हसन खलीफा बने, लेकिन टकराव से बचने के लिए उन्होंने मुआविया से शांति समझौता कर लिया, जिसमें यह तय हुआ कि मुआविया के बाद खिलाफत इमाम हसन को सौंपी जाएगी।
👑 यजीद का सत्ता हथियाना
मुआविया ने समझौते को तोड़ते हुए अपने बेटे यजीद को खलीफा बना दिया। यजीद का आचरण इस्लामिक सिद्धांतों के विपरीत था — वह अत्याचार, शराब और दमनकारी नीतियों का प्रतीक बन चुका था।

🚫 हुसैन का बेअत से इनकार
यजीद ने सत्ता में आते ही सभी से अपनी बैअत (समर्थन की शपथ) लेना शुरू किया, लेकिन इमाम हुसैन ने साफ इनकार कर दिया। वे जानते थे कि यजीद की सत्ता को स्वीकार करना इस्लाम की आत्मा को कुचलने जैसा होगा।
यहीं से शुरू हुई वह ऐतिहासिक जंग जिसकी परिणति कर्बला के रेगिस्तान में एक अमर बलिदान में हुई।
📚 कानूनी डिस्क्लेमर
नोट::—- उपरोक्त जानकारी इस्लामी ऐतिहासिक स्रोतों, धार्मिक पुस्तकों और मान्य व्याख्याओं पर आधारित है। विजन लाइव न्यूज़ इस विवरण की सत्यता या किसी धार्मिक मतभेद के लिए उत्तरदायी नहीं है। यह लेख केवल ऐतिहासिक और शैक्षिक उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है।
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पढ़िए जल्द ही: दास्तान-ए-कर्बला (पार्ट-2): कर्बला की ओर सफर