गलत बिजली बिल से जूझ रही है, दनकौर की महिला, एक साल से सुनवाई नहीं

 

गलत बिजली बिल से जूझ रही है, दनकौर की महिला, एक साल से सुनवाई नहीं– बिजली विभाग की लापरवाही के खिलाफ मुख्यमंत्री से लगाई गुहार

मौहम्मद इल्यास “दनकौरी” / गौतमबुद्धनगर
दनकौर क्षेत्र की तुलसी नगर निवासी सुनीता देवी पत्नी राधेश्याम बीते एक वर्ष से बिजली विभाग की लापरवाही का शिकार हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि घरेलू कनेक्शन (अकाउंट नंबर 0823894000) के बावजूद उन्हें ₹33,266 की वास्तविक देनदारी के स्थान पर ₹5,19,039 का फर्जी बिल भेज दिया गया है। कई बार शिकायत के बावजूद विभाग ने न तो बिल संशोधित किया, न ही सही आख्या दी।

सुनीता देवी का कहना है कि वे आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं और इतनी बड़ी धनराशि जमा कर पाना उनके लिए संभव नहीं है। उन्होंने इस विषय में लगातार विभागीय अधिकारियों से संपर्क किया, आईजीआरएस पोर्टल पर चार शिकायतें दर्ज कीं (संख्या: 40014124031972, 40014124029253, 40014124025311, 40014124019049), लेकिन हर बार विभाग ने झूठी रिपोर्ट देकर शिकायतों को खारिज कर दिया।

झूठी रिपोर्ट और विभागीय टालमटोल का आरोप
दिनांक 08 जनवरी 2025 को जारी अधिशासी अभियंता के पत्रांक-5672 में स्वीकार किया गया कि तकनीकी खामी के कारण बिल संशोधन नहीं हो पाया है और मामला डाटा सेंटर, लखनऊ को भेज दिया गया है। साथ ही यह भी कहा गया कि उपभोक्ता को फिलहाल ऑफलाइन बिल उपलब्ध करा दिया गया है ताकि अधिभार का अतिरिक्त भार न पड़े। लेकिन 30 अप्रैल 2025 तक भी न तो बिल ऑनलाइन संशोधित हुआ और न ही किसी प्रभावी कार्रवाई की गई।

मुख्यमंत्री को पत्र, दोषियों पर कार्रवाई की मांग
सुनीता देवी ने डाक के माध्यम से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, ऊर्जा मंत्रालय, प्रबंध निदेशक पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड मेरठ, और यूपी पावर कॉरपोरेशन लखनऊ को पत्र भेजकर मामले की निष्पक्ष जांच और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने अनुरोध किया है कि जब तक बिल सही नहीं किया जाता, तब तक उनके विद्युत कनेक्शन को न काटा जाए।

बिल माफी योजना से भी वंचित होने का खतरा
सुनीता देवी ने चिंता जताई है कि अगर समय रहते बिल संशोधित नहीं किया गया तो वे वर्तमान में लागू बिजली बिल माफी योजना का लाभ नहीं उठा पाएंगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक ऑनलाइन संशोधित बिल उपलब्ध नहीं होता, तब तक वे भुगतान नहीं कर सकतीं।

न्याय के लिए  न्यायालय जाने को भी मजबूर

स्थानीय प्रतिनिधियों और समाजसेवियों से न्याय की अपील
पीड़िता ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों से भी इस मामले में हस्तक्षेप कर न्याय दिलाने की अपील की है। उनका कहना है कि अब वे न्याय के लिए  न्यायालय जाने को भी मजबूर हो सकती हैं।

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