
मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/ गौतमबुद्धनगर
दलित युवक अनिकेत जाटव की हत्या मामले को लेकर प्रदेश में राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर रोष बढ़ता जा रहा है। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री अजय राय के निर्देश पर शुक्रवार को कांग्रेस का उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल रबूपुरा पहुंचा और पीड़ित परिवार से मुलाकात कर ढांढस बंधाया। दल ने घटना को सामाजिक न्याय प्रणाली पर गंभीर हमला बताते हुए इसे कानून-व्यवस्था की गम्भीर विफलता करार दिया।

कांग्रेस ने उठाए संवैधानिक मुद्दे
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि यह घटना संविधान में निहित अनुच्छेद 15, 17 और 21 के मूलभावना का उल्लंघन प्रतीत होती है, जिनमें समानता, अस्पृश्यता उन्मूलन और जीवन-स्वतंत्रता की गारंटी दी गई है। दलित युवक की हत्या पर दल ने प्रशासन से यह सुनिश्चित करने की माँग की कि SC-ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत त्वरित धाराएं लागू हों और पीड़ित परिवार को अधिनियम के तहत निर्धारित सुरक्षा एवं मुआवजा मिल सके।
नेताओं ने की तीखी प्रतिक्रिया
पूर्व विधायक गजराज सिंह ने घटना को समाज की सामूहिक संवेदना और न्याय व्यवस्था पर कलंक बताया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटनाएँ प्रदेश में कमजोर वर्गों के प्रति बढ़ती असुरक्षा को दर्शाती हैं।
जिला अध्यक्ष दीपक भाटी चोटीवाला ने प्रशासनिक निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब प्रदेश के मुख्यमंत्री लगातार जिले का दौरा कर रहे हैं, फिर भी अपराध नियंत्रण में विफलता चिंताजनक है। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता-पोषित संरचनाएँ जातीय पक्षपात को बढ़ावा दे रही हैं और selective action का वातावरण बना है। कांग्रेस ने स्पष्ट कहा कि उसकी प्रतिबद्धता संविधान और विधि के शासन के प्रति है, न कि राजनीतिक प्रतिशोध या दमन नीति के प्रति।

कानूनी प्रक्रिया और जांच की माँग
प्रतिनिधिमंडल ने स्थानीय पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात कर निम्न माँगें रखीं:
- सभी आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी
- SIT अथवा उच्चस्तरीय न्यायिक जांच
- परिवार को शासन-निर्धारित आर्थिक सहायता
- सरकारी सुरक्षा और कानूनी मदद
- पुलिस की भूमिका और देरी की समीक्षा
कांग्रेस ने कहा कि यदि निर्धारित समय पर कार्रवाई नहीं होती है, तो पार्टी इसे विधानसभा व संसद स्तर पर उठाएगी और प्रदेश-व्यापी जनआंदोलन का विकल्प भी खुला रखेगी।

सोशल-जस्टिस और ह्यूमन-राइट्स फ्रेमवर्क पर फोकस
विशेषज्ञों के अनुसार, यह मामला केवल आपराधिक घटना नहीं, बल्कि सिस्टमिक डिस्क्रिमिनेशन, कास्ट-बायस्ड वायलेंस, और ह्यूमन राइट्स वायलेशन के पैटर्न में फिट होता है। दल ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के संज्ञान की भी संभाव्यता जताई।
कांग्रेस की आगामी रणनीति
प्रतिनिधिमंडल ने घोषणा की कि विस्तृत रिपोर्ट पार्टी हाईकमान को सौंपी जाएगी और पीड़ित परिवार को न्याय मिलने तक निरंतर फॉलो-अप रखा जाएगा।
विश्लेषण: क्यों संवेदनशील है यह मामला
पहलू विवरण कानूनी SC-ST एक्ट, IPC की गम्भीर धाराएँ, कानूनी सुरक्षा अधिकार सामाजिक दलित सुरक्षा, सामाजिक न्याय, भेदभाव व हिंसा रोकथाम प्रशासनिक पुलिस का त्वरित हस्तक्षेप, आरोपियों की गिरफ्तारी, जांच की पारदर्शिता राजनीतिक विपक्ष की जवाबदेही, कानून-व्यवस्था पर सरकार की छवि

विजन लाइव का विश्लेषण
रबूपुरा प्रकरण उत्तर प्रदेश में दलित अधिकार, कानून-व्यवस्था और राज्य की जवाबदेही पर गम्भीर प्रश्न उठाता है। कांग्रेस ने स्पष्ट संकेत दिया है कि न्याय प्रक्रिया में देरी या पक्षपात की स्थिति में संघर्ष को व्यापक रूप दिया जाएगा।