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जन्मजात हृदय रोग (सीएचडी) जागरूकता सप्ताह पर विशेष
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मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/ग्रेटर नोएडा
जन्मजात हृदय रोग (सीएचडी) जागरूकता सप्ताह के अवसर पर इसकी शुरुआती पहचान, मातृ स्वास्थ्य और उन्नत इलाज की महत्ता को रेखांकित किया गया। भारत में हर साल लगभग दो लाख नवजात इस समस्या से प्रभावित होते हैं, जबकि उत्तर भारत में इसका प्रसार प्रति 1,000 जन्मों पर 8 बच्चों में देखा जाता है। इनमें वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (वीएसडी) सबसे आम प्रकार है। इस अवसर पर फोर्टिस हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा के विशेषज्ञों ने समय पर निदान और उपचार के महत्व पर प्रकाश डाला।
फोर्टिस, ग्रेटर नोएडा के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. शांतनु सिंघल ने बताया कि कई जन्मजात हृदय रोग नवजात अवस्था में पहचाने नहीं जाते, क्योंकि इनके लक्षण बहुत हल्के होते हैं। उन्होंने कहा, “थकान, सांस लेने में कठिनाई और शरीर में सूजन जैसे संकेत अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिए जाते हैं। नियमित इकोकार्डियोग्राफी और नवजात स्क्रीनिंग से इनका शीघ्र निदान संभव है। यदि पहले वर्ष में पहचान कर उचित इलाज किया जाए, तो बच्चा स्वस्थ जीवन जी सकता है।” उन्होंने यह भी बताया कि गर्भावस्था में समय पर निदान और विशेषज्ञ हृदय केंद्रों में रेफ़रल से सीएचडी से जुड़ी मृत्यु दर और विकलांगता दर को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
गर्भावस्था के दौरान कुछ प्रमुख कारक नवजातों में सीएचडी के खतरे को बढ़ा सकते हैं, जिनमें धूम्रपान, शराब का सेवन, हानिकारक रसायनों का संपर्क, अनियंत्रित मधुमेह और फोलिक एसिड की कमी शामिल हैं। इसके अलावा, परिवार में सीएचडी का इतिहास, अनुवांशिक समस्याएँ और डाउन सिंड्रोम भी जोखिम बढ़ा सकते हैं। विशेषज्ञों की सलाह है कि गर्भवती महिलाओं को संतुलित आहार, नियमित टीकाकरण, मधुमेह जैसी बीमारियों का प्रबंधन करने, तंबाकू व शराब से परहेज करने और पहली तिमाही के दौरान 400 माइक्रोग्राम फोलिक एसिड का सेवन करने की सिफ़ारिश की जाती है।
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भारत में सीएचडी के इलाज में सरकारी और निजी अस्पतालों ने बड़ी प्रगति की है। फोर्टिस, ग्रेटर नोएडा में एएसडी, वीएसडी और पीडीए के लिए उपकरण आधारित उपचार, संकीर्ण वाल्वों के लिए गुब्बारा प्रक्रियाएँ, जटिल हृदय सर्जरी और कंड्यूट निर्माण जैसी उन्नत प्रक्रियाएँ उपलब्ध हैं। पिछले कुछ वर्षों में बाल चिकित्सा हस्तक्षेपात्मक हृदय रोग विज्ञान में भी महत्वपूर्ण विकास हुआ है, जिसमें त्रि-आयामी (3डी) इमेजिंग, उन्नत कार्डियोपल्मोनरी बाईपास तकनीक और आधुनिक पश्च-शल्य चिकित्सा हृदय देखभाल शामिल हैं।
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समय पर जाँच और उचित इलाज से जन्मजात हृदय रोग से प्रभावित बच्चे सामान्य जीवन जी सकते हैं। फोर्टिस हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा इस दिशा में परिवारों को जागरूक करने और बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए संकल्पित है। यदि किसी बच्चे में जन्मजात हृदय रोग के लक्षण दिखें, तो जल्द से जल्द विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है।