जेवर एयरपोर्ट की कैलिब्रेशन फ्लाइट: अत्याधुनिक एवियोनिक्स टेस्टिंग और एयर नेविगेशन वैलिडेशन का सफल चरण

मौहम्मद इल्यास “दनकौरी” / यीडा सिटी

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, जेवर ने संचालन पूर्व एयरोनॉटिकल क्वालिफिकेशन के सबसे महत्वपूर्ण चरणों में से एक को पूरा कर लिया है। कैलिब्रेशन फ्लाइट की सफल पूर्णता ने यह प्रमाणित किया है कि एयरपोर्ट के नेविगेशनल एड्स, एयरफील्ड ग्राउंड सिस्टम्स और एयरस्पेस प्रबंधन अवसंरचना अंतरराष्ट्रीय विमानन मानकों के अनुरूप प्रदर्शन कर रहे हैं। यह प्रक्रिया हवाईअड्डे के तकनीकी प्रमाणन की दिशा में निर्णायक मानी जाती है, विशेषकर तब जब एयरपोर्ट कैटेगरी CAT-I ILS ऑपरेशंस के लिए तैयार हो रहा हो।

तकनीकी प्रणाली का वैधीकरण

कैलिब्रेशन फ्लाइट के दौरान निम्नलिखित टेक्निकल सिस्टम्स का आकलन किया गया: सिस्टम उद्देश्य परीक्षण बिंदु Instrument Landing System (ILS) कम दृश्यता में सटीक लैंडिंग सुविधा Localizer accuracy, Glide slope alignment DVOR/DME दिशा और दूरी आधारित नेविगेशन Bearing precision, Signal stability ATC Surveillance Radar यातायात प्रबंधन और एयरस्पेस सुरक्षा Tracking accuracy, Latency checks AGL Airfield Lighting नाइट और लो-विजिबिलिटी ऑपरेशंस Intensity uniformity, Approach path lighting Communication Radios (VHF/UHF) ग्राउंड-एयर कम्युनिकेशन Frequency clarity, Redundancy systems

विशेष मॉडिफाइड एवियोनिक्स और फ्लाइट इंस्पेक्शन सिस्टम (FIS) से लैस विमान द्वारा मल्टी-लेयर ऑर्बिटल पैटर्न, हेडिंग चेक्स, एप्रोच रन और मिस्ड एप्रोच ट्रायल्स संचालित किए गए। इस प्रक्रिया में सिग्नल टू नॉइज रेशियो, रिफ्लेक्शन इंटरफेरेंस, सेंसिटिविटी थ्रेशोल्ड्स और एरर मार्जिन सहित प्रत्येक पैरामीटर की विश्लेषणात्मक जांच शामिल रही।

एयरफील्ड इंफ्रास्ट्रक्चर और एयरस्पेस कॉन्फिगरेशन

जेवर एयरपोर्ट वर्तमान में सिंगल रनवे ऑपरेशन की कॉन्फिगरेशन के साथ कार्यान्वयन चरण में है, जहां:

• Runway Orientation: 12/30
• Runway Length: लगभग 3900 मीटर
• Navigation Category: CAT-I ILS operational readiness
• Taxiway Guidance System: Advanced Surface Movement Guidance and Control System (A-SMGCS) compatibility

एयरस्पेस प्रबंधन हेतु डिआर्क्टेड स्टैंडर्ड इन्स्ट्रूमेंट डिपार्चर (SID) और स्टैंडर्ड टर्मिनल अराइवल रूट्स (STAR) की फाइनल ट्यूनिंग भी इस परीक्षण के साथ सिंक्रनाइज़ की गई।

डेटा प्रोसेसिंग और अनुपालन

उड़ान के दौरान प्राप्त जीएनएसएस-आधारित डेटा लॉग्स को वास्तविक ग्राउंड सिस्टम पैरामीटर्स के साथ मिलान किया गया। ये प्रोसैस्ड लॉग्स बाद में नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) के निरीक्षण के उपरांत वैलिडेशन रिपोर्ट के रूप में संकलित किए जाएंगे। ICAO Annex 10 और FAA Part 171 मानकों के अनुसार एलाइनमेंट और सिग्नल इंटीग्रिटी की जांच अनिवार्य होती है।

राष्ट्रीय विमानन अवसंरचना में रणनीतिक महत्व

जेवर एयरपोर्ट की यह सफलता केवल हवाईअड्डे का ऑपरेशनल माइलस्टोन नहीं, बल्कि भारत के एविएशन ट्रांसफॉर्मेशन एजेंडा का सूचक है। यह परियोजना न केवल दिल्ली एनसीआर के एयर ट्रैफिक लोड को संतुलित करेगी, बल्कि एरोस्पेस लॉजिस्टिक्स, कार्गो हब, और MRO इकोसिस्टम के रूप में भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में नई स्थिति प्रदान करेगी।

अगले चरण

कैलिब्रेशन फ्लाइट के बाद निम्न चरण अपेक्षित हैं:

• DGCA ऑडिट और टेक्निकल क्लीयरेंस
• एरोनॉटिकल चार्ट्स का प्रकाशन (AIP Supplement)
• टेस्ट फ्लाइट्स और ट्रायल ऑपरेशंस
• कमर्शियल ऑपरेशन सर्टिफिकेशन (COA)

उपलब्ध संकेतों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नवंबर माह में उद्घाटन की संभावना और अधिक सुदृढ़ हो गई है।

जेवर एयरपोर्ट की यह सफलता भारत के विमानन मानचित्र में एक नए अध्याय का संकेत है, जहां तकनीकी दक्षता, वैश्विक मानक, और भविष्यवादी अवसंरचना एक साथ परिभाषित हो रही हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate

can't copy