
ग्रेटर नोएडा के निजी अस्पताल की बेसमेंट खुदाई में दबे सात श्रमिक, सफाई आयोग के सचिव की हिदायत के बाद हुआ हादसा
–राजेश बैरागी-
बीते कल सोमवार को गौतमबुद्धनगर जिला विकास भवन में राष्ट्रीय सफाई आयोग के सचिव राहुल कश्यप द्वारा सभी स्थानीय निकायों को सीवर और नालों की सफाई केवल यंत्रों से कराने की हिदायत देने के लगभग तीस घंटे बाद ही ग्रेटर नोएडा के एक निजी अस्पताल में बेसमेंट खुदाई के दौरान सात श्रमिक मिट्टी की ढांग खिसकने से नीचे दब गए। अच्छी बात यह रही कि किसी भी श्रमिक की जान का नुक़सान नहीं हुआ। परंतु इस घटना के बाद यह प्रश्न एक बार फिर उठ खड़ा हुआ है कि सफाई कर्मियों अथवा विनिर्माण कार्यों में लगे श्रमिकों के जीवन की रक्षा के लिए क्या आवश्यक उपाय किए जाने चाहिएं जबकि सभी कार्य श्रमिकों को दूर रखकर केवल यंत्रों से किया जाना संभव नहीं है।
राष्ट्रीय सफाई आयोग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के सचिव राहुल कश्यप ने कल सोमवार को गौतमबुद्धनगर जिला विकास भवन में जनपद के सभी स्थानीय निकायों के अधिकारियों के साथ बैठक की थी। उन्होंने सीवरेज तथा गहरे नालों की सफाई मैनुअल तरीके से न कराने की स्पष्ट हिदायत दी थी। दरअसल गत 18 अगस्त को नोएडा के सेक्टर 115 में सीवेज पंपिंग स्टेशन की सफाई के दौरान दो सफाई कर्मियों की जहरीली गैस से दम घुटने से मौत हो गई थी। सचिव राहुल कश्यप उसी घटना की जांच के लिए आए थे। उनकी हिदायत के लगभग तीस घंटे बाद ही ग्रेटर नोएडा के फेलिक्स हॉस्पिटल में बेसमेंट खुदाई के दौरान एक बड़ा हादसा हो गया।

बताया गया है कि खुदाई के दौरान मिट्टी की ढांग खिसकने से खुदाई कार्य में लगे सात श्रमिक मिट्टी में दब गए। राहत यह रही कि किसी श्रमिक की इस हादसे में जीवन की हानि नहीं हुई। सफाई आयोग के सचिव की हिदायत और इस हादसे के बाद यह प्रश्न पूछा जाने लगा है कि क्या श्रमिकों के बगैर इस प्रकार के कार्य कराए जा सकते हैं। क्या इस प्रकार के कार्य कराए जाने के दौरान फूलप्रूफ सुरक्षा उपाय किए जा सकते हैं या यह केवल सैद्धांतिक शोर-शराबा है। दरअसल सीवरेज सफाई और विनिर्माण कार्यों में ऐसी परिस्थितियों के उत्पन्न होने से इंकार नहीं किया जा सकता है जब यंत्रों की पहुंच नाकाफी हो जाती है और अनिवार्य रूप से श्रमिकों को ही लगाना पड़ता है। हालांकि किसी भी परिस्थिति में श्रमिकों के जीवन से खिलवाड़ करने की इजाजत तो नहीं दी जा सकती है।
साभार
लेखक:- राजेश बैरागी ” नेक दृष्टि” वेबसाइट के प्रधान संपादक और सामाजिक चिंतक एवं विचारक हैं।