भाजपा का इतना भारी भरकम अमला है, फिर क्यों है, सरकार से किसान नाराज
ग्रेटर नोएडा का किसान आदांलन यहीं, नहीं थमा तो यह चिंगारी लोकसभा चुनावांं तक जा पहुंचेगी
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/ग्रेटर नोएडा
ग्रेटर नोएडा में चल रहा किसान आदांलन यहीं, नहीं थमा तो यह चिंगारी लोकसभा चुनावांं तक जा पहुंचेगी। सरकार और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण इस किसान आंदोलन को शायद हलके में ले रहे है। जब कि यहां समूचा विपक्षा एकजुट होता दिखाई दे रहा हैं। भाजपा का यह किला भरभरा कर गिर न जाए, गौतमबुद्धनगर में किसान आंदोलन से विपक्षी की ढाल बन रहा है। भाजपा का किला यहां मजबूत है मगर किसान आंदोलन को खत्म कराए जाने के लिए आखिर क्यों सच्चे मन से सार्थक प्रयास नही किए जा रहे हैं। वैसे इस विषय में सासंद डा0 महेश शर्मा और दादरी विधायक मास्टर तेजपाल नागर के सामने अांदोलकारी किसान अपनी मांग पहले ही रखे चुके हैं, मगर यह दोनों की जनप्रतिनिधि किसानों को मनाने में कामयाब नही हो सके हैं। इधर विपक्षी एकजुटता की बात करें तो यहां सपा, कांग्रेस, रालोद और भीम अर्मी आजाद समाज पार्टी किसान आंदोलन के सहारे अपनी जमीन तलाशने की कोशिश कर रहे हैं। सपा मुखिया अखिलेश यादव, रालोद मुखिया जयंत चौधरी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के आने की बात की जा रही हैं। रालोद विधायक मदन भैया, सपा विधायक अतुल प्रधान, कांग्रेस के पश्चिमी उत्तर प्रदेश प्रभारी नसमुद्दीन सिद्दकी और उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ब्रजलाल खाबरी यहां किसान आंदोलन में आ चुके हैं। गौतमबुद्धनगर फिलहाल भाजपा का गढ हैं। यहां से अलग अलग सदनों में दर्जनों की संख्या में भाजपा का प्रतिनिधित्व है। 2 सासंद है इनमें 1 लोकसभा सदस्य डा0 महेश शर्मा और दूसरा राज्य सभा सासंद सुरेंद्र नागर हैं।
जिले की तीनों विधानसभाओं मेंं भी भाजपा ही प्रतिनिधित्व है। 2 एमएलसी हैं जिनमें एक शिक्षक खंड श्रीचंद शर्मा और दूसरा नरेंद्र सिंह भाटी हैं। 3 जिला पंचायत सदस्य हैं और जिनमें से जिला पंचायत अध्यक्ष अमित चौधरी भी है। जिले में तीनों ब्लाक प्रमुख भी 3 भाजपा से ही संबंध रखते हैं। इनके अलावा दादरी, दनकौर और रबूपुरा भी में तीसरे इंजन की भाजपा की सरकारें हैं। भाजपा संगठन की बात करेंं तो भाजपा क्षेत्रीय अध्यक्ष सतेद्रं सिंह शिशौदिया भी दादरी क्षेत्र से आते हैं और क्षेत्रीय महमंत्री हरीश ठाकुर रबूपुरा से आते है, जबकि आशीष वत्स मंत्री हैं जो दादरी से आते हैं। भाजपा का इतना भारी भरकम अमला है, फिर क्यों सरकार से किसान नाराज है और आंदोलनरत है। क्या अफसर ही सरकार की साख को ही बट्टा लगाने में लगे हुए है या फिर सरकार ही किसानों के मुद्दे के प्रति गंभीर नही दिखाई पड रही है। हां भाजपा के पास एक तुरूप पत्ता है, जो किसानों को जरूर मना सकता है और वह है जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह। जेवर में एयरपोर्ट का मामला हो या फिर दूसरे किसानो के मुद्दे हों सरकार सामने विधायक धीरेंंद्र सिंह को पक्ष रखते हुए बेबाक तरीके से देखा जा चुका है। जेवर के किसानों को कई बार जेवर विधायक ने सीधे मुख्यमंत्री से मिलवाया भी है, परिणामस्वरूप मुख्यमंत्री ने किसानों के पक्ष को सुनते हुए मुआवजा बढाया भी था। यानी यों कहें कि जेवर में देश का बडा एयरपोर्ट बन रहा है और बिना किसी खून खराबे के अधिग्रहण और तमाम काम हुए। यदि सरकार यहां भी जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह को किसानों के बीच भेजे तो एक बीच का रास्ता जरूर निकल सकता हैं।
आइए जानिए कैसे है, गौतमबुद्धनगर भाजपा का गढ
1ः- सासंद-2
2ः- विधायक-3
3ः- एमएलसी-2
4ः- जिला पंचायत सदस्य-3
5ः- जिला पंचायत अध्यक्ष-1
6ः- ब्लाक प्रमुख-3
7ः- नगर निकाय प्रमुख-3
आर पार की लडाई करने के मूड में आए किसान
ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के किसानों ने एक सुर में आर.पार की लड़ाई लडऩे की घोषणा की है। किसानों का कहना है कि अब ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ आर.पार की लड़ाई लड़ी जाएगी। इस लड़ाई की रणनीति बनाने के लिए 27 जून को प्राधिकरण के बाहर महापंचायत आयोजित की जाएगी। महा पंचायत के दिन प्राधिकरण कार्यालय के दोनों प्रवेश द्वार बंद कर दिए जाएंगे और कोई बड़ा फैसला लिया जाएगा। 15 दिन से जेल में बंद प्रमुख किसान नेताओं के कहने पर किसानों ने बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले के तहत 27 जून-2023 को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कार्यालय पर एक महापंचायत बुलाई गई है। इस महापंचायत में आंदोलन को किसी निश्चित अंजाम तक पहुंचाने की रणनीति बनाई जाएगी। किसानों ने आबादी मामलों का निस्तारण करनेए बगैर लीजबैक किए आबादी भूमि को शिफ्ट न करने, लीजबैक के 1451 मामलों का निपटारा करने, एसआईटी जांच की बाबत लीजबैक के 533 प्रकरण एवं बादलपुर के 208 प्रकरणों में मांगी गई रिपोर्ट की शासन से स्वीकृति लेना, किसानों के 6 एवं 8के बजाय 10 परसेंट के भूखंड आवंटित करने, किसान कोटा खत्म न करने और भूमि अधिग्रहण में नए भूमि अधिग्रहण बिल को लागू करने जैसे मुद्दों पर 18 सूत्रीय मांग पत्र प्राधिकरण को सौंपा था। इन मुद्दों को लेकर किसान 14 मार्च 2023 से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सामने धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें से 33 किसानों को जेल भेज दिया गया और बहुत बड़ी तादाद में अन्य किसानों को शांति भंग करने की धारा में नोटिस भेजे जा रहे हैं।
किसानों को जेल भेजने और ग्रामीणों को शांति भंग का नोटिस जारी करने से शांति प्रिय व मनपसंद लोग भले ही धरना प्रदर्शन करने से हिचक रहे हैं लेकिन लगभग 2 महीने से चल रहे धरने के बाद भी समाधान नहीं निकलने से ग्रामीणों में बेइंतहा रोष है। यह तो भविष्य में ही पता चल पाएगा कि इन ग्रामीणों की नाराजगी क्या गुल खिलाएगी क्योंकि किसानों के द्वारा अपनी मांगों के समर्थन में इस तरह का धरना प्रदर्शन पहली बार नहीं किया जा रहा है इससे पहले भी धरना प्रदर्शन होते रहे हैं। अगर हम विगत 6 साल के भाजपा शासन की ही बात करें तो बार.बार धरना प्रदर्शन के बाद भी किसानों की समस्या यथावत बनी हुई हैं। लेकिन इसके बावजूद भी इस क्षेत्र के ग्रामीणों ने भाजपा को मतदान करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। किसानों की बात करें तों जिन प्राधिकरणों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था भी तल्ख टिप्पणी कर चुकी हों उनके विषय में स्थानीय जनप्रतिनिधि सदनों में कभी आवाज ही उठाते नजर नहीं आते,अगर प्राधिकरण और किसानों की बात को साफगोई तरीके से प्रदेश के मुखिया के सामने प्रस्तुत किया गया होता तो शायद अब तक कोई समाधान कर चुका होता। हो सकता है आज तक किसानों के विषय को माननीय मुख्यमंत्री के समक्ष ठीक से प्रस्तुत ही नही किया गया हो अन्यथा भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति पर काम करने वाली योगी आदित्यनाथ की सरकार शायद धरनारत किसानों की समस्याओं के निस्तारण का कोई रास्ता निकाल चुकी होती। लेकिन कभी.कभी यह सब भी संदेहास्पद नजर आने लगता है क्योंकि शासन द्वारा गैर पुश्तैनी काश्तकारों की जांच हेतु गठित एसआईटी जांच रिपोर्ट को आज तक भी उजागर न किया जाना इस बात की तरफ साफ इशारा करता है कि कहीं ना कहीं इस रिपोर्ट में सत्ता से जुड़े हुए ऐसे लोगों का भी कोई बड़ा गड़बड़ घोटाला है जिनके नाम उजागर होने से सत्ता और सरकार की किरकिरी हो सकती है। अगर ऐसा है तो शायद किसान आंदोलन की अनदेखी करने वाले यह बड़ी भूल कर रहे हैं क्योंकि एक राजनीतिक दलों का टिकट देने का आधार यही किसान जातियां होती हैं। किसानों की इतनी भी अनदेखी करना ठीक नहीं है क्योंकि जिस दिन ग्रामीण क्षेत्र का मतदाता संगठित होकर पूरी तरह विरोध पर उतारू हो जाएगा तो चुनावी नतीजे बदलने में देर नहीं लगेगी। अगर चुनावी वर्ष में भी किसानों के मुद्दों का समाधान नहीं किया गया तो गौतमबुद्धनगर के किसान और ग्रामीण आगामी समय में चुनावी बहिष्कार का बड़ा फैसला ले सकते हैं। जिससे अंतरराष्ट्रीय पटल पर नोएडा ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण की साख को बट्टा तक लग सकता है। किसानों के साथ हो रहे अन्याय और उत्पीडऩ के विरुद्ध चुनाव बहिष्कार की यह खबर जब पूरी दुनिया में जाएगी तो इन्वेस्टर्स पर भी इसका बुरा असर पडऩा तय है जो सरकार के हित में नहीं है इसलिए समय रहते ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर धरनारत किसानों के मुद्दों का समाधान किया जाना चाहिए। अन्यथा चुनावी वर्ष में जनपद गौतम बुद्ध नगर के किसानों के साथ अन्य राजनीतिक दलों के नेता भी अपनी शिरकत करते नजर आ सकते हैं। जैसा कि फिलहाल भी सभी दलों के नेताओं की शिरकत से गतिविधियां तेज हो चली हैं।
भीम आर्मी व आजाद समाज पार्टी का बड़ा ऐलान-24 जून से बैठेंगे धरने पर भीम आर्मी चीफ चन्द्रशेखर रावण
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर चल रहे किसानों के धरने में बड़ा मोड़ आ गया है। अब किसानों को भीम आर्मी व आजाद समाज पार्टी का खुला समर्थन मिल गया है। आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रविन्द्र भाटी एडवोकेट ने घोषणा की है कि यदि जेल में बंद किसानों को तुरंत रिहा नहीं किया गया तो 24 मार्च से बड़ा आंदोलन छेड़ दिया जाएगा।
किसानों के साथ अनिश्चितकालीन धरने पर खुद चन्द्रशेखर बैठेंगे। ग्रेटर नोएडा में प्रेस वार्ता आयोजित करते हुए आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रविन्द्र भाटी एडवोकेट ने साफ घोषणा की है कि उनकी पार्टी किसानों के साथ है। उन्होंने कहा कि यदि जेल में बंद किसान नेताओं को तुरंत रिहा नहीं किया गया तो 24 जून से हमारे नेता चन्द्रशेखर आजाद किसानों के साथ खुद अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि उनके साथ मैं ;रविन्द्र भाटी एडवोकेटद्ध भी धरने पर बैठे जाऊंगा। उन्होंने आरोप लगाया कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी, जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन तानाशाही पर उतर आया है। गांव.गांव जाकर किसानों को धरने पर जाने से रोका जा रहा है। आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रविन्द्र भाटी एडवोकेट ने आरोप लगाया कि गौतमबुद्धनगर के सरकारी तंत्र ने लोकतंत्र का मजाक बना दिया है। लोकतांत्रिक ढंग से आंदोलन कर रहे किसानों को डराया धमकाया जा रहा है। उन्हें सरकारी नोटिस दिए जा रहे हैं। धरने पर जाने पर अंजाम भुगत लेने की धमकी दी जा रही है। धारा.144 का भय दिखाकर किसानों को जबरन आंदोलन से दूर किया जा रहा है। कुल मिलाकर गौतमबुद्धनगर जिले में अराजकता की स्थिति पैदा कर दी गयी है।
बसपा क्यों हैं, किसानों के अांदोनल से दूर
जिले के ग्रेटर नोएडा में किसानों का आंदोलन चल रहा है, किसानों का यह आंदोलन फिलहाल ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण कार्यालय पर ही नही बल्कि दनकौर में यमुना एक्सप्रेस-वे सलारपुर अंडरपास के नीचे भी किसान मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं। किसानों के इन आंदोलनों में किसान संगठनों के अलावा दूसरे सभी राजनीतिक दलों के लोग जैसे सपा, रालोद, कांग्रेस, माकपा, भीम अर्मी आजाद समाज पार्टी तक नजर आ रहे हैं। इन दलों के जिलाध्यक्ष, राज्य प्रभारी और यहां तक ही विधायक तक किसान आंदोलन में आकर अपना समर्थन दे रहे हैं मगर बसपा पूरा तरह से किनारा किए हुए हैं। बसपाईयों को इन किसानों के आंदोलनों में कहीं भी देखा नही जा रहा है। गौतमबुद्धनगर जिला ही बसपा की मुखिया व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की देन माना जाता हैं।
यही कारण है कि गौतमबुद्धनगर बसपा का बडा किला रह चुका है। गौतमबुद्धनगर से ही सीएम मायावती हुआ करती थी, सासंद और तीनों विधायक भी बसपा के ही हुआ करते थे। इसके साथ ही 2 एमएलसी, कारगार मंत्री और कई दर्जा प्राप्त मंत्री हुआ करते थे। जिला पंचायत से लेकर ब्लाक प्रमुख और नगर निकायों तक में बसपा ही बोलबाला हुआ करता था। आखिर समय के साथ बसपा में ऐसा ग्रहण लगा कि पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जयवती नागर के पति गजराज नागर, दादरी के पूर्व विधायक सतवीर गुर्जर, पूर्व जिला पंचायत सदस्य रामशरण नागर, पूर्व मंत्री वेदराम भाटी, पूर्व एमएलसी अनिल अवाना, पूर्व सासंद सुरेंंद्र नागर, जेवर के पूर्व विधायक होराम सिंह,जेवर विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी नरेंद्र डाढा और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष वीरेंद सिंह डाढा तक ने बसपा को बाय बॉय कह दिया। किंतु फिर भी वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में बसपा दूसरे स्थान पर रही। फिलहाल बसपा की स्थिति पर गौर करें तो दादरी विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी मनवीर भाटी, नोएडा के विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी कृपाराम शर्मा, पूर्व लोकसभा प्रत्याशी सतवीर नागर और जिलाध्यक्ष दीपक सिंह बौद्ध बसपा के खेवनहार हैं, किंतु किसान आंदोनलों में कहीं भी कोई दिखाई नही दे रहा है?