भूमाफिया के खिलाफ बड़े खुलासे पर पलटी—कासना सरकारी ज़मीन विवाद में शिकायतकर्ता पीछे हटे, मामले ने लिया नया मोड़

 

मौहम्मद इल्यास “दनकौरी”/ ग्रेटर नोएडा
गौतमबुद्धनगर जिले के कासना गांव में करोड़ों रुपये मूल्य की सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर चर्चाओं में आया मामला अब उलझता नजर आ रहा है। “विजन लाइव” द्वारा पूर्व में “भूमाफिया के खिलाफ बड़ा खुलासा: कासना गांव के करोड़ों की सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा, जांच के आदेश” शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट के बाद इस मामले में एक चौंकाने वाला मोड़ सामने आया है।

दरअसल, जिन लोगों के नाम से शिकायत की गई थी, अब वही शिकायतकर्ता इस पूरे प्रकरण से खुद को अलग करते हुए सामने आए हैं। शिकायतकर्ताओं — ओमवीर चौहान उर्फ ओमवीर सिंह पुत्र चंद्रपाल और सुरेंद्र चौहान पुत्र संतराम — ने जिलाधिकारी गौतमबुद्धनगर को दिए नए प्रार्थना पत्र (दिनांक 28 मई 2025) में कहा है कि “यह शिकायत हमने नहीं की थी, बल्कि गांव के कुछ लोगों ने आपसी रंजिश के चलते हमारे नाम से फर्जी शिकायत लगाई थी।” उन्होंने खुद को शांतिप्रिय नागरिक बताते हुए मांग की है कि उनके नाम से की गई शिकायत पर कोई कार्यवाही न की जाए।

क्या था मूल आरोप?

गौरतलब है कि 28 मार्च 2025 को उक्त शिकायतकर्ताओं के नाम से जिलाधिकारी को एक शिकायती पत्र सौंपा गया था, जिसमें कासना गांव की सरकारी खसरा संख्या 639, 650 और 1337 की जमीन पर भूमाफिया  द्वारा बड़े स्तर पर अवैध कब्जा और कालोनी निर्माण के आरोप लगाए गए थे।

शिकायत में यह भी उल्लेख था कि ये वही जमीनें हैं जिन पर पहले CBI जांच हो चुकी है और संबंधित लोग जेल व जुर्माने की सजा भुगत चुके हैं। साथ ही यह भी दावा किया गया था कि 122 गी की सरकारी जमीन पर भी लेखपाल की मिलीभगत से दोबारा कब्जे किए जा रहे हैं।

अब सवालों के घेरे में पूरा मामला

28 मई को आए पलटने वाले बयान और शपथ पत्र के बाद न सिर्फ आरोपों की वैधता पर सवाल उठ रहे हैं, बल्कि इस बात की भी जांच जरूरी हो गई है कि क्या वाकई शिकायत फर्जी थी, या अब शिकायतकर्ता किसी दबाव में बयान बदल रहे हैं?

ग्रामीणों और ज़मीन विवादों के जानकारों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं स्थानीय राजनीति, भू-माफियाओं के दबाव और प्रशासनिक प्रणाली की कमजोरियों को उजागर करती हैं। यह भी स्पष्ट नहीं है कि यदि शिकायत फर्जी थी, तो कोर्ट आदेशों की छायाप्रति और अन्य दस्तावेज पूर्व में कैसे संलग्न किए गए?

प्रशासन की भूमिका अहम

अब यह मामला प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है। एक ओर जांच का आदेश दिया जा चुका है, वहीं दूसरी ओर शिकायतकर्ता अपने ही आरोपों से पीछे हट रहे हैं। ऐसे में सत्य तक पहुंचने और सरकारी भूमि की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी जांच आवश्यक हो गई है।

 

कैसे कभी रंजिश, कभी दबाव और कभी मिलीभगत के चलते गंभीर आरोपों और कानूनी कार्रवाई की दिशा

कासना गांव की सरकारी जमीन से जुड़ा यह प्रकरण महज ज़मीन विवाद नहीं रह गया है, बल्कि यह दिखाता है कि कैसे कभी रंजिश, कभी दबाव और कभी मिलीभगत के चलते गंभीर आरोपों और कानूनी कार्रवाई की दिशा ही बदल सकती है। “विजन लाइव” इस मामले में आगे की हर जांच और घटनाक्रम को निष्पक्षता से आपके सामने लाता रहेगा।

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