
एडीजीसी शिल्पी भदौरिया पर रिश्वतखोरी का आरोप:-—शिकायत में 1 लाख की डिमांड का दावा, एडीजीसी ने बताया बेबुनियाद

बार एसोसिएशन करेगा मध्यस्थता, प्रशासनिक जांच जारी
मौहम्मद इल्यास ‘दनकौरी’/ गौतमबुद्धनगर
जनपद न्यायालय, सूरजपुर में कार्यरत अपर जिला शासकीय अधिवक्ता (एडीजीसी) शिल्पी भदौरिया पर रिश्वत मांगने का गंभीर आरोप अधिवक्ता प्रभा कुशवाहा ने लगाया है। उन्होंने जिलाधिकारी को प्रेषित एक शिकायती पत्र में दावा किया है कि शिल्पी भदौरिया ने दो आपराधिक मामलों में पीड़िता व अधिवक्ता से क्रमशः रूपया 10,000 और रूपया 1,00,000 की मांग की।
प्रभा कुशवाहा का आरोप
एडवोकेट प्रभा कुशवाहा ने शपथ पत्र में आरोप लगाया है कि एडीजीसी शिल्पी भदौरिया ने उनके द्वारा लड़े जा रहे केस—सरकार बनाम मोहित (एसटी 181/2024) में पीड़िता से रूपया 10,000 और सरकार बनाम बनै सिंह (एसटी 174/2022) में खुद उनसे रूपया 1 लाख मांगे। शिकायत के अनुसार, एडीजीसी ने धमकी दी कि यदि पैसे नहीं दिए गए तो आरोपी से मिलकर मुकदमा कमजोर कर दिया जाएगा।

प्रभा ने यह भी आरोप लगाया कि शिल्पी भदौरिया न्यायालय में पद के प्रभाव का दुरुपयोग कर अन्य मामलों में भी पक्षकारों व अधिवक्ताओं से अवैध वसूली करती हैं। उन्होंने शपथ पत्र में यह भी लिखा है कि भदौरिया ने कथित रूप से 45 लाख रुपये के फ्लैट लोन की अदायगी के लिए जल्द पैसे जुटाने की बात कही थी।
एडीजीसी शिल्पी भदौरिया का पक्ष
शिल्पी भदौरिया ने सभी आरोपों को झूठा और निराधार बताया है। उन्होंने बताया कि एक केस में पक्षकार को “रिकॉल” की प्रक्रिया के लिए एडवोकेट प्रभा कुशवाहा द्वारा पैसे लिए गए थे, जबकि अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि इसके लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता। इसके बाद पक्षकार ने अधिवक्ता पर नाराजगी जताई, जिससे प्रभा कुशवाहा ने रंजिशवश शिकायत कर दी।

भदौरिया का कहना है कि उन्होंने इस पूरे मामले की लिखित शिकायत जनपद दीवानी एवं फौजदारी बार एसोसिएशन को सौंपी है और अधिवक्ता प्रभा कुशवाहा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

बार एसोसिएशन की भूमिका
जनपद दीवानी एवं फौजदारी बार एसोसिएशन गौतमबुद्ध नगर के सचिव अजीत नागर ने बताया कि दोनों पक्षों की शिकायतें बार को प्राप्त हुई हैं। जल्द ही दोनों अधिवक्ताओं को आमने-सामने बैठाकर विवाद का समाधान करने का प्रयास किया जाएगा।

प्रशासनिक कार्रवाई
डीएम को भेजे गए शिकायती पत्र के आधार पर एडीएम मंगलेश दुबे ने एडवोकेट प्रभा कुशवाहा को 26 अप्रैल को कलेक्ट्रेट परिसर में साक्ष्य सहित उपस्थित होने का निर्देश दिया है।

अब निगाहें, बार एसोसिएशन और प्रशासनिक जांच पर टिकीं
यह मामला न केवल कानून व्यवस्था बल्कि न्यायिक नैतिकता से भी जुड़ा है। एक ओर रिश्वतखोरी के आरोपों ने प्रशासन को सक्रिय किया है, वहीं दूसरी ओर व्यक्तिगत रंजिश और पेशेगत टकराव ने पूरे मसले को जटिल बना दिया है। अब निगाहें बार एसोसिएशन और प्रशासनिक जांच पर हैं।