
🟥 डिजिटल अरेस्ट के नाम पर वृद्धा से 3.29 करोड़ की ठगी, जयपुर से मुख्य आरोपी गिरफ्तार
🟦 CBI, ED और कोर्ट की फर्जी कहानी सुनाकर महिला को वीडियो कॉल पर डराया गया
🟦 साइबर सेल की बड़ी कार्रवाई, शातिर खाताधारक विपुल नागर को जयपुर से दबोचा
🟦 63 लाख रुपये आरोपी के खाते में आए, कमीशन के बदले दिया था खाता
🟦 ‘डिजिटल अरेस्ट’ बना साइबर ठगों का नया हथियार — जानिए कैसे बनते हैं लोग शिकार
🟦 साइबर क्राइम से बचाव के लिए 1930 हेल्पलाइन पर करें तत्काल शिकायत
मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/गौतमबुद्धनगर
तेज़ी से बढ़ते साइबर अपराधों की कड़ी में एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक वृद्ध महिला को “डिजिटल अरेस्ट” के नाम पर डराकर उससे 3 करोड़ 29 लाख 70 हजार रुपये की ठगी की गई। इस सनसनीखेज मामले में थाना साइबर क्राइम पुलिस ने जयपुर (राजस्थान) से एक शातिर साइबर ठग विपुल नागर को गिरफ्तार किया है, जो इस गिरोह का बेनिफिशियरी खाताधारक है। इससे पहले पुलिस इस गिरोह के तीन अन्य सदस्यों को जेल भेज चुकी है।
❖ कैसे दिया गया धोखे को अंजाम
एक अज्ञात कॉल पीड़िता के लैंडलाइन नंबर पर आया। कॉल करने वाले ने खुद को केंद्रीय एजेंसी का अधिकारी बताया और कहा कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल अवैध गतिविधियों — जैसे जुआ, हथियारों की खरीद, हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग — में किया गया है।
डराने के लिए स्काइप/Zoom वीडियो कॉल पर फर्जी कोर्ट कार्यवाही, एफआईआर और सुप्रीम कोर्ट के आदेश दिखाए गए। पीड़िता को डिजिटल रूप से हिरासत में होने का भ्रम दिया गया। दबाव में आकर उन्होंने कई बार में कुल 3.29 करोड़ रुपये ठगों के खातों में ट्रांसफर कर दिए।

❖ मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी और खुलासे
थाना साइबर क्राइम की टीम ने अभिसूचना के आधार पर 16 जुलाई 2025 को जयपुर में छापा मारकर विपुल नागर को गिरफ्तार किया। पूछताछ में उसने बताया कि वह अभियुक्त अजीत को अपना बैंक खाता इस्तेमाल करने देता था, जिसमें ठगी की रकम आती थी। बदले में उसे कमीशन मिलता था।
पुलिस जांच में सामने आया कि 63 लाख रुपये विपुल नागर के खाते में ट्रांसफर किए गए थे।
❖ पंजीकृत अभियोग
- मु0अ0सं0: 63/2025
- धारा: 308(2)/318(4)/319(2) BNS व 66-डी आईटी एक्ट
- थाना: साइबर क्राइम, कमिश्नरेट गौतमबुद्धनगर
❖ ‘डिजिटल अरेस्ट’ क्या है?
यह साइबर अपराधियों की नई ठगी रणनीति है। अपराधी खुद को CBI, पुलिस, ED, इनकम टैक्स या नारकोटिक्स विभाग का अधिकारी बताकर कॉल करता है। फिर स्काइप या Zoom पर वीडियो कॉल कर पीड़ित को डराता है कि वह गंभीर अपराधों में संलिप्त है। अदालत की कार्यवाही, एफआईआर और सुप्रीम कोर्ट का आदेश फर्जी रूप से दिखाकर डर पैदा किया जाता है। इस भ्रम में फँसकर लोग बड़ी रकम ट्रांसफर कर देते हैं।
❖ साइबर क्राइम से बचाव के सुझाव
- किसी अनजान कॉलर के कहने पर कोई ऐप डाउनलोड न करें।
- कोई भी व्यक्ति वीडियो कॉल पर डिजिटल अरेस्ट नहीं कर सकता — यह पूरी तरह फर्जी प्रक्रिया है।
- किसी भी खाते में बिना पुष्टि के पैसे न भेजें।
- ठगी की आशंका होने पर तुरंत 1930 हेल्पलाइन पर कॉल करें या www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।

📢 पुलिस कमिश्नरेट गौतमबुद्धनगर की मीडिया सेल ने नागरिकों से अपील की है कि सतर्क रहें, जागरूक रहें और किसी भी दबाव या धमकी में आकर पैसे ट्रांसफर न करें।