‘रजिस्ट्री की अनुमति ही काफी नहीं, खरीदारों के नाम रजिस्ट्री भी कराएं’-एसीईओ
बिल्डरों के साथ बैठक में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ ने दी चेतावनी
25 प्रतिशत धनराशि जमा न करने वाले बिल्डरों के आवंटन रद्द करने के निर्देश
Vision Live/Greater Noida
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने खरीदारों के नाम फ्लैटों की रजिस्ट्री न करने वाले बिल्डरों को सख्त चेतावनी दी है कि अगर 15 दिन में फ्लैटों की रजिस्ट्री शुरू नहीं कराई तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों के आधार पर जारी शासनादेश से छूट पाने वाले जिन बिल्डरों ने अब तक कुल बकाया धनराशि का 25 प्रतिशत जमा नहीं किया है, उन बिल्डरों को आवंटित भूखंडों का आवंटन रद्द करने और उनका प्रकरण आर्थिक अपराध शाखा को रेफर करने के निर्देश दिए।
दरअसल, प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा है कि फ्लैट खरीदारों के नाम रजिस्ट्री की प्रक्रिया तेजी से संपन्न कराई जाए। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि कुमार ने बिल्डर विभाग को बिल्डरों के साथ बैठक कर फ्लैट खरीदारों के नाम रजिस्ट्री के लिए जोर देने और लापरवाही करने वाले बिल्डरों के आवंटन रद्द करने के निर्देश दिए हैं। प्राधिकरण के एसीईओ सौम्य श्रीवास्तव ने शुक्रवार को बिल्डरों के साथ बिल्डर प्रोजेक्टवार बैठक की गई। एसीईओ ने बताया कि अमिताभ कांत समिति की सिफारिश के आधार पर विगत साल 21 दिसंबर को शासनादेश जारी किया गया। इस शासनादेश का लाभ लेते हुए कुल 98 परियोजनाओं में से 13 बिल्डरों ने कुल बकाया धनराशि जमा करा दी और 58 बिल्डरों ने 25 प्रतिशत धनराशि (लगभग 505 करोड़) जमा करा दी है। इस तरह कुल 71 बिल्डरों ने इस नीति का लाभ उठाया। इन 71 प्रोजेक्ट में 9558 फ्लैटों की रजिस्ट्री के लिए प्राधिकरण से अनुमति प्रदान की गई। जिसमें से 5 सितंबर तक 6624 फ्लैटों की रजिस्ट्री हो चुकी है।
इन बिल्डरों के साथ बैठक में एसीईओ ने शेष बचे फ्लैटों की रजिस्ट्री को शीघ्र संपन्न करने के निर्देश दिए हैं। रजिस्ट्री की अनुमति से 6 माह तक बिना विलंब शुल्क के रजिस्ट्री कराई जा सकती है। इसे ध्यान में रखते हुए एसीईओ ने बिल्डरों से आज की बैठक में इस छह माह में ही खरीदारों के नाम फ्लैटों की रजिस्ट्री कराने के निर्देश दिए। इसके अलावा जिन बिलरों ने अभी तक 25 प्रतिशत धनराशि जमा नहीं कराई है। उनके भूखंडों का आवंटन निरस्त कर उसे कब्जे में लेने के निर्देश दिए। साथ ही इन परियोजनाओं की जांच आर्थिक अपराध शाखा को रेफर करने और सरकार से फॉरेंसिक ऑडिट कराने की संस्तुति लेने के भी निर्देश दिए।