
पहलगाम आतंकी हमले के बाद सोशल मीडिया पर सीमा हैदर को लेकर उबाल—”अब लौटाओ पाकिस्तान वापस!”

गौतमबुद्ध नगर पुलिस और वकील एपी सिंह ने दिया कानूनी जवाब, गृह मंत्रालय के निर्णय का इंतजार

मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/गौतमबुद्ध नगर
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद देश भर में रोष का माहौल है। इस बीच सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी नागरिक सीमा हैदर को भारत से वापस भेजने की मांग तेज़ हो गई है। कई यूज़र्स ने इस हमले को आधार बनाकर लिखा—“जो पाकिस्तान से आई है, वो पाकिस्तान ही जाए!”
सोशल मीडिया पर ‘सीमा हैदर वापसी’ ट्रेंड, उठी देशभक्ति की आवाज
पहलगाम की घटना के बाद देशभर के लोगों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अपने गुस्से का इज़हार किया और सीमा हैदर की तत्काल वापसी की मांग करने लगे। कुछ लोगों ने टिप्पणी करते हुए लिखा, “देश के लिए अब भावनाओं से ऊपर सुरक्षा है।”
वकील एपी सिंह ने दी सफाई—“सीमा हैदर कानून के तहत चल रही प्रक्रिया का हिस्सा”
सीमा हैदर के वकील एपी सिंह ने इस पूरे विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,
“सीमा हैदर का मामला अदालत में विचाराधीन है और उसकी बेटी के जन्म के साथ उसकी नागरिकता से जुड़ी प्रक्रियाएं भी गृह मंत्रालय के पास प्रचलन में हैं।“
उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय जो भी कागज़ात मांगेगा, वह उपलब्ध कराए जाएंगे और इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय केंद्र सरकार व मंत्रालय के निर्देश पर ही होगा।
गौतमबुद्ध नगर पुलिस का पक्ष—“मुकदमा विचाराधीन, जब तक कोर्ट से आदेश नहीं आता, सीमा यहीं रहेगी”
थाना रबूपुरा पुलिस ने स्पष्ट किया कि सीमा हैदर अवैध रूप से भारत में प्रवेश कर चुकी हैं, और इस मामले में स्थानीय अदालत में मुकदमा विचाराधीन है।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, “सीमा के पास कोई वैध वीजा नहीं है, ऐसे में वीजा रद्द होने का नियम उस पर लागू नहीं होता। जब तक अदालत इस पर अंतिम निर्णय नहीं देती, उसे भारत में ही रहना होगा।”
क्या गृह मंत्रालय लेगा सख्त फैसला?
अब सभी की निगाहें गृह मंत्रालय के निर्णय पर टिकी हैं। यह देखना अहम होगा कि सीमा हैदर को लेकर कोई नया दिशा-निर्देश आता है या नहीं, विशेषकर देश में बढ़ते राष्ट्रवादी माहौल और सुरक्षा को लेकर गंभीर होती सरकार की प्राथमिकताओं के मद्देनज़र।

“सीमा हैदर का मुद्दा“
सीमा हैदर का मुद्दा अब सिर्फ एक कानूनी प्रक्रिया नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और जनभावनाओं से जुड़ा विषय बन चुका है। आगे की राह अब केंद्र सरकार के फैसले पर निर्भर करेगी, लेकिन सोशल मीडिया पर बहस और जनभावना साफ़ है—“अब और रियायत नहीं!”