
📍 मौहम्मद इल्यास “दनकौरी”/ लखनऊ
समाजवादी पार्टी अधिवक्ता सभा के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व जिला पंचायत सदस्य एडवोकेट रामशरण नागर इन दिनों सियासी चर्चाओं के केंद्र में हैं। लखनऊ में आयोजित दो बड़े कार्यक्रमों में उनकी सक्रिय उपस्थिति और पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से हुई मुलाकात के बाद यह अटकलें तेज हो गई हैं कि उन्हें समाजवादी पार्टी में एक अहम जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
11 अक्टूबर को लखनऊ स्थित सपा मुख्यालय में भारत रत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में एडवोकेट नागर ने शिरकत की। इस दौरान उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से लंबी बातचीत हुई। सूत्रों के अनुसार, चर्चा के दौरान अखिलेश यादव ने जिले की कई प्रमुख समस्याओं पर उनकी क़ानूनी रायशुमारी ली और भरोसा दिलाया कि सपा सरकार बनने पर इन मुद्दों का प्राथमिकता से समाधान किया जाएगा।
इसके अगले ही दिन, 12 अक्टूबर को उन्होंने अखिलेश यादव के साथ डॉ. राम मनोहर लोहिया पार्क, लखनऊ में समाजवाद के प्रखर चिंतक डॉ. राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। लगातार दो दिनों तक हुई इस सक्रियता ने राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं को और तेज कर दिया है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगामी विधानसभा चुनाव 2027 की तैयारियों के मद्देनज़र सपा संगठन में नई जिम्मेदारियाँ देने की प्रक्रिया जारी है, और रामशरण नागर को भी इसका लाभ मिल सकता है। अखिलेश यादव पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि आगामी चुनाव में पार्टी जिताऊ और जनाधार वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता देगी तथा प्रत्याशी चयन से पहले सीटवार सर्वे कराया जाएगा।
अगर गौतमबुद्धनगर जिले की बात करें तो यहां नोएडा, जेवर और दादरी विधानसभाएं राजनीतिक रूप से अहम मानी जाती हैं। दादरी सीट पर सपा प्रवक्ता राजकुमार भाटी दो बार टिकट पा चुके हैं, वहीं इस बार गुर्जर बिरादरी से नए चेहरों के नाम भी चर्चा में हैं। इनमें वरिष्ठ सपा नेता फकीरचंद नागर, गजराज नागर और एडवोकेट रामशरण नागर का नाम प्रमुखता से उभर रहा है।
सूत्रों के अनुसार, पार्टी की रणनीति में सिकंदराबाद विधानसभा भी एक महत्वपूर्ण विकल्प हो सकती है, जहाँ यदि यादव या मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया गया, तो गुर्जर समाज के प्रतिनिधि के रूप में रामशरण नागर पर भी विचार किया जा सकता है।

एडवोकेट रामशरण नागर की पहचान न सिर्फ़ एक अनुभवी क़ानूनी विशेषज्ञ के रूप में है, बल्कि वे शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र में भी सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं। वे गौतमबुद्धनगर जिला एवं फौजदारी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके हैं और गुर्जर विद्या संस्था के सचिव के रूप में कई शिक्षण संस्थानों के विकास में अहम योगदान दे चुके हैं।
मिहिर भोज कॉलेज के विकास कार्यों के लिए उन्होंने स्वयं ₹5 लाख का व्यक्तिगत योगदान दिया था, जिसके बाद समाज के अन्य दानदाताओं ने भी प्रेरित होकर लगभग ₹50 लाख का सहयोग दिया। इस निधि से कॉलेज के क्षतिग्रस्त भवनों के नवीनीकरण का कार्य संपन्न हुआ।
राजनीतिक हलकों का मानना है कि उनकी सामाजिक पकड़, शिक्षा क्षेत्र में सक्रियता और संगठनात्मक अनुभव को देखते हुए पार्टी उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी या टिकट देने पर विचार कर सकती है।